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हिंद महासागर पर भी पड़ी चीन की बुरी नजर! भारत का प्रभाव घटाने की तिकड़म, इन दस्तावेजों में किया गया दावा

चीन हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद भारत के पड़ोसी मुल्कों में भारत का प्रभाव कम करने में जुटा हुआ है। इस तथ्य को देश के कुछ टॉप आईपीएस अधिकारियों ने दस्तावेज बनाकर पेश किया है।

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चीन कभी लद्दाख में अपनी सक्रियता बढ़ाता है तो कभी अरुणाचल प्रदेश में साजिशों को अंजाम देने की कोशिश करता है। पाकिस्तान से हाथ मिलाकर पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में घुसपैठ करके भी भारत को परेशान करता रहता है। लेकिन, चीन की चालबाजियां यहीं तक सीमित नहीं हैं। वह हिंद महासागर क्षेत्र के भारत के पड़ोसी मुल्कों में भी लगातार अपनी पैठ बढ़ाने में जुटा हुआ है। उसका सिर्फ एक ही मकसद है कि किसी तरह से भारत को इन्हीं सब जगहों पर उलझाए रखा जाए। क्योंकि, इस क्षेत्र में उसे भारत से ही खतरा महसूस होता है। चीन के इन मंसूबों की पोल खोली है, देश के कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों।

हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रभाव कम करना चाहता है चीन-दस्तावेज

हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रभाव कम करना चाहता है चीन-दस्तावेज

एक महत्वपूर्ण सुरक्षा बैठक में पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक भारत के पड़ोसी मुल्कों में उसके बढ़ते प्रभाव को रोकने और उसके लिए चुनौतियों वाली स्थिति कायम रखने के लिए चीन अपनी गतिविधियां लगातार बढ़ा रहा है। हाल ही में संपन्न हुए डीजीपी-आईजी सम्मेलन में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों की ओर से पेश दस्तावेज में कहा गया है कि चीन दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशिया में विकास कार्यों के नाम पर लोन के रूप में भारी मात्रा में पैसे मुहैया करा रहा है। चीन चाहता है कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रभाव कम करे, ताकि द्विपक्षीय मसलों में बीजिंग की शर्तों पर समाधान निकाला जा सके।

टॉप आईपीएस अफसरों ने खोली चीन के करतूतों की पोल

टॉप आईपीएस अफसरों ने खोली चीन के करतूतों की पोल

तीन दिवसीय इस वार्षिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल समेत देशभर के लगभग 350 टॉप पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया है। इस सम्मेलन में पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक भारत के पड़ोसी मुल्कों में बेल्ट एंड रोड इनिशीएटिव (BRI),चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के नाम पर आसान लोन देना, बॉर्डर और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बनाकर रखना, चीन के ऐसे टूल्स हैं, जिसका वह प्रभावी तरीके से इस्तेमाल कर रहा है।

सुपरपावर बनने के लिए चीन की तिकड़मबाजी

सुपरपावर बनने के लिए चीन की तिकड़मबाजी

दस्तावेजों में कहा गया है कि पिछले ढाई दशकों में चीन में आर्थिक और सैन्य क्षेत्र में भारी विकास दर्ज किया गया है और साथ ही साथ उसने भारत के पड़ोसी मुल्कों में उससे भी ज्यादा तेजी से अपनी गतिविधियों को बढ़ाने का काम किया है। दस्तावेज के मुताबिक, 'यह सब इस उद्देश्य के साथ किया जा रहा है, ताकि भारत को चुनौतियों का सामना करने के लिए बाध्य और व्यस्त किया जाए। द्विपक्षीय मसलों को वह अपनी शर्तों पर हल करने के लिए मजबूर कर पाए, भारत के विकास की रफ्तार को मंद किया जाए, ताकि वह (चीन) न केवल एशिया का श्रेष्ठ देश बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके, बल्कि एक वैश्विक महाशक्ति बन सके।'

बड़ी ही चालाकी से अपना अपनी चाल चल रहा है चीन

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इस दस्तावेज का विषय है, 'चाइनीज इंफ्लुएंस इन द नेवरहुड एंड इंप्लिकेशंस फॉर इंडिया'। इसे देश के कुछ टॉप के आईपीएस अधिकारियों ने तैयार किया है। इसमें से एक दस्तावेज के मुताबिक चीन दक्षिण एशियाई क्षेत्र में कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गया है, जिसका दूरगामी राजनीतिक और सुरक्षा असर पड़ सकता है। इसके अनुसार बुनियादी ढांचे के विकास के नाम पर चीन, पाकिस्तान और नेपाल के अलावा बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका में भी भारी निवेश करता जा रहा है। बिना अपवाद के भारत के पड़ोसी देशों ने चीन को विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भागीदार बताया है। चाहे फंड देना हो या फिर टेक्निकल या लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया करवानी हो। बांग्लादेश और श्रीलंका के लिए यह माल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है और नेपाल और मालदीव में यह दूसरे स्थान पर है। दस्तावेज में इस बात की चिंता जताई गई है कि, 'इन आर्थिक तत्वों के साथ तेजी से राजनीतिक, सरकारी और लोगों से लोगों के बीच के संबंध भी जुड़ते चले जाते हैं।'

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भारत को अपनी राह का रोड़ा मानता है चीन

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आईपीएस अधिकारियों ने जो दस्तावेज तैयार किए हैं, उसके मुताबिक कोविड-19 महामारी ने चीन को उसकी चालबाजियों के लिए और भी बेहतरीन मौका थमा दिया था। इस दौरान वह इन देशों के साथ मेडिकल उपकरणों, बायोमेडिकल विशेषज्ञता और कोरोना वायरस से निपटने के लिए बाकी सहायता के नाम पर सीधा काम करने लगा। यानि वह सिर्फ आर्थिक तौर पर ही नहीं, बल्कि कई तरहों से इन देशों में अपना प्रभाव कायम करने में सफल हुआ हो रहा है, जिससे लंबी-अवधि में वह अपनी रणनीतिक हित साध सकता है। एक विश्लेषक के मुताबिक, 'चीन हिंद महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय शक्ति का दर्जा प्राप्त करने के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वाकांक्षी है। इसके चलते ही बीजिंग भारत को रोकना चाहता है, जो कि इस क्षेत्र में चीन के लिए एकमात्र खतरा है।' (इनपुट-पीटीआई)


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English summary
China sees India as the biggest threat to becoming a super power and continuing as an Asian superpower. That's why he is trying to reduce India's influence even in the countries of the Indian Ocean
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