किसान आंदोलन को लेकर राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने सरकार को घेरा, कहा- लोकतंत्र पर लाठीतंत्र ना चलाएं
किसान आंदोलन को लेकर राज्यसभा में विपक्षी नेताओं ने सरकार को घेरा, कहा- लोकतंत्र पर लाठीतंत्र ना चलाएं
नई दिल्ली। संसद के उच्च सदन राज्यसभा में गुरुवार को विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन के लेकर सरकार को जमकर घेरा। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस, आप, टीएमसी, जेडीएस और दूसरे दलों के सांसदों ने कृषि कानूनों और किसानों के धरने को लेकर कहा कि सरकार जो तरीका अपना रही है वो बेहद गलत है। सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए और उनके मुद्दों का हल निकालना चाहिए।
Recommended Video
हरियाणा से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इस आंदोलन में जितने किसानों की जान गई हैं, इतिहास में कभी किसी आंदोलन में इतनी जानें गईं। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर से आज तक कोई एक शख्स ये नहीं कह सकता कि किसी किसान ने उसको तंग किया है लेकिन 26 जनवरी के बाद किसानों को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है और उनको विदेश से मदद लेने वाले गद्दार कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की घटना की जांच हो लेकिन किसान को तंग ना किया जाए, लाठीतंत्र से लोकतंत्र का नहीं हराया जा सकेगा। सरकार को ये कानून वापस लेना चाहिए। हुड्डा ने कहा कि मोदी सरकार येसमझ ले कि आत्ममुग्ध सरकारें आत्मनिर्भर देश नहीं बना सकतीं। कांग्रेस के ही दिग्विजय सिंह ने भी किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार के रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ये क्या तरीका है कि जिस वर्ग के लिए आप कानून लाते हैं, उसी को भरोसे में नहीं लेते हैं।
किसान अपना भला हमसे बेहतर जानते हैं: झा
आरजेडी के मनोज झा ने कहा कि अगर किसान नहीं चाहता तो क्यों उन पर कानूनों को थोपा जा रहा है। झा ने कहा कि कोई भी सत्ता या विपक्ष का सदस्य इस मुगालते में ना रहे कि को किसानी के बारे में किसान से ज्यादा जानता है। किसान ही अपना भला बुरा सबसे बेहतर समझता है।
पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के सांसद एचडी देवगौडा ने कहा, कृषि कानूनों के लेकर सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि ये मामला राज्य का विषय है, यह समवर्ती सूची में है। केंद्र को इसमें राज्य सरकार की राय लेनी ही चाहिए। उन्होंने कहा, हम गणतंत्र दिवस पर कुछ उपद्रवियों की कार्रवाई की निंदा करते हैं, लेकिन किसान इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। जिसने किया उन्हें सजा मिलनी चाहिए। विरोध स्थल पर कंक्रीट की दीवारें लगाने के केंद्र के फैसले से मदद नहीं मिलेगी। सरकार को शांति से इस मामले को समाप्त करना चाहिए।
किसा नेता धरनास्थलों पर रो रहे हैं: संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने राज्यसभा में अपने भाषण में कहा कि भारतीय जनता पार्टी और सरकार ने किसानों के साथ खराब बर्ताव की हदों को पार कर दिया है। संजय सिंह ने कहा कि किसान नेता धरनास्थलों पर रो कर कह रहे हैं कि बीजेपी के लोग उनको लाठी से मारना चाहते हैं। ये शर्म की बात है, इस सरकार को इस पर शर्म आनी चाहिए। सरकार किसान को खालिस्तानी और आतंकी कहने की बजाय कानूनों को वापस ले।
ये सरकार बस जय कॉर्पोरेट कर रही
राज्यसभा में टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि केंद्र की सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह से फेल है। चाहे वो अर्थव्यवस्था हो, कोरोना हो, रोजगार हो या किसान आंदोलन। डेरेक ने कहा, 20 सितंबर, 2020 को किसानों की बात करने पर सात सांसदों को निलंबित कर दिया गया था लेकिन हम किसानों के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं और खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अपने अहंकार के कारण संसद की पवित्रता को बनाए रखने में विफल रही।
सीपीआई के बिनोय विस्वम ने कहा कि किसानों के साथ ऐसे बर्ताव किया जा रहा है, जैसे वो किसी दुश्मन देश की आर्मी हों और हमला करने आए हों। किसानों पर जिस तरह से आंसू गैस, लाठी और दूसरी बर्बरता की गई वो बेहद शर्म की बात है। बिस्वम ने कहा कि सरकार जय जवान जय किसान की जगह जय कॉर्पोरेट का नारा लगा रही है।
राहुल गांधी ने बजट को बताया क्रोनी सेंट्रिक, बोले- एमएसएमई सेक्टर के साथ हुआ धोखा