27,000 किलोमीटर लंबा इकनॉमिक कॉरिडोर बनाएगी भारत सरकार, 5 फायदे
नई दिल्ली। भारत सरकार 27,000 किलोमीटर का इकनॉमिक कॉरिडोर बनाने का प्लान कर रही है जिससे नई नौकरियों के अवसर पैदा होने के साथ-साथ हाइवे पर यातायात और परिवहन में आने वाली कई समस्याओं से निजात मिलेगी। इस हाइवे प्रोजक्ट पर लगभग 6 लाख करोड़ रुपए खर्च होने के अनुमान हैं।
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44 हाइवे के इस मेगा प्रोजेक्ट में जॉब के नए अवसर
भारत का 27,000 किलोमीटर के इस कॉरिडोर के तहत कुल 44 हाइवे बनाए जाएंगे। इसमें नौकरियों के नए अवसर पैदा होंगे और कई लोगों को रोजगार मिलेंगे।
ट्रैफिक समस्या से मिलेगी निजात
यह कॉरिडोर 30 शहरों से होकर गुजरेगा और शहरों के आसपास रिंग रोड बनाए जाएंगे जिससे शहरों की ट्रैफिक समस्या का समाधान होगा।
आर्थिक गतिविधियों में आएगी तेजी
27,000 किमी लंबा यह हाइवे देश के आर्थिक क्षेत्रों को आपस में जोड़ेगा। इसके तहत मैनुफैक्चरिंग हब और बंदरगाह के बीच हाइवे पुल का काम करेगा। तीनों के एक दूसरे से जुड़ने से देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
कार्गो का मूवमेंट होगा आसान
इस हाइवे की चौड़ाई ज्यादा होगी जिससे कार्गो का मूवमेंट आसान हो सके। इसके लिए बंदरगाहों, सीमावर्ती इलाकों और लॉजिस्टिक हब्स को एक दूसरे से जोड़ने की योजना है।
स्वर्णिम चतुर्भुज के बाद सबसे बड़ा हाइवे का विस्तार
अटल बिहारी सरकार की स्वर्णिम चतुर्भुज योजना 13,000 किमी लंबी थी जबकि इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत 27,000 किमी हाइवे के अलावा 15,000 किमी ऐसी सड़कें बनाई जाएंगी जो हाइवे के गलियारों को एक दूसरे से जोड़ेंगी। इकनॉमिक कॉरिडोर को स्वर्णिम चुतुर्भुज से जोड़ने के लिए 40 इंटरकनेक्टिंग कॉरिडोर्स बनाए जाएंगे।
केंद्रीय हाइवे मंत्रालय का है ये प्रोजक्ट
केंद्रीय हाइवे मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाने के लिए कैबिनेट के सामने प्रस्ताव लाएगा। इस प्रोजेक्ट पर लगभग 6 लाख करोड़ रुपए की लागत आने के अनुमान हैं।
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