'दामिनी' को बुरी तरह नोचा था दरिंदों ने, बस में गिरे थे शरीर के टुकड़े
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। बीते साल 16 दिसंबर को दिल्ली की सड़कों पर 6 दरिंदों ने हैवानियत का जो गंदा खेल खेला था आज उसका फैसला होगा। आपको बता दें कि उन 6 दरिंदों में से एक (राम सिंह) की तिहाड़ जेल में मौत हो चुकी है जबकि एक नाबालिग आरोपी को जुबेनाइल कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई है। बचे चार आरोपियों (पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और मुकेश शर्मा) के सजा पर आज दिल्ली के साकेत कोर्ट में ऐलान किया जायेगा। इस बीच देश को झंकझोर कर रख देने वाले इस गैंगरेप की छानबीन कर रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया है कि दामिनी के शरीर के कुछ हिस्से बस के अंदर ही गिर गये थे।
अब इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन दरिंदों ने दामिनी के साथ कितनी हैवानियत की होगी। पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट में इस बात को रखा था कि आरोपियों ने वारदात के दौरान शराब नहीं पी रखी थी। उन्होंने खुलासा किया है कि जब आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था तो उसके बाद कराए गये मेडिकल जांच में शराब पीने की पुष्टि नहीं हुई थी। दक्षिण जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अदालत में मानव संरचना से जुड़ी ह्यूमन एनाटॉमी की अधिकृत किताबें रखी गई थीं।
इन किताबों के द्वारा अदालत को यह बताया गया था कि दोषियों ने छात्रा को जो चोट पहुंचाई उससे छात्रा के शरीर का कौन सा हिस्सा कितना और किस तरह क्षतिग्रस्त हुआ था। ये भी बताया गया था कि कौन-कौन सी चोटें छात्रा की मौत का कारण बनी। छात्रा के शरीर के अंदर जो चोटें थीं उसने देश और अदालत को झकझोर कर रख दिया था। पुलिस ने अदालत के सामने अस्पताल में उपचार के कागजात और डॉक्टरों के बयानों को मैच कराया और ये सिद्ध किया कि, आम इंसान ऐसा गंभीर अपराध नहीं कर सकता। छात्रा के शरीर के बाहरी हिस्से पर काटने के निशान थे।
ये
सच
है
कि
16
दिसंबर
की
उस
खौफनाक
काली
रात
को
याद
करना
आसान
नहीं
है
मगर
आज
फैसले
की
घड़ी
है
और
देश
उन
दरिंदों
के
लिये
फांसी
की
मांग
कर
रहा
है।
ऐसे
में
जरुरी
है
कि
फिर
से
उस
दर्द
को
महसूस
किया
जाये
और
इंकलाब
की
लकीरों
में
ढलें
उन
आवाजों
(वी
वांट
जस्टिस...
वी
वांट
जस्टिस)
को
बुलंद
किया
जाये
जो
उस
वक्त
देश
के
हर
कोने
में
सुनाई
दे
रहे
थे।
ऐसा
इसलिये
क्योंकि
चुप्पियां
टूट
रही
हैं
कि
बदलो...बदलो...
और
बदलो...
अपनी
बुनियाद
को
बदलो।
जी
हां
ये
आवाज
एक
देश
के
लिये
है
जो
रात
के
घने
अंधेरे
में
सबको
अपना
लगे।
कोर्ट में आरोपी चिल्लाया, 'मैं निर्दोष हूं'
जहां पूरा देश इन दोषियों के लिए मौत की मांग रहा है तो वहीं एक गुनहगार अपने आपको निर्दोष बता रहा है। दोषी करार दिए जाने के बाद कोर्ट से निकलते हुए और पुलिस वैन में दाखिल होते वक्त एक दरिंदा चिल्लाता रहा। मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए और अपनी बात पहुंचाने के लिए पुलिस की वैन में बैठते वक्त वो जोरृ-जोर से चिल्लाने लगा कि मैं निर्दोष हूं...मैं निर्दोष हूं। मैंने कुछ नहीं किया। वो तबतक चिल्लाता रहा जबतक कि पुलिस की वैन मीडिया की पहुंच से दूर नहीं हो गयी। हलांकि सभी दोषियों के चेहरे पर कपड़े से ढ़के होने के कारण ये पता नहीं चल पाया कि चारों में से कौन सा दरिंदा अपने आप को इन घिनौनी करतूत करने के बाद भी निर्दोष बता रहा है।
दामिनी बेहोश हो जाती फिर वो उसे मारते और बलात्कार करते
दामिनी ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज करवाया था और बताया था कि वो दरिंदे चलती बस में उसे एक घंटे तक यातनाएं देते रहे। उसने बताया था कि वो बार-बार बेहोश हो जाती, वे उसे होश में लाने के लिए और मारते फिर उसके साथ बलात्कार करते।
कौन-कौन सी धाराएं लगीं?
- धारा 302 यानि हत्या की धारा, इसमें उम्रकैद से फांसी तक की सजा है।
- 376(2G) यानि गैंगरेप- इसमें 10 साल से लेकर उम्रकैद की सजा है।
- धारा 307 यानि हत्या की कोशिश- इसमें 10 साल कैद की सजा है।
- धारा 394 यानि लूट और चोट पहुंचाना- इसमें 10 साल कैद है।
- धारा 395 यानि डकैती- इसमें उम्रकैद का प्रावधान है।
- धारा 386 डकैती के साथ हत्या- इसमें उम्रकैद या फांसी का प्रावधान है।
मुकेश सिंह
मुकेश सिंह राम सिंह का छोटा भाई है। उम्र लगभग 20 वर्ष। वह भी रविदास कालोनी में ही रहता था। इस पर आरोप है कि उसने बलात्कार की वारदात को अंजाम देने के बाद छात्रा और उसके दोस्त के सिर पर लोहे की रॉड से वार किया। जब छात्रा से छेड़छाड़ शुरू हुई, तब राम सिंह की जगह मुकेश ही ड्रार्इवर की सीट पर आकर बैठ गया था।
विनय शर्मा
20 वर्षीय विनय जिम में असिस्टेंट फिटनेस ट्रेनर था। वह भी रविदास कालोनी में ही रहता था और मुकेश सिंह का पक्का दोस्त भी। इन सभी आरोपियों में यही एक है, जो पढ़ा लिखा है और अंग्रेजी समझ व बोल सकता है। इसने स्नातक प्रथम वर्ष तक पढ़ाई की है। विनय के वकील का कहना है कि वह उस रात दिल्ली में था ही नहीं। वह अन्य आरोपी पवन गुप्ता के साथ म्यूजिक फंशन में गया था।
अक्षय ठाकुर
28 वर्षीय अक्षय ठाकुर बिहार का रहने वाल है और उसे पुलिस ने 21 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। वह बस में क्लीनर का काम करता था। उसने पिछले साल ही पढ़ाई छोड़ दी थी। अक्षय शादीशुदा है और उसका एक बेटा भी है। अक्षय का दावा है कि वह उस रात बिहार के लिये वारदात से पहले ही रवाना हो चुका था।
पवन गुप्ता
19 वर्षीय पवन गुप्ता परचून की दुकान लगाता था। रिपोर्ट के अनुसार वारदात को अंजाम देने के बाद सबसे घिनौना काम इसी ने किया। उसने लड़की की कमर के नीचे के हिस्से पर रॉड से हमला किया। जबकि उसके पिता हीरालाल का दावा है कि उस पर झूठा मुकदमा चलाया गया है। पिता के अनुसार उसने दोपहर को दुकान बंद की उसके बाद घर पर ही चिकन खाने व शराब पीने के बाद वह पास में ही एक म्यूजिक फंशन में चला गया। बाद में वह खुद वहां से उसको घर लाये।
दिल्ली गैंगरेप के दोषियों को मिले फांसी तो रुकेगी वारदात
दिल्ली गैंगरेप के पर बोलते हुए बीजेपी की वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि चारों दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए तभी इस देश में गैंगरपे और रेप जैसे वारदात कम होंगे।