क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरोना वायरस: 'रेड' हॉटस्पॉट ज़ोन कैसे और कब बदलेगा 'ग्रीन' ज़ोन में

अगर आप रेड ज़ोन में हैं, तो 20 अप्रैल के बाद भी आपके इलाक़े में लॉकडाउन में ढील नहीं मिलेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि रेड ज़ोन से किसी इलाक़े को सीधे ग्रीन ज़ोन का स्टेटस नहीं मिलेगा. इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सुडान ने सभी राज्य सरकारों को चिट्ठी लिखी है. बीबीसी के पास उस चिट्ठी की कॉपी मौजूद है. इस चिट्ठी में राज्य सरकारों को दिशा निर्देश दिए गए हैं, 

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
लॉकडाउन
Getty Images
लॉकडाउन

बहुत मुमकिन है कि इस कहानी को पढ़ते वक़्त आपको पता हो कि आप किस ज़ोन में रहते हैं.

जिनको नहीं पता है, उनकी समस्या हम हल कर देते हैं.

इस लिंक पर क्लिक करके आप आसानी से पता लगा लेंगे कि आपका इलाक़ा कोरोना वायरस के ख़तरे को लेकर किस स्तर पर हैं.

किस ज़ोन का क्या मतलब है?

अगर आप रेड ज़ोन में हैं - तो स्थिति सबसे ज़्यादा ख़तरनाक है.

अगर आप ऑरेंज ज़ोन में हैं - तो स्थिति ख़तरनाक तो है पर रेड से कम.

अगर आप ग्रीन ज़ोन में हैं - तो सेफ़ हैं.

कोरोना वायरस लॉकडाउन
Getty Images
कोरोना वायरस लॉकडाउन

3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में देश की जनता को एक बड़ा प्रलोभन दिया था.

उन्होंने कहा, "20 अप्रैल तक हर शहर, हर पुलिस स्टेशन, हर ज़िले, हर राज्य को लॉकडाउन के नियमों का सख़्ती से पालन करना होगा. केंद्र सरकार आप पर कड़ी नज़र रखेगी. अगर इस एक हफ़्ते में आपका इलाका हॉटस्पॉट नहीं रहेगा, या फिर हॉटस्पॉट ज़ोन में तब्दील होने की संभावना कम होगी, तो आपको 20 अप्रैल के बाद कुछ छूट दी जाएगी."

प्रधानमंत्री के भाषण के बाद केंद्र सरकार ने 170 हॉटस्पॉट चिह्नित किए हैं, जिन्हें रेड ज़ोन घोषित किया गया है. इसके अलावा 207 इलाक़ों को नॉन हॉटस्पॉट यानी ऑरेंज ज़ोन घोषित किया है.

देश में कुल 708 ज़िले हैं. रेड और ऑरेंज के अलावा बाक़ी ज़ोन ग्रीन ज़ोन होंगे.

लॉकडाउन
Getty Images
लॉकडाउन

कैसे बदलेगा 'रेड ज़ोन' 'ग्रीन ज़ोन' में

अगर आप रेड ज़ोन में हैं, तो 20 अप्रैल के बाद भी आपके इलाक़े में लॉकडाउन में ढील नहीं मिलेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि रेड ज़ोन से किसी इलाक़े को सीधे ग्रीन ज़ोन का स्टेटस नहीं मिलेगा.

इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सुडान ने सभी राज्य सरकारों को चिट्ठी लिखी है. बीबीसी के पास उस चिट्ठी की कॉपी मौजूद है.

इस चिट्ठी में राज्य सरकारों को दिशा निर्देश दिए गए हैं, जिसके मुताबिक़ रेड ज़ोन से ऑरेंज ज़ोन का स्टेटस बदलने में कम से कम 14 दिन का वक़्त लगेगा और ग्रीन ज़ोन का स्टेटस मिलने में कम से कम 28 दिन का वक़्त निर्धारित किया गया है.

कोरोना
Getty Images
कोरोना

केंद्र सरकार ने ये स्पष्ट किया है कि ये ज़ोन स्थायी नहीं हैं.

28 दिन तक एक भी पॉज़िटिव केस ना आने पर किसी ज़ोन को ग्रीन ज़ोन घोषित किया जा सकता है.

हर सोमवार को राज्य सरकारों को तीनों ज़ोन में आने वाले इलाक़ों की समीक्षा करनी होगी.

यानी 20 अप्रैल के बाद छूट मिलने की संभावना केवल आरेंज़ और ग्रीन ज़ोन में रहने वालों के लिए होगी.

रेड ज़ोन वालों को 3 मई के बाद भी लॉकडाउन में छूट के लिए इंतज़ार करना पड़ सकता है.

सरकार की रणनीति

इसके लिए सरकार ने दो तरह की रणनीति बनाई है.

क्लस्टर कंटेनमंट स्ट्रेजी - केंद्र सरकार के मुताबिक़ एक इलाक़े में अगर एक साथ 15 मरीज़ पॉज़िटिव पाए जाते हैं, तो वहां राज्यों और ज़िलों को निर्देश है कि क्लस्टर कंटेनमेंट स्ट्रेजी लागू करें.

इसमें इलाक़े के एंट्री और एक्ज़िट प्वाइंट को तय किया जाता है. अलग टीम गठित की जाती है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, नगर निगम, रेवेन्यू और वॉलेंटियर होते हैं. इनका काम कॉंटेक्ट ट्रेसिंग और डोर टू डोर सर्वे का होता है.

170 में से 47 हॉटस्पॉट इलाक़ों में सरकार इस रणनीति के साथ काम कर रही है.

लार्ज आउटब्रेक स्ट्रेजी - ये उन इलाक़ों के लिए है जहां, एक साथ कई क्लस्टर देखने को मिलते हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक़ 170 हॉटस्पॉट में से 123 में लार्ज आउटब्रेक स्ट्रेजी पर सरकार काम कर रही है.

ज़ोन में बांटने का पैमाना क्या है?

रेड हॉटस्पॉट ज़ोन कैसे और कब बदलेगा ग्रीन ज़ोन में

केंद्र सरकार ने ये भी बताया कि किस इलाक़े की किस आधार पर अलग-अलग ज़ोन में बांटा गया है. संयुक्त स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल के मुताबिक़ रेड ज़ोन उन इलाक़ों को घोषित किया गया है

• जहां कोरोना सक्रमित लोगों का केस लोड 80 फ़ीसदी है या फिर

• कोरोना के मरीज़ों की डबलिंग रेट ज़्यादा है.

केस लोड का मतलब ये कि उस इलाक़े से राज्य के तकरीबन 80 फ़ीसदी कोरोना पॉजिटिव केस रिपोर्ट किए जा रहे हैं. आसान शब्दों में समझें तो वो इलाक़े जहां ज़्यादा कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ हैं.

डबलिंग रेट का मतलब किस दर से इलाक़े में कोरोना संक्रमित मरीज़ों की संख्या दोगुनी हो रही है. जिस इलाक़े में चार दिन से कम में कोरोना पॉजिटिव मरीज़ की संख्या दोगुनी हो रही होगी, वो रेड ज़ोन में डाले गए हैं.

आरेंज ज़ोन जिन्हें सरकार नॉन-हॉटस्पॉट ज़ोन कह रही है उनको बनाने का पैमाना है-

• यहां मरीज़ों की संख्या रेड ज़ोन के मुक़ाबले कम है

• लेकिन ध्यान ना देने पर ये कभी भी रेड ज़ोन में जा सकते हैं.

उसी तरह से ग्रीन ज़ोन का मतलब है-

• उन इलाक़ों में कोरोना के एक भी मरीज़ नहीं है.

• लेकिन इन इलाक़ों में सबसे बड़ा चैलेंज है कि वो रेड ज़ोन में तबदील ना हों.

ज़ोन का कितना फ़ायदा मिलेगा?

सरकार के मुताबिक़ आगरा और भीलवाड़ा में इसी रणनीति से काम करते हुए उन्हें सफलता मिली है. लेकिन कुछ डॉक्टर इसके पक्ष में नहीं है.

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के चेयरमैन डॉ एसपी बयोत्रा कहते हैं, "इलाक़ों को ज़ोन में बांटना अभी बहुत जल्दबाज़ी का क़दम है. इसके लिए कम से कम और दो हफ्ते का इंतज़ार करना चाहिए. ताकि सबकुछ सेटल हो जाए. घनी आबादी वाले देश में फ़िलहाल ज़ोनों की लकीरें खिंचना बहुत मुश्किल है."

डॉक्टरों का कहना है कि कुछ संक्रमित लोग एसिम्टोमेटिक होते हैं यानी उनमें कोई लक्षण दिखता ही नहीं. अगर किसी तय ज़ोन में लोगों का आना-जाना शुरू कर दिया जाएगा तो इससे लोगों का एक्सपोजर बढ़ जाएगा.

डॉ बयोत्रा कहते हैं, "इस तरह अगर इलाक़ों को ज़ोन में बांटा गया, तो फ़िलहाल उलटा भी पड़ सकता है. इसलिए इस मामले में कम से कम दो हफ्ते का इंतज़ार करना चाहिए. अगर सोच ये है कि पिछले कुछ दिनों में स्थिति में आए सुधार को देखते हुए ज़ोन बनाए जा सकते हैं तो मुझे लगता है कि अभी ज़ोन बांटने का काम नहीं करना चाहिए."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Coronavirus: How and when the 'Red' hotspot zone will change to 'Green' zone
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X