वोट डालने नहीं जायेंगे अपने राज्य से बाहर रह रहे बिहारी, पर क्यों?
बैंगलोर। बिहार चुनाव में अब कुछ ही दिन रह गये हैं। ऐसे में मूल रूप से बिहार के ही रहने वाले भरत कुमार और शिवशंकर का इस चुनाव से कुछ खास लेना देना नहीं है। बातचीत के दौरान दोनों ने इस बात की तरफ इशारा किया कि ज्यादातर बिहार के लोग अपना वोट देने वापस नहीं जाते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग बिहार के लगभग 55 लाख लोग देश के अलग-अलग हिस्से में रहते हैं और नौकरी करते हैं। आपको बता दें कि कुमार और शिवशंकर बैंगलोर में चाट की दुकान चलाते हैं।
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बातचीत में उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों को जॉब चाहिए और घर से दूर आकर नए जगह पर काम करना किसी को भी अच्छा नहीं लगता। कुमार और शिवशंकर ने कहा कि नीतीश कुमार पैकेज की बात करते हैं क्या यह वास्तव में समस्या का हल है? नहीं बिहार को पैकेज की नहीं इंडस्ट्रीज की जरुरत है जिससे लोगों के लिए नौकरी के रास्ते खुलेंगे।
हमें जॉब चाहिए
यह सोच सिर्फ भरत कुमार और शिवशंकर के ही नहीं हैं, बल्कि हर उन लोगों का है जो बिहार से देश के किसी और हिस्सों में काम कर रहे हैं। भरत ने कहा कि वो कर्नाटक को अब अपना राज्य मानने लगे हैं और यहां तक की उन्होंने कन्नड़ भाषा भी सीख ली है। कास्ट फैक्टर के बारे में भरत कुमार ने कहा कि बिहार चुनाव में कास्ट फैक्टर अहम भूमिका निभाती है।
और जब तक चुनाव में कास्ट फैक्टर होगा तबतक विकास नहीं हो सकता। शिवशंकर ने कहा कि आपको क्या लगता है लालू और नीतीश एक साथ काम कर सकते हैं? यह एक चुनावी दांव पेंच है जो सिर्फ सत्ता में आने के लिए खेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आपको असली तस्वीर देखनी है तो मेरे होम टाउन दरभंगा आईए।
बहुत लोग वोट डालने बिहार नहीं जाते
2001 में हुए एक सर्वे के मुताबिक लगभग 55 लाख लोग बिहार छोड़कर देश के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि उनमें से अधिकांश लोग अपना वोट डालने बिहार वापस नहीं आते। बिहार लगातार बड़ी सम्सयाओं से जूझ रहा है इसलिए यह देश पिछड़ा राज है।