ऑस्ट्रेलिया पर बांग्लादेश और इंग्लैंड पर वेस्टइंडीज की जीत से क्यों खुश है कांग्रेस?
मोदी-शाह को चुनौती देगा चिदंबरम का ये 'विजय मंत्र'
नई दिल्ली। टेस्ट मैचों में दुनिया की सबसे मजबूत माने जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को बांग्लादेश ने मात देकर पूरे क्रिकेट जगत में सनसनी फैला दी है। उधर, वेस्टइंडीज की कमजोर माने जाने वाली टीम ने इंग्लैंड को लीड्स टेस्ट में करारी शिकस्त दे डाली। क्रिकेट की दुनिया में हुए ये दोनों उलटफेर से कांग्रेस बड़ी खुश है। यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे दिग्गज कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर खुशी का इजहार किया है। मोदी-शाह के हाथों एक के बाद एक मिल रहीं चुनावी हार से दुखी कांग्रेस में उत्साह फूंकने के लिए चिदंबरम ने ट्वीट किया- बांग्लादेश ने ऑस्ट्रेलिया को हराया, वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को। सीख- कुछ भी असंभव नहीं।
'कुछ भी असंभव नहीं', चिदंबरम की इस बात में दम तो है। अब बीजेपी को ही ले लीजिए, उसने भी कहां सोचा था कि जिस नोटबंदी को वह कालाधन पर सबसे बड़ी चोट के तौर पर पेश कर रही थी, आरबीआई की रिपोर्ट के बाद उसकी हवा निकल जाएगी। किसने सोचा था कि भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार लालू यादव को विधानसभा चुनाव में बंपर सीटें मिलेंगी और यह भी किसने सोचा था कि लालू-नीतीश कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर लेंगे। ये सब भी छोडि़ए, किसने सोचा था कि कभी पानी पी-पीकर मोदी को कोसने वाले नीतीश 20 महीने बाद ही पाला बदलकर वापस एनडीए में आ जाएंगे। ऐसे में चिंदबरम की बात तो सही है, कांग्रेस को कार्यकर्ताओं में उत्साह फूंकने के लिए प्रयास करने चाहिए। बस दिक्कत एक ही है और वो ये कि चिदंबरम की बात पार्टी के शीर्ष नेतृत्व मतलब सोनिया और राहुल गांधी तक कितनी जल्दी पहुंचती है।
चिदंबरम ने कुछ दिनों पहले हुए गुजरात राज्यसभा चुनाव के बाद भी पाटी के संगठन को मजबूत करने की बात कही थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश से लेकर दिग्विजय सिंह और मणिशंकर अय्यर तक कांग्रेस में बदलाव की बात कह चुके हैं। इन सबको भी छोडि़ए कांग्रेस में पिछले चार साल से राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की बात चल रही है, लेकिन एक के बाद एक चुनाव हारने के बाद भी पार्टी में बदलाव लंबित पड़ा है। कांग्रेस के लिए अब दो ही बातें हैं, जो उसे आशा किरण दिखाती हैं। एक- चिदंबरम का ट्वीट- कुछ भी असंभव नहीं है और दूसरा कांग्रेस की शानदार कमबैक हिस्ट्री।
कमबैक किंग मानी जाती है कांग्रेस
- 1967 में 9 राज्यों में बनी गैर कांग्रेसी सरकारों के दौर में कई बड़े राजनीतिक विश्लेषकों ने कांग्रेस के दौर के अंत की घोषणा कर दी थी, लेकिन पार्टी ने वापसी की और इंदिरा गांधी को 1971 में भारी बहुमत मिला।
- 1975 में इमरजेंसी इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई, जिसके खिलाफ पूरे देश में कांग्रेस के प्रति गुस्से का माहौल व्याप्त था और 1977 के चुनाव में पार्टी को अंजाम भुगतना भी पड़ा, लेकिन 3 साल बाद फिर कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की।
- 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भी कांग्रेस की हालत खराब हो चली थी, लेकिन राजीव गांधी ने 400 से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता हासिल की। राजीव गांधी के बाद नरसिम्हा राव ने कांग्रेस की कमान संभाली।
- 90 का दशक कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं रहा, लेकिन 2004 में कांग्रेस ने संभाली और 10 साल देश पर राज किया।