प्रवासी मजदूरों का पलायन रोकने के लिए CM योगी ने उठाए यह कदम, ये प्रदेश भी करेंगे फॉलो?
नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों के पलायन को रोकने के अभियान के तहत यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की कार्य योजना का अनुशरण कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात और पंजाब के मुख्यमंत्री भी कर सकते हैं। सीएम योगी ने प्रवासी मजदूरों को उनके घर में रोजगार मुहैया करवाने की योजना तैयार की हैं ताकि लॉकडाउन हटने के बाद भी उन्हें रोजगार के लिए बाहर न जाना पड़े।
दरअसल, COVD-19 प्रभावित दुनिया में एक प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश में रोजगार देने की योगी सरकार ने एक नई कवायद शुरू की है। इसकी अगुआ भले ही उत्तर प्रदेश सरकार है, लेकिन इसका अनुसरण अब पंजाब, हरियाणा, गुजरात और कर्नाटक राज्य भी करने को मन बना चुकी हैं।
प्रवासी मजूदरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कर्नाटक सरकार ने 9 राज्यों को लिखा पत्र
इसी क्रम में गुरुवार को सीएम योगी ने अधिकारियों को प्रवासी कामगारों के लिए रोजगार की व्यापक कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कामगारों को मनरेगा, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, महिला स्वयं सहायता समूह, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण तथा गौ-आश्रय स्थल से जोड़ते हुए रोजगार का प्रबन्ध किया जाए।
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साथ ही, मुख्यमंत्री ने दुग्ध समितियों और पौध नर्सरी के माध्यम से भी प्रवासी कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की कार्यवाही की जाए। हालांकि इस बीच उन्होंने अधिकारियों को आगाह किया कि कोरोना वायरस की रोकथाम संबंधी प्रयासों में किसी तरह की कमी नहीं आनी चाहिए।
गौरतलब है उत्तर प्रदेश पहला राज्य था, जिसने मार्च के अंत में लॉकडाउन प्रभावी होने के बाद बसों और अन्य माध्यमों के जरिए प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने और उन्हें सुविधा प्रदान करने की घोषणा की थी। यही कारण था कि पंजाब, हरियाणा, गुजरात और कर्नाटक ने प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए सीएम योगी के पदचिन्हों पर चलने जा रही हैं।
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बुधवार को यूपी सीएम आदित्यनाथ ने चार मुख्यमंत्रियों से फोन किया
इसी क्रम में गत मंगलवार और बुधवार को यूपी सीएम आदित्यनाथ ने चार मुख्यमंत्रियों से फोन किया और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके राज्य से प्रवासी श्रमिकों को छुट्टी नहीं दी जाएगी और लॉकडाउन से बाहर निकलने तक ध्यान रखा जाएगा।
मुख्यमंत्रियों को चिंता है कि अगर प्रवासी मजदूर को छुट्टी दे दी गई तो
तीनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को चिंता है कि अगर प्रवासी मजदूर को छुट्टी दे दी गई तो लॉकडाउन से निकलने के बाद मजदूरों के बिना राज्य के आर्थिक पुनरुद्धार में बाधा आएगी। चूंकि आदित्यनाथ ने एक महीने पहले ही अपनी व्यवस्था बना ली थीं, इसलिए प्रवासी मजदूरों को घर भेजने को लेकर तीनों राज्यों पर अधिक चिंतित हैं।
राज्य लगभग 15 लाख नौकरियों जनरेट करने को कहा गया हैः MSME मंत्री
करीब महीनों समय पहले योगी आदित्यनाथ ने कृषि उपज आयुक्त आलोक सिन्हा और ग्रामीण विकास, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), श्रम और पंचायती राज विभागों से प्रतिनिधित्व में एक समिति का गठन किया। एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, समिति ने बहुमत से घर लौटने के इच्छुक प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर तलाशने के तरीकों का पता लगाने का कहा था। उन्होंने बताया कि लगभग 15 लाख नौकरियों जनरेट करने को कहा गया है और अकेले MSME विभाग के लिए पांच लाख नौकरियों का लक्ष्य रखा गया है।
अब तक 6.5 लाख प्रवासी मजदूर यूपी लौट आए हैं
समिति की स्थापना के तीन सप्ताह बाद सीएम योगी ने घोषणा की थी कि वे प्रवासी मजदूरों को वापस घर लाने के लिए अन्य राज्यों के साथ समन्वय करेंगे और अब तक 6.5 लाख प्रवासी मजदूर यूपी लौट आए हैं। उन तीन हफ्तों में हमने सबसे पहले बैंकिंग प्रस्तावों को पूरा करने में कड़ी मेहनत की गई। बैंकों के साथ तीन बैठक के बाद छोटे व्यवसायों के लिए 20,000 से अधिक ऋण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जो (जो मालिक को छोड़कर 4 लोगों को रोजगार दे सकते हैं) महामारी से पहले से लंबित हैं। उन्होंने आगे कहा कि एक बार लॉकडाउन हटने के बाद यह पैसा बाजार में आएगा, क्योंकि हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोगों को काम के लिए यात्रा न करना पड़े।
घरेलू उद्यमिता के माध्यम से नौकरियां पैदा करने के लिए कहा गया
उन्होंने कहा कि यह घरेलू उद्यमिता के माध्यम से नौकरियां पैदा करने के लिए किया गया था। इसके अलावा राज्य ने जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिकी में तीन डेस्क की स्थापना किए है, जो अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से उनके कारोबार उत्तर प्रदेश को स्थानांतरित के लिए बातचीत करेंगे। उक्त योजना का जिम्मा सीएम योगी के आर्थिक सलाहकार के.वी.राजू के पास हैं, जो गुजरात में एक समय प्रधानमंत्री मोदी के साथ जुड़े रहे थे।
COVD-19 प्रभावित दुनिया में प्रवासी मजदूरों को घर में नौकरी देने की कवायद
COVD-19 प्रभावित दुनिया में एक प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश में रोजगार देने की कवायद शुरू हो गई है। इसमें अगुआ बनी उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के भीतर अपने लोगों को रोजगार प्रदान करने की जुगत में पूरी तरह जुट गई है।