पहली डोज के बाद कोवैक्सिन के मुकाबले कोविशील्ड बनाती है ज्यादा एंटीबॉडी: ICMR डीजी
पहली डोज के बाद कोविशील्ड बनाती है ज्यादा एंटीबॉडी:
नई दिल्ली, 21 मई: देश में इस समय कोरोना की दो वैक्सीन दी जा रही हैं। एक स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन है, जो भारत बोयेटेक की है। वहीं दूसरी सीरम इंस्टीट्यूट में बन रही कोविशील्ड है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है कि दोनों वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद कोविशील्ड के रिजल्ट कोवैक्सीन से ज्यादा असरदार रहे हैं। उनका कहना है कि पहली डोज के बाद कोवैक्सीन के मुकाबले कोविशील्ड से ज्यादा एंटीबॉडी बनती है।
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कोविशील्ड की दोनों खुराकों के बीच समय को तीन बार बढ़ाया जा चुका है। वहीं कोवैक्सिन की खुराकों के गैप को नहीं बढ़ाया गया है। इसको लेकर आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने कहा है कि कोवैक्सिन की पहली डोज के बाद ज्यादा एंटीबॉडी नहीं बनती, वो सेकंड डोज के बाद बनती है। जबकि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज के बाद ही अच्छी संख्या में एंटीबॉडी बन जाती है। यही वजह है कि सिर्फ कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोज के बीच में अंतराल बढ़ाया गया है।
आईसीएमआर चीफ का कहना है कि वैक्सीन के जो रिजल्ट रहे हैं, उन आंकड़ों को तीन कमेटियों ने देखा है। इसके बाद तय किया गया कि कोविशील्ड की पहली और दूसरी डोज के बीज 12 हफ्ते का गैप हो सकता है। वहीं कोवैक्सीन के दो डोज के बीच 4 हफ्ते का गैप ही रहना चाहिए।
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जून से चल रहा है टीकाकरण
देश में 16 जून से कोरोना टीकाकरण शुरू किया गया था। देश में दो वैक्सीन दी जा रही हैं। इनमें से एक है सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड, जिसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। दूसरी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन है, जो स्वदेशी है। दोनों ही वैक्सीन 18 साल से ज्यादा के लोगों को लगाई जा रही हैं। हाल ही में रूस की वैक्सीन स्पुतनिक वी को भी भारत में मंजूरी दे दी गई है।