#Gujarat Result: अगर शंकर सिंह वाघेला साथ होते तो कांग्रेस की तस्वीर कुछ और होती!
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव जानबूझकर हार गई
नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जनता ने बीजेपी पर ही भरोसा जताया है। बीजेपी के लिए हालांकि यह जीत 2012 चुनाव से बड़ी नहीं है मगर अगले 5 साल तक राज्य में बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा। वहीं, कांग्रेस ने इस बार के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन जरूर किया है। लेकिन कांग्रेस फिर एक बात सत्ता पाने में नाकाम साबित हुई है। राहुल ने पूरा जोर लगाया, पार्टी का प्रदर्शन भी बेहतर हुआ, लेकिन वह बीजेपी को लगातार छठी बार गुजरात की सत्ता पर काबिज होने से रोक पाए। जानकारों का मानना है कि पुराने कांग्रेसी नेता शंकर सिंह वाघेला इस चुनाव के दौरान अगर राहुल गांधी के साथ होते तस्वीर आज कुछ और होती। शंकरसिंह वाघेला की बात करें तो गुजरात की राजनीति में वे एक बेहद अहम शख्सियत रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के कद्दावर नेताओं में उनका नाम है।
राहुल गांधी के पास मेरा विकल्प था
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव जानबूझकर हार गई। गुजरात में कांग्रेस के जीतने की पूरी संभावना थी। हमने पहले ही कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को हमवर्क करने के लिए कहा था लेकिन इसपर कुछ ध्यान ही नहीं दिया गया। शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि बीजेपी सरकार की कमियों का फायदा उठाने में कांग्रेस पार्टी नाकाम रही। गुजरात की जनता में जो मणिशंकर अय्यर को सोच समझकर बोलना चाहिए। मणिशंकर के बयान ने पूरी जनता के मिजाज को बदलने का काम किया। गुजरात की जनता ने यह समझा कि क्या हम नीच हैं? बीजेपी ने मणिशंकर अय्यर के बयान को अपने पक्ष में भुना लिया।
उम्मीदवारों के गलत चयन से हारी कांग्रेस
शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि जो किलिंग इंस्टिंक्ट बीजेपी में है वह कांग्रेस के अंदर नहीं है। पार्टी को इसपर विचार करने की जरूरत है। हमने इनको पहले भी कहा था लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई। राहुल जी इनोसेंट हैं, लेकिन पुराने लोग जो उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं उनलोगों को सही मार्गदर्शन करना चाहिए। शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि गलत उम्मीदवारों के चयन से कांग्रेस की हार हुई।
शंकर सिंह वाघेला की कमी खली
राहुल
गांधी
के
पूरे
चुनाव
प्रचार
को
देखा
जाए
तो
उनके
साथ
हर
कदम
पर
गुजरात
के
प्रभारी
अशोक
गहलोत
खड़े
नजर
आए।
गहलोत
के
अलावा
गुजरात
कांग्रेस
के
अध्यक्ष
भरत
सिंह
सोलंकी,
अर्जुन
मोढवाडिया
और
शक्तिसिंह
गोहिल
ही
राहुल
के
साथ
सार्वजनिक
मंचों
पर
नजर
आए।
गुजरात
में
कांग्रेस
के
ये
वो
स्थानीय
नेता
हैं,
जो
खुद
चुनावी
राजनीति
में
पिछड़
गए
हैं।
अर्जुन
मोढवाडिया
कांग्रेस
के
वरिष्ठतम
नेताओं
में
शुमार
हैं
और
वो
पोरबंदर
सीट
से
2012
के
बाद
एक
बार
फिर
चुनाव
हार
गए
हैं।
दूसरी
तरफ
शक्तिसिंह
गोहिल
की
बात
की
जाए
तो
वो
भी
इस
बार
चुनाव
हार
गए
हैं।
2012
में
वो
अब्दासा
सीट
से
चुनाव
हारे
थे,
इस
बार
पार्टी
ने
उन्हें
मांडवी
सीट
से
टिकट
दिया,
बावजूद
इसके
वो
अपनी
सीट
बचाने
में
कामयाब
नहीं
हो
पाए।
वहीं,
भरत
सिंह
सोलंकी
ने
इस
बार
चुनाव
ही
नहीं
लड़ा।
यानी
गुजरात
में
कांग्रेस
के
जिन
बड़े
नेताओं
के
साथ
राहुल
गांधी
प्रचार
में
जा
रहे
थे,
उनका
अपना
कोई
जनाधार
नहीं
बचा
है।
ऐसे
में
शंकर
सिंह
वाघेला
जैसे
बड़े
गुजराती
चेहरे
की
कमी
कांग्रेस
को
खली।
शंकर सिंह वाघेला ने चुनाव के कुछ समय पहले ही कांग्रेस छोड़ दी थी
कांग्रेस के दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला ने चुनाव के कुछ समय पहले ही पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने नई पार्टी बनाकर बीजेपी को फायदा पहुंचाया। विश्लेषकों की माने तो अगर वाघेला कांग्रेस के साथ होते तो शायद नतीजे कुछ और होते। शंकर सिंह वाघेला वो नाम हैं, जो गुजरात की राजनीति में बड़ा दखल रखते हैं और उनका वहां काफी असर माना जाता है। लेकिन पार्टी नेतृत्व से नाराजगी के बाद 21 जुलाई 2017 को अपने 77वें जन्मदिन पर इस वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस से रिश्ता खत्म करने का ऐलान कर दिया था।
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