क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अच्‍छे भले आदमी को एड्स पीडि़त बता इलाज करता रहा डॉक्‍टर, लगा 5 लाख का जुर्माना

Google Oneindia News

पटना। डॉक्‍टर जब किसी मरीज को यह बताता है कि वह एड्स से पीडि़त है तो मरीज की आधी जान तो उसी वक्‍त निकल जाती है। इतने सालों की रिसर्च के बाद भी मेडिकल साइंस को अब तक वह नुस्‍खा नहीं मिल सका है, जिससे इस बीमारी को जड़ से मिटाया जा सके। अब जरा सोचिए अगर कोई व्‍यक्ति पूरी तरह स्‍वस्‍थ हो उसे कह दिया जाए कि वह एड्स जैसी बीमारी से ग्रस्‍त है तो उस पर क्‍या गुजरेगी। पटना से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां एक निजी अस्‍पताल के डॉक्‍टर ने एक शख्‍स की जिंदगी को परेशानियों से भर दिया। निजी अस्‍पताल की लापरवाही सिर्फ इतनी ही नहीं बल्कि उसने उपभोक्‍ता फोरम के आदेश का भी पालन नहीं किया। पीडि़त व्‍यक्ति ने अब एक बार फिर उपभोक्‍ता फोरम से न्‍याय की गुहार लगाई है।

पटना की एसके लैब में टेस्‍ट के बाद एचआईवी पॉजिटिव आई थी रिपोर्ट

पटना की एसके लैब में टेस्‍ट के बाद एचआईवी पॉजिटिव आई थी रिपोर्ट

प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक, सात मार्च 2012 को लाल बाबू भगत कुछ तकलीफ की वजह से शेखपुरा राजाबाजार स्थित बिमल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पहुंचे। यहां लाल बाबू को एचआईवी टेस्‍ट कराने के लिए पटना की एसके लैब भेजा गया। रिपोर्ट के आधार पर डॉक्‍टर बिमल ने खुद भी जांच की और लाल बाबू का एड्स का इलाज भी शुरू कर दिया। चूंकि, एड्स का इलाज महंगा होता है, इसलिए लाल बाबू पीएमसीएच पहुंचे। यहां डॉक्‍टर उनकाा टेस्‍ट कराया तो रिपोर्ट एकदम नॉर्मल आई। जांच के बाद उनके हाथ में जो रिपोर्ट आई, वह एचआईवी नेगेटिव थी। जांच के बाद गुस्‍से से भरे लाल बाबू उपभोक्‍ता फोरम पहुंचे और केस दर्ज कराया।

अब तक नहीं मिला जुर्माने का पैसा, दोबारा फोरम के पास पहुंचे लाल बाबू

अब तक नहीं मिला जुर्माने का पैसा, दोबारा फोरम के पास पहुंचे लाल बाबू

उपभोक्‍ता फोरम के पास मामला पहुंचने के बाद सुनवाई शुरू हुई। उपभोक्‍ता फोरम ने निजी अस्‍पताल और डॉक्‍टर को कई बार नोटिस भेजे, लेकिन कोई पेश नहीं हुआ। लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार फैसला लाल बाबू के हक में आया और निजी अस्‍पताल व चिकित्‍सक पर पांच लाख का जुर्माना लगाया गया, लेकिन लाल बाबू को अब तक पैसा नहीं मिला है। जुर्माने का पैसा न मिलने के बाद लाल बाबू ने अब दोबारा उपभोक्‍ता फोरम का दरवाजा खटखटाया है।

देर से भेजी गई संबंधित पक्ष को निर्णय की कॉपी

देर से भेजी गई संबंधित पक्ष को निर्णय की कॉपी

जानकारी के मुताबिक, जिला उपभोक्‍ता फोरम की डिस्ट्रिक्‍ट सेशन जज (रिटायर्ड) निशा नाथ ओझा और फोरम की सदस्‍य करिश्‍मा मंडल की संयुक्‍त पीठ ने 2018 में यह फैसला सुनाया था। हालांकि, निर्णय की औपचारिक कॉपी काफी देर से अगस्‍त 2018 में संबंधित पक्ष तक भेजी गई। उपभोक्‍ता फोरम ने अपने फैसले में माना कि इस मामले में पीडि़त को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी।

Comments
English summary
Consumer forum imposes penalty for wrong hiv test report
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X