ओडिशा में प्राचीन ग्रंथों की सुरक्षा करेगा CESCO,जगन्नाथ मंदिर समेत राज्य का पुराना इतिहास होगा संरक्षित
भुवनेश्वर, 1 अप्रैल। ओडिशा (Odisha) के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्टडीज इन क्लासिकल उड़िया (CESCO) ने उड़िया भाषा के प्राचीन ग्रंथों को संरक्षित की कई परियोजनाएं शुरू की हैं। सेस्को की परियोजना में इस भाषा के ग्रंथों बढ़ावा देने की भी योजना है। इसके तहत अब तक कई शास्त्रीय ग्रंथों को संरक्षित करने का कार्य किया जा चुका है। सेस्को की ओर ओडिशा के पुरी मंदिर ( Puri Jagannnath Temple) समेत सभी प्राचीन धार्मिक स्थलों से जुड़े प्राचीन ग्रंथों को संरक्षित किया जाएगा।
संस्कृत के बाद उडिया शास्त्रीय टैग पाने वाली दूसरी इंडो-आर्यन भाषा है। इसमें कई प्राचीन ग्रंथ हैं जो अति विशिष्ट और अद्वितीय हैं। सेस्को के परियोजना निदेशक बसंत पांडा ने कहा है कि की संस्थान का प्रयास इन सभी प्राचीन ग्रंथों को उनके काल के अनुसार संरक्षित करना है। पांडा का कहना है कि इसके साथ ही सेस्को इन ग्रंथों को लेकर विद्वानों में रुचि पैदा करने के लिए भी कार्य करेगा। इसके साथ ही युवाओं में भाषा के प्रति जागरूकता और लगाव की भावना पैदा की जाएगी। संस्थान की ओर से उपेंद्र भंज द्वारा लिखित पहला ओडिया डिक्शनरी,गीताभिधन, मदाला पंजी, 12 वीं शताब्दी का पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास और 15वीं शताब्दी का रुद्र सुधा निधि एक प्राचीन धार्मिक लेख शामिल है।
इसके लिए गीताभिधान एक अनूठा शब्दकोष बनाया गया है, जिसमें शब्दों को उनकी तुकबंदी की समानता के अनुसार उनकी सूची तैयार की गई है। उड़िया की शास्त्रीय भाषा की काफी समृद्धि थी। जिसको लेकर अब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्टडीज इन क्लासिकल ओडिया शास्त्रीय ग्रंथों के संरक्षित करने का कार्य कर रहा है। सेस्को की ओर से अब तक सेंचुरी,चौतिशा - ओडिया मध्यकालीन कविता, और भाषा में 2.36 लाख से अधिक ताड़-पत्ती पांडुलिपियों की एक समेकित सूची बनाने की योजना है। दरअसल, ओडिशा राज्य की भाषा के आधार पर बनने वाला पहला भारतीय प्रदेश है। इसके बावजूद बहुत कम ओडिया लोग इसके लंबे साहित्यिक इतिहास के बारे में जानते हैं। जिसको लेकर सेस्को कार्य कर रहा है।