भाजपा के खिलाफ फिर एकजुट होगी NCP और INC, 2014 में टूटा था गठबंधन
बैठक में करीब-करीब कांग्रेस और एनसीपी के एक साथ आने पर सहमति बन गई है। हालांकि अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और एनसीपी चीफ शरद पवार की मुलाकात के बाद होगा।
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और एनसीपी एक दूसरे के साथ गठबंधन करने की तैयारी में है और इसके साथ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद भी शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव में करीब एक साल ही बचे है लिहाजा पुराने राजनीतिक सनमीकरण टूट रहे है और एक नया राजनीतिक समीकरण बनता हुआ दिख रहा है। मंगलवार को कांग्रेस-एनसीपी नेताओं की बैठक हुई। विधानसभा में नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटील के सरकारी बंगले पर हुई इस बैठक में दोनों पार्टियों के प्रदेश के बड़े नेता मौजूद थे। इस बैठक में करीब-करीब कांग्रेस और एनसीपी के एक साथ आने पर सहमति बन गई है। हालांकि अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और एनसीपी चीफ शरद पवार की मुलाकात के बाद होगा।
राजस्थान के उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित है विपक्ष
कांग्रेस -एनसीपी नेताओं की बैठक के अजेंडा में तीन मुख्य मुद्दे थे। पहला मुद्दा था 22 फरवरी से शुरू होने जा रहे राज्य विधानमंडल के बजट सत्र में विपक्ष की रणनीति तय करना, दूसरा मुद्दा था महाराष्ट्र में लोकसभा की दो सीटों के लिए होने वाले उप चुनाव और आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा कर सहमति बनाना। दोनों दलों के प्रदेश नेतृत्व का मानना है कि अगर गठबंधन करके पूरी ताकत से लड़ा जाए, तो राजस्थान की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी भाजपा को हराया जा सकता है। खासतौर से ऐसी स्थिति में, जब केंद्र एवं राज्य में उसका सहयोगी दल शिवसेना भी उसके विरोध की भूमिका निभा रहा हो।
पुरानी कटुता हुई खत्म
बैठक में एनसीपी की तरफ से प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे, अजित पवार, जयंत पाटील, दिलीप वलसे पाटील और कांग्रेस की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण, नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटील, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और पूर्व मंत्री नसीम खान जैसे दिग्गज नेता उपस्थित थे। बैठक की खास बात यह रही कि 2014 में 'हाथ' और 'घड़ी' का साथ छूटने से जो कटुता पैदा हुई थी, वह पूरी तरह गायब थी। सभी नेता 2019 में साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार थे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा, 'सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को एकजुट करने के बारे में चर्चा हुई। भविष्य में एक साथ मिलकर कैसे काम करना है इस पर चर्चा हुई। दोनों तरफ की कटुता अब समाप्त हो गई है।'
बीजेपी को झटका लग सकता है
आपको बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनावों से पहले इन दोनों दलों ने अपने गठबंधन को खत्म कर दिया था। नतीजतन 15 वर्षों से महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ यह गठबंधन सत्ता से बाहर हो गया था। ऐसे वक्त में जब लोकसभा चुनावों में केवल एक साल का समय बचा है, इस तरह से एनडीए के घटक दलों के बागी तेवर और विपक्षी कांग्रेस के अपने कैंप को मजबूत करने की कोशिशों बीजेपी के लिए समस्या बन सकती हैं।
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