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मेडिकल एडमिशन घोटाले में घूसखोरी के आरोप में हटाए जा सकते हैं इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज

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नई दिल्ली। मेडिकल एडमिशन दाखिले में भ्रष्टाचार के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के मौजूदा जज को हटाने का रास्ता लगभग साफ हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के पास इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज नारायण शुक्ला के खिलाफ जांच रिपोर्ट है, जिसमे इस बात की पुष्टि की गई है कि वह इस मामले में लिप्त हैं। इस पूरे मामले के जानकार एक सूत्र का कहना है कि सीजेआई राष्ट्रपति के पास जज नारायण शुक्ला को हटाने की संस्तुति दे सकते हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज नारायण शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने मेडिकल एडमिशन मामले में घूस ली है, जिसके बाद वह विवादों में आ गए थे।

narayan shukla

जांच कमेटी ने दी अपनी रिपोर्ट

जज नारायण शुक्ला को हटाने की संस्तुति वाली फाइल अभी भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के पास है, लेकिन माना जा रहा है कि इस फाइल को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के पास कभी भी भेजा जा सकता है। जस्टिस शुक्ला के खिलाफ जांच पिछले वर्ष नवंबर माह में जस्टिस दीपक मिश्रा ने शुरू करवाई थी, इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसमे मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एसके अग्निहोत्री, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज पीके जयसवाल शामिल थे।

रिपोर्ट के बाद भी नहीं हटे पद से

इस कमेटी ने हाल में अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसमे कमेटी ने जस्टिस शुक्ला के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट दी है और उन्हें हटाने की संस्तुति की है। जस्टिस शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने लखनऊ स्थित एक मेडिकल कॉलेज के छात्रों को दाखिला देने का आदेश दिया था, बावजूद इसके कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले इसपर रोक का आदेश दे दिया था। हालांकि तीन सदस्यीय कमेटी ने इस बात का भी इशारा किया है कि जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने की संस्तुति का मतलब यह नहीं है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।

रोस्टर से नाम हटा

इस रिपोर्ट के सबमिट होने के बाद सीजेआई ने इलाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया है कि जस्टिस शुक्ला को न्यायिक काम से हटा दिया जाए, जिन्होंने खुद से अपने पद से इस्तीफा देने या रिटायरमेंट लेने से इनकार कर दिया था। जस्टिस शुक्ला को इस बात की जानकारी दी गई थी कि उनके खिलाफ जांच कमेटी की रिपोर्ट नकारात्मक है, बावजूद उन्होंने कार्यमुक्त होने या इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस शुक्ला से सभी न्यायिक कार्य वापस ले लिए हैं, उनका नाम अब रोस्टर में शामिल नहीं किया जाता है। 30 जनवरी को जारी किए गए रोस्टर में भी जस्टिस शुक्ला का नाम नहीं है।

मुझे अकेला छोड़ दीजिए

वहीं इस पूरे मामले पर जब जस्टिस शुक्ला से उनका पक्ष पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं आप सभी से अपील करता हूं कि मुझे अकेला छोड़ दिया जाए। आपको बता दें कि भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी जज को हटाने के लिए जज इन्कवायरी एक्ट 1968 के तहत हटाया जा सकता है। जज को हटाने के लिए उसे हटाने के लिए मोशन को 100 सदस्यों द्वारा लोकसभा में प्रस्ताव को पास करना होता है या फिर राज्य सभा के 50 सदस्यों को यह मोशन पास करना होता है।

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English summary
CJI Deepak Mishra to recommend removal of Allahabad court judge in medical admission bribery case. Negative report has been given to CJI.
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