CAA: शशि थरूर ने प्रदर्शनों में इस्लामी नारे का किया विरोध, सोशल मीडिया पर विवाद-SOCIAL
''हिंदुत्व अतिवाद के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई में इस्लामी अतिवाद को भी कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए. जो लोग नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में अपनी आवाज़ उठा रहे हैं, वो एक समावेशी भारत के लिए लड़ रहे हैं. हम किसी भी तरह की धार्मिक कट्टरता को अपनी विविधता और बहुलवाद की जगह नहीं आने देंगे."
''बैरिकेड के पास कहिए- ला इलाहा इल्लल लाह
लाठी चार्च में कहिए- ला इलाहा इल्लल लाह
आंसू गैस में कहिए- ला इलाहा इल्लल लाह
तेरा-मेरा रिश्ता क्या- ला इलाहा इल्लल लाह
ये वो नारे हैं, जो कथित तौर पर नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहे एक प्रदर्शन में लगाए जा रहे थे.
अनस मोहम्मद नाम के एक शख़्स ने ट्विटर पर ये वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर विवाद हो रहा है.
ये विवाद तब और बढ़ गया जब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इसे रिट्वीट करते हुए लिखा:
''हिंदुत्व अतिवाद के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई में इस्लामी अतिवाद को भी कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए. जो लोग नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में अपनी आवाज़ उठा रहे हैं, वो एक समावेशी भारत के लिए लड़ रहे हैं. हम किसी भी तरह की धार्मिक कट्टरता को अपनी विविधता और बहुलवाद की जगह नहीं आने देंगे."
Our fight against Hindutva extremism should give no comfort to Islamist extremism either. We who’re raising our voice in the #CAA_NRCProtests are fighting to defend an #InclusiveIndia. We will not allow pluralism&diversity to be supplanted by any kind of religious fundamentalism. https://t.co/C9GVtB9gIa
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) 29 December 2019
शशि थरूर के इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर #ShashiTharoor #Hindutva और #Islam ट्रेंड होने लगे.
सोशल मीडिया पर इस बारे में बहस छिड़ गई और अलग-अलग राय सामने आने लगी.
थरूर के ट्वीट के जवाब में आयेशा सिद्दीक़ा ने लिखा, "कौन कहता है कि 'ला इलाहा इल्लल लाह' अतिवाद है. कम से कम वो तो समझने की कोशिश कीजिए कि आम मुसलमान कहता क्या है. अतिवाद से इसका कोई लेना-देना नहीं है."
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@AnyIndian नाम के एक ट्विटर यूज़र ने लिखा, "फिर 'जय श्री राम' क्यों नहीं? इसे ज़्यादातर मीडिया और बुद्धिजीवी सांप्रदायिक क्यों कहते हैं?"
अजित हेगड़े नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा, "यानी अब इस्लाम का मूल नारा ही इस्लामी अतिवाद का प्रतीक हो गया?"
काशिफ़ क़ुरैशी ने ट्वीट किया, "तेरा-मेरा रिश्ता क्या है: हिंदुस्तान, हिंदुस्तान. नारा ये होना चाहिए. ये हिंदुस्तान और उस समावेशी भारत के बारे में है, जहां लाखों ग़ैर-मुसलमान, मुसलमानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं."
@IndianResist नाम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, "इस देश में लोग भारी पत्थर उठाने से पहले भी 'जय बजरंग बली' कहते हैं और कोई इसे सांप्रदायिक नहीं कहता. आज मुसलमानों को हाशिए पर धकेल दिया गया है. अगर मांगें धर्म निरपेक्ष हैं तो अपना हौसला बढ़ाने के लिए धार्मिक नारों के इस्तेमाल में कोई बुराई नहीं है."
@IndianResist के ट्वीट के जवाब में शशि थरूर ने लिखा, "किसी को आहत करने का इरादा नहीं था. मैं बस ये स्पष्ट कर रहा हूं कि यह संघर्ष भारत के लिए है. इस्लाम या हिंदू धर्म के लिए नहीं. ये हमारे संवैधानिक मूल्यों के लिए हैं, हमारे बहुलतावाद को बचाने के लिए है. ये भारत की आत्मा बचाने के लिए है. ये किसी एक धर्म बनाम दूसरे धर्म के बारे में नहीं है."
ला इलाहा इल्लल लाह अरबी भाषा के शब्द हैं जिसका मतलब है- अल्लाह के सिवाय कोई और ईश्वर नहीं है.
विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों में धार्मिक नारों को लेकर अक्सर काफ़ी विवाद होता रहा है. पश्चिम बंगाल में जय श्रीराम के नारे को लेकर हुई राजनीति इसका ताज़ा उदाहरण है.
भारत के अलग-अलग हिस्सों में पिछले कई दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों के दौरान काफ़ी अलग और रचनात्मक नारों का इस्तेमाल देखा जा रहा है.