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किसान आंदोलन खत्म लेकिन सरकार को चुनावों में नुकसान का सता रहा डर

By विनोद कुमार शुक्ला
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नई दिल्ली। हरिद्वार से चलकर दिल्ली की सीमा तक आए किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया और वे अपने-अपने घरों को वापस लौट रहे हैं। लेकिन इसे सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, केरल और तमिलनाडु के किसान अपनी मांगों को लेकर पदयात्रा कर रहे थे। हालांकि किसान नेताओं और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता के बाद उन्होंने अपना आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया और उन्हें किसान घाट जाने की इजाजत भी दे दी गई लेकिन उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ है।

किसानों की नाराजगी सरकार के लिए चिंंता

किसानों की नाराजगी सरकार के लिए चिंंता

बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव 2019 को देखते हुए इसके राजनीतिक नुकसान भी नजर आ रहे हैं। पश्चिमी यूपी, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान के अधिकांश किसान जाट समुदाय के हैं और वे सरकार के कामकाज से खुश नजर नहीं आ रहे है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी की चुनावों में सफलता इनपर काफी निर्भर करती है। सरकार उत्तर प्रदेश में इनके प्रभाव को लेकर भी चिंतित है। राजनीतिक विश्लेषक सिधेश्वर प्रसाद का कहना है कि ये सरकार के लिए एक खतरे की घंटी है, सरकार उनकी अधिकांश मांगों को मानने की बात कह रही है लेकिन उसे पूरा करना उनके लिए चुनौती है।

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सरकार के रवैये से किसान खुश नहीं

सरकार के रवैये से किसान खुश नहीं

आंदोलन की समाप्ति के दौरान कुछ किसानों का कहना था कि भले ही नेता सरकार के आश्वासनों से खुश हों लेकिन वे खुश नहीं है। वे चाहते हैं कि ऐसे आंदोलनों का सकारात्मक परिणाम निकले। उनका कहना है कि हर बार आंदोलन से जुड़ना संभव नहीं है। अगर सरकार द्वारा उन मांगों को मानने की बात करें तो इससे खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा। सरकार के लिए मुश्किल ये भी है कि तीन-चार महीनों में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा जिसके बाद वे कोई नीति नहीं बना पाएंगे।

किसानों का आंदोलन खत्म

किसानों का आंदोलन खत्म

किसानों की मांगों में लोन माफी, फसलों का उचित मूल्य जो कि बिना किसी देरी के भुगतान किया जाए। वे पूर्ण कर्जमाफी चाहते हैं। दिल्ली एनसीआर में 10 साल पुराने ट्रैक्टरों को चलाने की मंजूरी, बिजली टैरिफ में रियायत, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करना शामिल है। भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में एक हफ्ते पहले हरिद्वार से चलकर किसान दिल्ली की सीमा तक आ पहुंचे। सरकार की तरफ से किसानों से गजेंद्र सिंह शेखावत बातचीत कर उन्हें मनाने की लगातार कोशिशें कर रहे थे।

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English summary
Blockade by farmers over but not the electoral damage threat
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