भीमा कोरेगांव हिंसा: वरवरा राव की बेटी से पूछे गए जातिसूचक सवाल, पुलिस ने कहा 'सिंदूर क्यों नहीं लगाती?'
वामपंथी विचारक और पत्रकार वरवरा राव की बेटी ने पुलिस पर जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है।
हैदराबाद। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पांच राज्यों में छापेमारी के बाद पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। इसमें वामपंथी विचारक वरवरा राव, पत्रकार गौतम नवलखा, एक्टिविस्ट और वकील सुधा भारद्वाज, एक्टिविस्ट वेरनन गोंजालविस और कार्टूनिस्ट अरुण फरेरा शामिल हैं। पुलिस ने पांच राज्यों में छापेमारी के बाद भीमा कोरेगांव हिंसा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश के आरोप में इन पांच विचारकों को गिरफ्तार किया था। वहीं, वामपंथी विचारक और पत्रकार वरवरा राव की बेटी ने पुलिस पर जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार वामपंथी विचारक और पत्रकार वरवरा राव की बेटी के पवना ने बताया कि एक पुलिस अधिकारी ने उनके घर की जांच करते वक्त उनपर जातिसूचक टिप्पणी की। मंगलवार को पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा में उनके पिता की गिरफ्तारी के सिलसिले में पवना के घर की तलाशी ली गई है। के पवना हैदराबाद में इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्युएज्स यूनिवर्सिटी के कैंपस में अपने पति प्रोफेसर के सत्यनारायण के साथ रहती हैं, जो यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ कल्चरल स्टडीज के प्रमुख हैं।
पवना ने बताया कि पुलिस के एक अधिकारी ने इस दौरान उनसे जातिसूचक सवाल किए। एक पुलिस अधिकारी ने उनसे पूछा, 'तुम्हारा पति दलित है, इसलिए वो किसी भी परंपरा का पालन नहीं करता है, लेकिन तुम तो एक ब्राह्मण हो। तुमने कोई जेवर क्यों नहीं पहने या कोई सिंदूर नहीं लगाया। तुमने एक पारंपरिक पत्नी की तरह कपड़े क्यों नहीं पहने हैं? क्या बेटी को भी पिता की तरह होना जरूरी है?'
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सत्यनारायण और पवना के घर पुणे पुलिसकर्मियों और तेलंगाना स्पेशल इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक टीम ने छानबीन की थी। सत्यनारायण ने कहा कि ये एक 'दर्दनाक और अपमानजनक अनुभव' था क्योंकि पुलिसकर्मियों ने उनसे और उनकी पत्नी से बेतुके सवाल किए। 'पहले उन्होंने कहा कि वो मेरे ससुर वरवरा राव की तलाशी कर रहे हैं। जब उन्हें वो नहीं मिले तो उन्होंने बुकशेल्व्स, अलमारी खोजना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि वो मुझे माओवादियों से जोड़ने के लिए कुछ भी ढूंढ रहे थे। उन्होंने पूछा कि क्या वरवरा राव ने मेरे घर में कुछ छुपाया था।'
पुलिस ने पूछा, 'इतनी किताबें क्यों पढ़ते हो'
सत्यनारायण ने बताया कि पुणे और तेलंगाना के बीस पुलिसकर्मियों ने सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक उनके घर पर कब्जा कर लिया और सब कुछ बर्बाद कर दिया। पुलिसकर्मियों ने सत्यनारायण से पूछा कि उनके घर में इतनी सारी किताबें क्यों हैं? क्या वो उन सभी को पढ़ते हैं? इतनी सारी किताबें क्यों खरीदते हैं? वो इतनी सारी किताबें क्यों पढ़ते हैं? वो माओ और मार्क्स पर किताबें क्यों पढ़ रहे हैं? चीन में किताबें क्यों प्रकाशित की गई हैं? उनके पास गद्दार के गाने क्यों हैं? उनके घर में फुले और अंबेडकर की तस्वीरें क्यों हैं, लेकिन भगवान की कोई तस्वीर नहीं है?
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एक पुलिसकर्मी ने सत्यनारायण की किताब की तरफ इशारा करते हुए कहा कि बहुत सारी किताबें पढ़कर वो बच्चों को बिगाड़ रहे हैं। 'एक शीर्ष विश्वविद्यालय में एक एकैडमिक और प्रोफेसर के रूप में मुझे बहुत अपमानित महसूस हुआ। शिक्षाविदों के रूप में, हम विभिन्न प्रकार की किताबें पढ़ते हैं, भले ही ये लेफ्ट, राइट, दलितों की विचारधाराओं से संबंधित हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने मुझे दलितों से संबंधित हर बुक और किताबें जिनमें लाल कवर थे के बारे में पूछताछ की।'
उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनके कंप्यूटर, लैपटॉप और एक्सटरनल हार्ड डिस्क में मौजूद 20 सालों का साहित्यिक कार्य ले गई। इसमें उनकी अपनी दो किताबों ते ड्राफ्ट, साहित्य पत्रों, ऑनलाइन खरीदी गई किताबों की सॉफ्ट कॉपी, दलित साहित्य पर शोध सामग्री शामिल है। पुलिस ने उनसे कहा कि ये सब वापस लेने के लिए उन्हें याचिका डालनी होगी।
दामाद होने के कारण ली गई तलाशी
सत्यनारायण ने जब पुलिसकर्मियों से पूछा कि वो उनके घर की तलाशी क्यों कर रहे हैं, तो उन्हें बताया गया कि वह वरवरा राव के दामाद हैं इसलिए ऐसा हो रहा है। एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर के रूप में मेरी अपनी पहचान को अलग कर दिया गया। उन्होंने मुझे एक अपराधी की तरह महसूस कराया। उन्होंने मुझे मेरी ईमेल आईडी के पासवर्ड देने के लिए भी मजबूर किया। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अपने ससुर को माओवादी विचारधारा का समर्थन न करें कि सलाह क्यों नहीं दी।'
जहां वरवरा राव के बेटी और दामाद ने पुलिस पर ये आरोप लगाए, वहीं पुणे पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर ने इन सभी आरोपों को खारिज किया। पुणे पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर शिवाजी बोढ़खे ने कहा कि ये पूरी तरह से झूठे आरोप हैं। ऐसे कोई सवाल नहीं पूछे गए। प्रक्रिया के अनुसार ही छापे मारे गए थे।' बता दें कि गिरफ्तार पांचों वामपंथी विचारकों को सुप्रीम कोर्ट ने पांच सितंबर तक के लिए नजरबंद रखने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस आदेश को पुणे पुलिस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि, हिरासत लिए गए पांचों लोगों को रिमांड पर नहीं लिया जाएगा।
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