Hindustan 228-201 LW: HAL के नए यात्री विमान को DGCA की मंजूरी, जानें इसकी विशेषताएं
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के यात्री विमान के नए वर्जन को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन से मंजूरी मिल गई है। यह विमान देश की एविएशन इंडस्ट्री में नी जान फूंक सकता है।
डीजीसीए ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के 19 यात्रियों वाले यात्री विमान के नए वर्जन को मंजूरी दे दी है। यह विमान हल्का होने के साथ-साथ बहुत ही कम ऑपरेशनल लागत वाला है, जिसकी वजह से इसका घरेलू उपयोग काफी दमदादार होने की संभावना है। साथ ही साथ भविष्य में इसकी डिमांड बाहर के मुल्कों से भी हो सकती है। इसके रखरखाव पर आने वाला खर्च भी कम है, जिससे इसकी लोकप्रियता ज्यादा रहने की संभावना है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है, तो स्वदेशी अभियान के लिए भी काफी उत्साहजनक है।
'हिंदुस्तान 228-201 LW'को मंजूरी
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नए यात्री विमान 'हिंदुस्तान 228-201 LW'को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) की मंजूरी मिल गई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के यात्री विमान के नए वेरिएंट की विशेषताओं से भरा हुआ है। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के मुताबिक मॉडिफिकेशन की वजह से इस यात्री विमान का नया वेरिएंट सब-5,700 किलोग्राम वाले एयरक्राफ्ट की श्रेणी में आ जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि यात्रियों को लेकर उड़ान भरने के लिए यह कई तरह से बेहतर हो जाएगा।
कई तरह के कार्यों के लिए उपयोगी
एचएएल हेडक्वार्टर की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक इसके यात्री विमान का नया वेरिएंट 'हिंदुस्तान 228-201 LW' की अधिकतम टेक-ऑफ वजन क्षमता 19 यात्रियों के साथ 5695 किलोग्राम है। इसी वजह से यह विमान सब-5,700 किलोग्राम वाले एयरक्राफ्ट की श्रेणी में आ रहा है। यह विमान इसलिए ज्यादा उपयोगी माना जा रहा है कि यह ऑपरेटरों के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है। 19 यात्रियों वाले इस विमान में दो सदस्यीय क्रू होते हैं। इस विमान को विभिन्न तरह के इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया है। इसमें यात्री सेवाओं के अलावा, वीआईवी मूवमेंट, सामान ढोने, एयर एंबुलेंस, एरियल सर्विलांस और तस्वीरें खींचने, क्लाउड सीडिंग के अलावा पैरा जंपिंग जैसे स्पोर्ट इवेंट के लिए।
ऑपरेटरों के लिए भी कई तरह से फायदेमंद
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नए यात्री विमान में पायलटों के लिए कम अहर्ता की आवश्यकता है। कमर्शियल पायलट के लाइसेंसधारी पायलट इस विमान को उड़ा सकते हैं, इसका अर्थ यह हुआ कि इसे उड़ाने वाले पायलटों की संख्या (pilot pool) बढ़ जाएगी, जिससे कि इसके संचालन पर आने वाली लागत घट जाएगी।
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रखरखाव पर भी लागत में कमी
इसके अलावा नए विमान का यह भी फायदा है कि इसकी उड़ान के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता भी कम होगी और यहां तक कि एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरों और ग्राउंड क्रू के लिए भी कम प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। एचएएल की ओर से कहा गया है, 'ये वैरिएंट ऑपरेटरों के लिए कई तरह से संचालन लाभ देता है। जैसे कि कम पायलट अहर्ता आवश्यकता, विमान उड़ाने के लिए कमर्शियल पायलट लाइसेंस, विमान के लिए पायलट पूल की उपलब्धता में इजाफा और ऑपरेशनल लागत में कमी।'
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कैसे विकसित हुआ मेड इन इंडिया विमान ?
मेड इन इंडिया 'हिंदुस्तान 228' Do-228 का सिविलियन रूप है। इसे हिंदुस्तान एयोनॉटिक्स ने मल्टीफंक्शनल लाइट कार्गो विमान के तौर पर जर्मनी की कंपनी Dornier GmbH से प्राप्त लाइसेंस के तहत विकसित किया था। उसी विमान का स्वदेशी उन्नत रूप 'हिंदुस्तान 228-201 LW'के तौर पर अब सामने आया है, जो 19 यात्रियों के साथ उड़ान भरने में सक्षम है। 1916 के आखिर में ही एचएएल ने अपने उत्पाद का सिविल वर्जन बनाने का इरादा जाहिर किया ता। एक साल बाद इसके लिए उत्तर प्रदेश के कानपुर में असेंबली यूनिट का निर्माण शुरू किया गया था। कानपुर में एचएएल का ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट डिविजन है। (पहली तस्वीर के अलावा-सांकेतिक। इनपुट-एजेंसियां)