नोटबंदी बेअसर: 15 महीने के अंदर सर्कुलेशन में वापस लौट आया उतना ही कैश
नोटबंदी बेअसर: सर्कुलेशन में वापस लौट आई उतना ही कैश
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के शासनकाल का सबसे बड़ा फैसला था नोटबंदी। देशभर में 500 और 1000 के नोट को अचानक चलन से बाहर कर दिया गया। सरकार ने दावा किया कि इससे न केवल भ्रष्टाचार और ब्लैकमनी को रोकने में कामयाबी मिलेगी बल्कि देश को डिजिटलाइजेशन की राहत पर ले जाया जास सकेगा, लेकिन ताजा आंकड़ों से सरकार के दावों की पोल खोल दी है। देश में करेंसी का सर्कुलेशन एक बार फिर वहीं हो गया है जो नोटबंदी के पहले था। वर्तमान में देश में करेंसी का सर्कुलेशन नोटबंदी से पहले के स्तर का 99.17 फीसदी हो चुका है। ये आंकड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में पेश किए हैं।
नोटबंदी रहा बेअसर
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 23 फरवरी 2018 तक अर्थव्यवस्था में 17.82 लाख करोड़ रुपए सर्कुलेशन में हैं। जबकि 4 नवंबर 2017 तक ये आंकड़ा 17.97 लाख करोड़ रुपए का था। यानी नोटबंदी का करेंसी सर्कुलेशन पर कोई असर नहीं हुआ।
अर्थव्यवस्था से बाहर हो गई थी करेंसी
आपको बता दें कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद प्रतिबंधित करेंसी को वापस लिए जाने के बाद अर्थव्यवस्था से करीब 8 लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रा को वापस ले लिया था। प्रतिबंधित करेंसी की जगह नई करेंसी लाई गई। सरकार ने डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाया, लेकिन सरकार की ये कोशिश बेअसर होती दिखी। जनवरी 2018 के बाद देश में करेंसी ट्रांजैक्शन बढ़कर 89,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
कैशलेस इकोनॉमी का सपना हुआ चूर-चूर
सरकार ने नोटबंदी के दौरान दावा किया था कि इससे न केवल कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भ्रष्टाचार और कालाधन को रोकने में कामयाबी मिलेगी, लेकिन आरबीआई के ताजा आंकड़ों ने सरकार की नींद उड़ा दी है।करेंसी सर्कुलेशन का ये स्तर साबित करता है कि लोगों ने डिजिटल ट्रांजैक्शन को नकार दिया है।