LAC पर फिर साजिश में जुटा चीन, इस बार PLA का स्थायी रूप से बसने का इरादा
नई दिल्ली, 14 जून। गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प को तकरीबन एक साल हो गए हैं। लेकिन अभी भी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एलएसी के करीब सक्रिय है। सूत्र के अनुसार चीनी सेना ने ठहरने के लिए यहां अतिरिक्त निर्माण किया है। यह निर्माण स्थायी और अस्थायी दोनों प्रकार का है, जिसे रुडोक, कैंजीवॉर, गाइनैस्टी, गोलमुड इलाकों में तैयार किया गया है। यहां पर फील्ड हॉस्पीटल का भी निर्माण किया गया है साथ ही बर्फ को हटाने के लिए गाड़ियो को भी यहां लाया गया है। पीएलए की यह सक्रियता दर्शाती है कि चीनी सैनिक यहां पर सर्दियों में लंबे समय तक या फिर हमेशा के लिए ठहरने के इरादे से आए हैं।
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निर्माण कार्य में रफ्तार
खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार चीनी सैनिक जो पैंगोन्ग झील इलाके में थे उन्हें यहां भेज दिया गया है। चीनी की चौथी और छठी डिवीजन को पैंगोन्ग झील और रुतोंग काउंटी इलाके फरवरी माह में हटा लिया गया था, जिसके बाद पिछले तीन हफ्ते में इन्हें शिनजैंग इलाके में मरम्मत कार्य के लिए तैनात किया गया है। इन्हें डिवीजन 8 और 11 की जगह तैनात किया गया है। बता दें कि हर डिवीजन के पास दो मोबाइल इंफ्रैंट्री रेजिमेंट, एक हथियारबंद रेजिमेंट, एक तोप रेजिमेंट और एक एयर डिफें रेजिमेंट है।
पीएल
अभ्यास
में
जुटा
द
हिंदू
की
खबर
के
अनुसार
सूत्र
ने
खुफिया
विभाग
के
इनपुट
का
हवाला
देते
हुए
बताया
कि
चीन
ने
अक्साई
चिन
के
पास
निर्माण
कार्य
को
तेज
कर
दिया
है।
अक्साई
चिन
वही
इलाका
है
जहां
पर
भारत
और
चीन
के
सैनिकों
के
बीच
हिंसक
झड़प
हुई
थी।
यही
नहीं
पीएलए
ने
अरुणाचल
के
पास
और
तिबत
में
अभ्यास
भी
किया
है।
जून
माह
के
पहले
हफ्ते
में
ही
पीएलए
ने
तिबत
के
शिगास्ते
में
हथियारों
की
एक
छोटी
ट्रेनिंग
की
थी।
पीएलए
के
सैनिको
ने
एंटी
टैंक
रॉकेट
लॉन्चर,
ग्रैनेड
लॉन्चर,
एंटी
एयरक्राफ्ट
मशीन
गन
और
अन्य
हथियारों
के
साथ
ट्रेनिंग
की।
मई
माह
की
शुरुआत
में
चीन
की
स्टेट
मीडिया
ग्लोबल
टाइम्स
ने
रिपोर्ट
किया
था
कि
पीएलए
शिनजैंग
सैन्य
क्षेत्र
में
है
और
यहां
पर
नए
लंबी
दूरी
तक
मार
करने
वाले
भारी
भरकम
रॉकेट
को
5200
मीटर
की
ऊंचाई
पर
तैनात
किया
गया
है।
भारत
का
रुख
अरुणाचल
प्रदेश
के
तवांग
इलाके
के
करीब
भी
पीएलए
ने
5130
मीटर
की
ऊंचाई
पर
अभ्यास
किया
था।
चीफ
ऑफ
डिफेंस
स्टाफ
जनरल
बिपिन
रावत
ने
हाल
ही
में
कहा
था
कि
शांति
के
समय
सभी
सेनाएं
अभ्यास
करती
हैं
और
इस
तरह
का
अभ्यास
भी
उसी
का
हिस्सा
है।
उन्होंने
कहा
था
कि
चीन
और
भारत
ने
भी
इसी
तरह
का
अभ्यास
किया
है,
इस
तरह
के
अभ्यास
से
इलाके
को
बेहतर
तरह
से
समझने
में
सैनिकों
को
मदद
मिलती
है।
बता
दें
कि
भारत
और
चीन
की
सेना
ने
पहले
ही
कैलाश
रेंज
को
खाली
कर
दिया
है।
11
राउंड
की
चर्चा
गौर
करने
वाली
बात
यह
है
कि
भारत
और
चीन
की
सेनाओं
के
बीच
11
राउंड
की
सैन्य
स्तर
पर
वार्ता
हो
चुकी
है।
दोनों
के
बीच
लद्दाख
में
हुई
हिंसक
झड़प
के
बाद
सेना
के
बीच
यह
बैठक
हुई
थी।
अधिकारियों
की
माने
तो
अभी
यह
स्पष्ट
नहीं
है
कि
अगली
बैठक
कब
होगी।
सेना
प्रमुख
एमएम
नरवणे
ने
हाल
ही
में
कहा
था
कि
भारत
चीन
के
साथ
मजबूत
तरीके
से
विवाद
को
आगे
नहीं
बढ़ाने
के
इरादे
से
बात
कर
रहा
हैष
आने
वाली
बैठक
में
पूर्व
की
स्थिति
को
बरकरार
रखने
पर
चर्चा
होगी।
यही
नहीं
विदेश
मंत्रालय
की
ओर
से
हाल
में
बयान
दिया
गया
था
कि
एलएसी
पर
डिसइंगेजमेंट
की
प्रक्रिया
अभी
खत्म
नहीं
हुई
है।