कोवैक्सिन में नहीं है नवजात बछड़े का सीरम, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सामने रखी ये सच्चाई
नई दिल्ली, 16 जून: कोवैक्सिन वैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम मिले होने की अफवाहों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तथ्यों के साथ सच्चाई सामने रख दी है। केंद्र सरकार ने कुछ सोशल मीडिया पोस्ट पर इसको लेकर किए जा रहे दावों को पूरी तरह से खारिज करते हुए वैक्सीन निर्माण की असल प्रक्रिया की जानकारी दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि सोशल मीडिया पोस्ट पर कोवैक्सिन को लेकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर और गलत तरीके से पेश किया गया है। सरकार के मुताबिक नवजात बछड़े का सीरम सिर्फ वेरो सेल को विकसित करने में इस्तेमाल होता है, जिसका फाइनल वैक्सीन बनने से कोई लेना-देना नहीं है।
कोवैक्सिन
से
जुड़ी
अफवाहों
पर
स्वास्थ्य
मंत्रालय
ने
रखे
तथ्य
केंद्रीय
स्वास्थ्य
मंत्रालय
की
ओर
से
मिथक
और
तथ्यों
के
साथ
जारी
बयान
में
कहा
गया
कि
नवजात
बछड़ों
के
सीरम
का
इस्तेमाल
सिर्फ
वेरो
सेल
बनाने
के
लिए
किया
जाता
है।
इसके
मुताबिक
वेरो
सेल
के
विकास
के
लिए
दुनियाभर
में
सामग्री
तैयार
करने
के
लिए
जानवरों
का
सीरम
उपयोग
में
लाया
जाता
है;
और
वेरो
सेल
का
उपयोग
सिर्फ
सेल
के
जीवन
को
स्थापित
करने
के
लिए
होता,
जिससे
वैक्सीन
के
उत्पादन
में
मदद
मिलती
है।
यह
तकनीक
दशकों
से
पोलियो,
रेबिज
और
इंफ्लूएंजा
वैक्सीन
के
निर्माण
के
लिए
किया
जा
रहा
है।
अफवाहों
पर
न
जाएं,
तथ्यों
पर
ध्यान
दें
जब
वेरो
सेल
विकसित
हो
जाता
है
तो
उसे
पानी
और
रसायनों
के
साथ
कई
बार
धोया
जाता
है,
ताकि
बछड़े
का
सीरम
उससे
पूरी
से
साफ
हो
कर
हट
जाए।
जब
धुलाई
की
यह
प्रक्रिया
पूरी
हो
जाती
है,
तब
वेरो
सेल
को
वायरल
ग्रोथ
के
लिए
कोरोना
वायरस
से
संक्रमित
कराया
जाता
है।
वायरल
ग्रोथ
की
प्रक्रिया
के
दौरान
वेरो
सेल
पूरी
तरह
से
तबाह
हो
जाता
है।
उसके
बाद
विकसित
हुए
वायरस
को
भी
मार
दिया
(इनैक्टिव
कर
दिया)
जाता
है
और
फिर
उसे
शुद्ध
कर
लिया
जाता
है।
इसके
बाद
फाइनल
वैक्सीन
तैयार
करने
में
मृत
वायरस
का
इस्तेमाल
होता
है
और
उस
वैक्सीन
में
बछड़े
का
सीरम
नहीं
होता।
कोवैक्सिन
में
नहीं
है
नवजात
बछड़े
का
सीरम
स्वास्थ्य
मंत्रालय
ने
स्पष्ट
तौर
पर
कहा
है
कि
फाइनल
वैक्सीन
या
कोवैक्सिन
में
नवजात
बछड़े
का
सीरम
नहीं
होता
और
फाइनल
वैक्सीन
के
उत्पादन
में
बछड़े
के
सीरम
का
सामग्री
के
तौर
पर
इस्तेमाल
नहीं
होता।