दिल्ली गपशप: पीएम मोदी को अपनी ही पार्टी में मिल रही चुनौती, जानिए पूरा मामला
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अपनी ही पार्टी के कुछ क्षेत्रीय निरंकुश नेताओं को लेकर चुनैतियों से जूझ रहे हैं। यह ऐसा मालूम पड़ रहा है जैसे उनपर दबाव है कि वो कुछ ऐसे नेताओं को पार्टी में सक्रिय करें जिसे वो नापसंद करते हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने अरुण जेटली की खिंचाई करते हुए कहा कि वो सिर्फ अंग्रेजी सिखाते हैं। यहां तक की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भी अंग्रेजी सिखाना शुरू कर दिया है। आइए आपको पावर कॉरिडोर से कुछ दिलचस्प रीडिंग्स के बारे में बताते हैं।
नरेंद्र मोदी के लिए चुनौती बने उनकी ही पार्टी के निरंकुश नेता
अगर चर्चाओं पर गौर किया जाए और उन्हें माना जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल विपक्षी राजनीतिक दलों बल्कि अपनी ही पार्टी के भीतर युद्ध का सामना कर रहे हैं। जो जानकारी है उसके मुताबिक पार्टी के क्षेत्रीय नेता 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने के लिए तैयार नहीं हैं। वे चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद ही नेता तय किया जाए। उनका कहना है कि नव निर्वाचित सांसद ही नेता का नाम तय करें। पार्टी के कुछ और मजबूत नेता इन नेताओं को पसंद कर रहे हैं ताकि पीएम पर चारों ओर से हमले होते रहें। कार्यकर्ताओं के एक समूह की मानें तो इन सबके बीच पीएम कुछ कमजोर दिखाई दे रहे हैं और हर कोई इस मौके का फायदा उठाना चाहता है।
राजनीति में कोई स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता
एक बहुत पुरानी कहावत है कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता है। क्या यह फिर से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व आयोजन सचिव संजय जोशी द्वारा पार्टी नेतृत्व द्वारा माफी दिए जाने के साथ सही साबित होगा। गुजरात सरकार में पूर्व गृह राज्य मंत्री के रूप में गोरधन ज़दाफिया को उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का प्रभारी बनाया गया है, पूर्व आयोजन सचिव के पुनर्वास के बारे में खबरें भी आने लगी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र बने दुश्मन बहुत लंबे समय से राजनीतिक निर्वासन में हैं। ग्रेपवाइन का मानना है कि अगर ज़दफिया को नेतृत्व द्वारा माफी दी गई है, तो जोशी को भी माना जा सकता है क्योंकि वह संगठन के काम के लिए बहुत अच्छे हैं जो उत्तर प्रदेश में भाजपा की सख्त जरूरत है।
लोकसभा में कांग्रेस नेता का वित्त मंत्री पर कटाक्ष
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने वित्तमंत्री अरुण जेटली का नाम लेते हुए चुटकी लेने के अंदाज में कहा कि जेटली जी तो कोर्ट को भी अंग्रेजी पढ़ाना सिखा रहे हैं। खड़गे ने कहा कि राफेल विमान की कीमत पूरी तरह से शक के दायरे में है और सरकार शुरू से ही इसकी कीमत छुपा रही है| इसके लिए गोपनीयता के करार का हवाला दे रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर इस चर्चा में शामिल होना चाहिए और जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि राफेल सौदे का हल सिर्फ संसद में ही निकल सकता है| इसके लिए जेपीसी का गठन किया जाना चाहिए।