त्रिपुरा में चुनाव प्रचार खत्म, बीजेपी-माकपा के बीच कड़ी टक्कर
बीजेपी त्रिपुरा में अपने मुकाबले के रूप में माणिक सरकार को देख रही है। जहां पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रचार का प्रमुख चेहरा रखा। केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा पूर्वोत्तर में अपने पैर परासने की शुरुआत त्रिपुरा से करना चाहती है
नई दिल्ली। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार खत्म हो गया है। अब 18 फरवरी को मतदाता उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र पर जमकर हमला किया। कैलाशहर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, वो दो-तीन चुनावी वादे कर आते हैं पर चुनाव खत्म होते ही वो वादे भी भूल जाते हैं। राहुल ने कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मोदी जी कुछ गलत वादे करके चले जाते हैं। इस बार त्रिपुरा में त्रिकोणिय मुकाबला है। माकपा के पास अपना किला बचाने की चुनौती है तो बीजेपी त्रिपुरा के जरिए ही नॉर्थ ईस्ट में एंट्री चाहती है। कांग्रेस ने भी त्रिपुरा में अपनी पूरी ताकत को लगा रखा है।
पीएम ने दिखाया विकास का सपना
बीजेपी त्रिपुरा में अपने मुकाबले के रूप में माणिक सरकार को देख रही है। जहां पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रचार का प्रमुख चेहरा रखा। केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा पूर्वोत्तर में अपने पैर परासने की शुरुआत त्रिपुरा से करना चाहती है। चुनाव के मद्देनजर पीएम ने दो बार त्रिपुरा का दौरा किया और चुनावी सभा को संबोधित किया। उनके निशाने पर माणिक सरकार रहे। ऐसे में प्रदेश की कमान संभाले हुए मुख्यमंत्री माणिक सरकार को कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। पीएम ने अपनी चुनावी सभा में त्रिपुरा के विकास की गंगा बहाने का सपना भी दिखाया है।
कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है। देश में अपने अस्तिव को बचाने में जुटी कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी जंग से कम नहीं है। कांग्रेस इसे बड़ी चुनौती के रूप में देख रही है। हालांकि गुजरात विधानसभा चुनाव और राजस्थान उपचुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन ने पार्टी में नई ऊर्जा जरूर भरने का काम किया है। वहीं, पिछले चुनाव में राज्य में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और माकपा के बीच रहा था, लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में यह त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। कांग्रेस, माकपा के अलावा भाजपा ने भी त्रिपुरा की कुर्सी हथियाने के लिए पूरी ताकत झोंकी है।
गैर वामपंथी वोटरों पर बीजेपी की नजर
त्रिपुरा में अभी तक बंगाली वोट पारंपरिक रूप से वाम दलों और कांग्रेस द्वारा साझा किया जाता रहा है। कांग्रेस के मतदाता बड़े पैमाने पर बंगाली हैं इस बार, भाजपा ने आदिवासी इलाकों में मजबूत प्रयास किया है वहीं बीजेपी बंगाली वोटरों को कांग्रेस से दूर करने की कोशिश कर रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी का इसबार पूरा ध्यान गैर वामपंथी वोटरों पर है। जानकारों के मुताबिक हिंदू बंगाली वोटर्स बीजेपी की तरफ जा रहे हैं। सीपीआई-एम पर ये आरोप लगता है कि वो मुस्लिमों को ज्यादा तवज्जो देती है।
3 मार्च को होगी गिनती
60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा के लिए 18 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए भाजपा और आईपीएफटी ने हाथ मिलाया है। भाजपा 51 और आईपीएफटी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी का इसबार पूरा ध्यान गैर वामपंथी वोटरों पर है। 60 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। त्रिपुरा विधानसभा का परिणाम 3 मार्च को आएगा।