संसद के शीतकालीन सत्र से पहले तीन दिन के लिए दिल्ली आएंगी ममता बनर्जी, विपक्षी नेताओं से मुलाकात संभव
नई दिल्ली, 21 नवंबर। 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ-साथ विपक्ष ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। विपक्ष सदन में सरकार को घेरने की हर रणनीति तैयार कर रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एकबार फिर से दिल्ली के दौरे पर रहने वाली हैं। ममता बनर्जी 22 नवंबर से 25 नवंबर तक दिल्ली में रहेंगी, जहां वो विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर सदन में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए रणनीति पर चर्चा करेंगी।
कृषि कानूनों को वापिस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पर होगी चर्चा
माना जा रहा है कि ममता बनर्जी विपक्षी नेताओं से कृषि कानूनों को वापिस लिए गए फैसले को लेकर चर्चा कर सकती हैं, क्योंकि अभी इस कानून को संवैधानिक प्रक्रिया से गुजरना है, जिसके बाद ही ये वापिस होगा। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को प्रकाश पर्व के मौके पर कृषि कानूनों को वापिस लेने का ऐलान किया था। पीएम मोदी ने किसानों के उग्र विरोध के बाद इन कानूनों को वापिस लेने का ऐलान किया है।
बंगाल जीतने के बाद ममता का तीसरा दिल्ली दौरा
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के बाद ममता बनर्जी का ये तीसरा दिल्ली दौरा रहने वाला है। इससे पहले वाले दोनों दौरों पर ममता ने दिल्ली में विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी, जब से उन्होंने बंगाल में तीसरी बार सरकार बनाई है, तभी से ये अटकलें जोरों पर हैं कि ममता अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की तरफ से चेहरे के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं, इसलिए वो विपक्षी नेताओं से तालमेल बिठाना चाहती हैं।
पीएम मोदी से भी मिल सकती हैं ममता बनर्जी
इसके अलावा खबर ये भी है कि ममता बनर्जी अपने आगामी दिल्ली दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल सकती हैं। इस मुलाकात का उद्देश्य बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में की गई वृद्धि को लेकर हो सकता है, जिसका फैसला केंद्र ने किया है। ममता बनर्जी शुरुआत से इस फैसले के खिलाफ रही हैं। पिछले महीने ममता ने इस मुद्दे को लेकर पीएम मोदी को एक खत भी लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि करने से राज्य के संघीय ढांचे में दखल देखने को मिलेगा। आपको बता दें कि केंद्र ने बंगाल, पंजाब और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाकर 50 किलोमीटर अंदर तक कर दिया था, जो पहले 15 किलोमीटर था। केंद्र के इस फैसले की पंजाब और बंगाल सरकार ने कड़ी आलोचना की है।
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