BJP सांसद ने बांटे 10,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन, बॉम्बे HC ने केंद्र से पूछा- किसी निजी व्यक्ति को कैसे मिले?
मुंबई, अप्रैल 27। बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कोविड-19 के लिए इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर जैसी दवा को कोई सीधे दवा कंपनियों से कैसे खरीद रहा है जबकि कंपनियों को इसका पूरा उत्पादन केंद्र सरकार को सौंपना है जिसे राज्यों को सौंपा जाना है। चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने मुंबई की वकील स्नेहा मरजादी की जनहित याचिका पर सुनवाई को लेकर ये सवाल किया।
कोर्ट ने अमहमदनगर से भाजपा सांसद के कथित तौर पर 10,000 रेमेडेसिविर इंजेक्शन की डोज दिल्ली से खरीदने और फिर इसे बंटवाने को लेकर केंद्र से सवाल पूछा। अहमदनगर से बीजेपी सांसद डॉ. सुजॉय विखे पाटिल ने पिछले सप्ताह रेमडेसिविर इंजेक्शन की 10 हजार डोज खरीद कर बांटी थी। ऐसे समय में जहां रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के लिए लोगों को ब्लैक में 10 से 20 गुना तक कीमत अदा करनी पड़ रही है वहीं इतनी बड़ी मात्रा में इंजेक्शन एक आदमी के पास पहुंचने के मामले को कोर्ट ने प्रमुखता से नोटिस में लिया है।
केवल
कुछ
हाथों
में
न
रहें
दवा-
कोर्ट
मंगलवार
को
सुनवाई
के
दौरान
हाईकोर्ट
ने
केंद्र
के
वकील
से
पूछा
"कैसे
उन्हें
10
हजार
डोज
दिल्ली
से
चार्टर्ड
प्लेन
के
जरिए
एयरलिफ्ट
करने
के
लिए
मिल
सकती
है?
क्या
यह
एक
व्यक्ति
के
लिए
निजी
तौर
पर
बांटने
के
लिए
ज्यादा
मात्रा
नहीं
होगी?
दिल्ली
खुद
इस
समय
संकट
में
है।"
जस्टिस कुलकर्णी ने कहा "हम चाहते हैं कि दवाएं हर उस व्यक्ति के पास पहुंचे जिन्हें इसकी आवश्यकता है और यह केवल कुछ लोगों के हाथ में न रहें।"
कोर्ट
ने
दी
चेतावनी
कोर्ट
को
बताया
गया
कि
अहमदनगर
में
रेमडेसिविर
खरीद
कर
बंटवाने
की
घटना
इकलौती
नहीं
है
और
ऐसे
कई
सारे
लोग
व्यक्तिगत
तौर
पर
दवाओं
की
खरीद
में
शामिल
हैं।
इस
पर
कोर्ट
ने
कहा
"अगर
हम
आगे
ऐसा
मामला
पाते
हैं
जहां
दवा
कंपनियां
रेमडेसिविर
किसी
व्यक्ति
को
दे
रही
हैं
तो
हम
उनके
खिलाफ
निषेधाज्ञा
पारित
कर
सकते
हैं।"
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इस दौरान पीठ ने बीएमसी को निर्देश दिया कि वह अस्पतालों में कोविड बेड के प्रबंधन के लिए अपनी हेल्पलाइन के कामकाज के बारे में सूचित करे। इसके साथ ही कोर्ट ने बीएमसी से यह बताने को कहा कि वह कैसे सुनिश्चित कर सकती है कि बेड खाली होने पर बीएमसी पोर्टल के डैशबोर्ड पर दिखाई देने लगे। केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए कोर्ट ने 29 अप्रैल को अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की है।