'किस हैसियत से...?', अशोक गहलोत के 'सोनिया गांधी तय करेंगी' बयान पर BJP का तंज
'किस हैसियत से...?', अशोक गहलोत के 'सोनिया गांधी तय करेंगी' बयान पर BJP का तंज
नई दिल्ली, 23 सितंबर: भाजपा ने एक बार फिर कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए निर्धारित चुनाव पर सवाल उठाए हैं। भाजपा ने इस बार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शुक्रवार को दिए गए बयान पर तंज कसा है, जिसमें सीएम गहलोत ने पुष्टि की कि वह चुनाव लड़ेंगे। अशोक गहलोत ने कहा, अगर वह कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष बनते हैं तो अजय माकन और सोनिया गांधी 'आगे की कार्यवाही' तय करेंगे। राजस्थान का क्या होगा...के सवाल के जवाब में गहलोत का ये बयान सुन भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने पूछा कि सोनिया गांधी, कैसे कोई फैसला ले पाएंगी...क्योंकि गहलोत के चुने जाने पर वह पार्टी अध्यक्ष नहीं रहेंगी, तो किस हैसियत से वह फैसला ले सकती हैं?
'गांधी के पास रिमोट कंट्रोल, फर्जी चुनाव क्यों?'
शहजाद पूनावाला ने ट्वीट किया, ''अशोक गहलोच ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी राजस्थान में क्या करना है, इसका फैसला करेंगी, अगर मैं कांग्रेस का अध्यक्ष बना तो।'' लेकिन आप मुझे बताइए, किस हैसियत से वह फैसला करेंगी, क्या वह पूर्व अध्यक्ष होंगी...,क्या कांग्रेस के विधायकों को फैसला नहीं करना चाहिए...। सारी बातें सुनकर लगता है, गांधी के पास सारा रिमोट कंट्रोल होगा...। तो ये फर्जी चुनाव क्यों...?''
'सोनिया गांधी कैसे और क्यों फैसला लेंगी?
भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा, ''महोदय, आपके पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी कैसे और क्यों फैसला लेंगी? क्या वह स्थायी पार्टी की अध्यक्ष हैं और क्या आप रिमोट कंट्रोल पार्टी अध्यक्ष होंगे?
सचिन पायलट बन सकते हैं राजस्थान के अगले सीएम!
अशोक गहलोत के चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच शुक्रवार को इस बात की चर्चा चल रही है कि अगर गहलोत पार्टी की कमान संभालते हैं तो सचिन पायलट मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
इससे पहले, गहलोत ने कहा कि वह दो पद रख सकते हैं, लेकिन गुरुवार को राहुल गांधी ने 'एक व्यक्ति, एक पद' के मानदंड पर जोर दिया, जिसका अर्थ है कि गहलोत एक ही समय में पार्टी प्रमुख और राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं हो सकते। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष का पद सिर्फ एक संगठनात्मक पद नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष एक वैचारिक पद है, यह एक विश्वास प्रणाली है। मेरी सलाह होगी कि जो कोई भी पार्टी अध्यक्ष बने, उसे यह याद रखना चाहिए कि वह विचारों के एक समूह और एक विश्वास प्रणाली और भारत के एक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। हमने उदयपुर चिंतन शिविर (एक व्यक्ति, एक पद) में जो फैसला किया, हम उम्मीद करते हैं कि प्रतिबद्धता बनी रहेगी।"