बिहार चुनाव : कोरोना का खौफ, बरसात की रिमझिम...और टिकटार्थियों का मेला
नई दिल्ली। बिहार में कोरोना का खौफ है। मानसून मेहरबान है तो बारिश की रिमझिम भी है। लगभग रोज बादलों की गर्जन-मर्दन के बीच ठहाठह पानी। किसान खुश हैं। धान के बिचड़े पड़ने लगे हैं। चुनाव लड़ने के ख्वाइमंद नेता नेता भी खुश हैं। चुनाव दूर है लेकिन उनकी राजनीतिक खेती के लिए बीज डालने का यही मुनासिब समय है। टिकटार्थी नेता अपने धांसू बायोडाटा के साथ पटना में डेरा डालने लगे हैं। इनकी भीड़ से पटना में राजनीतिक चहल-पहल बनी हुई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक टीका नहीं बन जाता, लोगों को कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। बिहार के नेता वैज्ञानिकों की इस राय पर कुछ ज्यादा ही मुस्तैदी से अमल कर रहे हैं। कोरोना का संक्रमण बिहार में तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन इस बीच चुनाव की भी तैयारी करनी है। चुनांचे जीने की कला सीख चुके नेता पटना पहुंचने लगे हैं। बसों में, निजी गाड़ियों में लद कर आ रहे नेतागण सोशल डिस्टेंसिंग की बैंड बजा रहे हैं। जिन पर कायदे-कानून की जिम्मेवारी है, वे आंखें मूंदे हुए हैं।
तेरे दर पे आये हैं...
टिकटार्थियों
की
प्रायॉरिटी
लिस्ट
में
जदयू
और
भाजपा
पहले
नम्बर
पर
हैं।
हालांकि
यहां
‘न्यू
पॉलिटिकल
रिक्रूटमेंट'
की
गुंजाइश
बहुत
कम
है।
फिर
भी
नेतागण
चांस
मारने
में
कोई
हर्ज
नहीं
समझते।
इन्हें
‘लक
बाई
चांस'
में
यकीन
है।
जदयू
में
नीतीश
कुमार
ही
सर्वेसर्वा
हैं।
उनके
दरबार
में
पहुंचना
मुश्किल
है।
सो
टिकट
चाहने
वाले
नेता
सांसद
आरसीपी
सिंह
और
ललन
सिंह
के
दरवाजे
पर
भीड़
लगा
रहे
हैं।
लोकसभा
चुनाव
के
समय
ये
दोनों
नेता
जदयू
के
प्रमुख
रणनीतिकार
थे।
टिकट
देने-दिलाने
की
इनकी
क्षमता
है।
कुछ
लोग
जदयू
के
दफ्तर
भी
पहुंच
रहे
हैं।
बड़े
नेता
से
डाइरेक्ट
मीटिंग
नहीं
होने
पर
इनके
ऑफिस
में
ही
बायोडाटा
जमा
कर
रहे
हैं।
बायोडाटा
में
हर
उम्मीदवार
का
एक
ही
दावा।
अमुक
सीट
के
लिए
वही
‘सुटेबुल
कैंडिडेट'
है,
अगर
टिकट
मिला
तो
पार्टी
की
जीत
पक्की।
बायोडाटा
जमा
भर
कर
देने
से
इनके
चेहरे
पर
एक
रौनक
छा
जाती
है।
चलो
दरबार
में
हाजिरी
तो
लगा
दी,
शायद
राजा
और
वजीर
की
नजर
पड़
जाए।
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भाजपा और लोजपा में भी लाइन
भाजपा में सुशील मोदी सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। डॉ. संजय जायसवाल प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बैठे हैं, सो उनकी भी एक हैसियत है। दोनों एक हैं लेकिन जरा फासलों से मिला करते हैं। टिकट चाहने वाले नेता इनके रेफरेंस से पार्टी के दफ्तर में लॉबिंग कर रहे हैं। बड़े नामों का हवाला देकर कुछ लोग अर्जी भी डाल रहे हैं। भाजपा में टिकट के लिए पटना से दिल्ली तक तार जोड़ने होंगे, इसलिए अभी से वर्कआउट शुरू है। पिछली बार भाजपा ने नीतीश से अगल होकर चुनाव लड़ा था। नतीजा अच्छा नहीं रहा। इस बार नीतीश साथ हैं तो भाजपा को लेकर उम्मीदे बढ़ गयीं हैं। जिनको जदयू और भाजपा में जुगाड़ मुश्किल लग रहा है वे लोजपा की ओर रुख कर रहे हैं। लोजपा ने एनडीए में अधिक सीटों के लिए माहौल बना रखा है। तनातनी है। राजनीति के नये और पुराने खिलाड़ी नजर गड़ाये हुए हैं। जितनी अधिक सीट, उतने अधिक तलबगार। अगर कही लोजपा ने अकेले ताल ठोक दी तो सबसे अधिक गुंजाइश यहीं है। इसलिए एक बड़ी तादाद उनकी भी है जो ‘चिराग' की रोशनी से अपना अंधेरा दूर करना चाहते हैं। ऐसे नेता लोजपा के दफ्तर में अपनी हाजिरी लगा रहे हैं। बायोडाटा जमा कर रहे हैं।
राजद को लेकर भी बड़ी उम्मीदें
महागठबंधन में राजद की चलेगी। चूंकि जदयू अब साथ नहीं है तो वही सबसे अधिक सीटों पर लड़ेगा। यहां भी टिकट की अच्छी-खासी गुंजाइश है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का आवास चूंकि ‘पावर सेंटर' हैं, इसलिए भीड़ वहीं जुट रही है। टिकट चाहने वाले नेता तेजस्वी यादव या राबड़ी देवी से मिलना चाहते हैं। कुछ की ख्वाइश पूरी होती है कुछ की नहीं। सामाजिक न्याय का मजबूत सिपाही बता कर नेता खुद को जिताऊ उम्मीदवार के रूप में पेश रहे हैं। सामाजिक समीकरण का गुणा-भाग अपने अनुकूल बता रहे हैं। बायोडाटा जमा किया जा रहा है। जिनका बायोडाटा फाइल में लग जाता है वे इत्मिनान की सांस ले रहे हैं। कांग्रेस के गलियारे में राजद जैसी चहल-पहल नहीं है। कुछ लोग कांग्रेस के बड़े नेताओं को जरूर अपना चेहरा दिखा रहे हैं। ये नेता इंतजार में हैं कि राजद, काग्रेस के लेकर क्या रुख अख्तियार करता है। फिर इनकी आमद-रफ्त बढ़ेगी।
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