Bengal Election:JNUSU अध्यक्ष आइशी घोष को मिला टिकट, इस पद पर रहे चर्चित नेताओं के नाम जानिए
कोलकाता: 2020 में फीस बढ़ाने के खिलाफ दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुए आंदोलन का चेहरा रहीं छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष पश्चिम बंगाल चुनाव में सीपीएम की उम्मीदवार होंगी, पार्टी ने उन्हें जमुरिया विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। 25 साल की घोष दुर्गापुर की रहने वाली हैं और इस समय जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस से एमफिल/पीएचडी कर रही हैं। आइशी घोष जेएनयू छात्र संघ की पहली मौजूदा अध्यक्ष हैं, जिन्हें विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए उनकी पार्टी ने टिकट दिया गया है। वह सीपीएम की छात्र इकाई एसएफआई की सदस्य हैं और 2019 में छात्र संघ की अध्यक्ष चुनी गई थीं। बता दें कि वामपंथी संगठनों के दबदबे के बावजूद भी एसएफआई को 13 साल बाद यह पद हासिल हुआ था।
जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष को सीपीएम ने दिया टिकट
आइशी घोष ने जेएनयू में छात्र राजनीति शुरू करने से पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलत राम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में डिग्री ली थी। वह कॉलेज में दाखिल होते हुए ही राजनीति में सक्रिय हो गई थीं और मास्टर्स के लिए उन्होंने जेएनयू में दाखिला लेना बेहतर समझा और जहां उनकी राजनीति भी चल निकली। जिस वक्त सीपीएम की छात्र इकाई ने उन्हें छात्र संघ चुनाव में प्रत्याशी बनाया था, वह कैंपस में चल रहे आंदोलन का चेहरा बन चुकी थीं। फीस बढ़ाने के खिलाफ हुए आंदोलन में वहां जो पिछले साल 5 जनवरी को हिंसा भड़की थी, उसमें उनके सिर और हाथ में चोट आई थी और लगता है कि उसी वजह से उनकी सियासी किस्मत का ताला खुल गया है और सीपीएम ने उनपर बंगाल चुनाव में दांव लगाया है। बाद में उन्होंने हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हुए आंदोलन की भी अगुवाई की थी।
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कांग्रेस और आईएसएफ का भी समर्थन
बंगाल की जमुरिया सीट पर इनकी उम्मीदवार को कांग्रेस और मुस्लिम धर्म गुरु से सियासत में उतरे फुरफुरा शरीफ के मौलवी अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट वाले संयुक्त मोर्चा का समर्थन भी हासिल होगा। उन्होंने टिकट मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट कर लिखा है- 'जमुरिया विधानसभा सीट से सीपीआई(एम) उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ूंगी, जिसे संयुक्त मोर्चा का समर्थन मिलेगा। सभी से निवेदन है कि समर्थन करें।' बता दें कि लेफ्ट फ्रंट ने पहले दो चरण के चुनाव के लिए 5 मार्च को ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे, जबकि बाकी 6 चरणों की अधिकतर सीटों के लिए इसका ऐलान बुधवार को किया है।
जेएनयू छात्र संघ के कई पूर्व अध्यक्ष राजनीति में चर्चित
इससे पहले जेएनयू छात्र संघ के कई पूर्व अध्यक्ष देश और राज्यों की राजनीति में चर्चित चेहरा बनकर उभर चुके हैं। इनमें डीपी त्रिपाठी, प्रकाश करात, सीताराम येचुरी, चंद्रशेखर प्रसाद, शकील अहमद खान, तनवीर अख्तर और कन्हैया कुमार शामिल हैं। इनमें से सिर्फ तनवीर अख्तर को छोड़कर सारे नेताओं ने लेफ्ट से जुड़े छात्र संगठनों में रहते हुए ही जेएनयू छात्र संघ की अगुवाई की थी। जबकि तनवीर को यह कामयाबी कांग्रेस से जुड़ी छात्र इकाई एनएसयूआई से मिली थी। इनमें से सीताराम येचुरी अभी भी सीपीएम के महासचिव हैं और कन्हैया कुमार पिछला लोकसभा चुनाव सीपीआई के टिकट पर बिहार के बेगूसराय से लड़ चुके हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के हाथों बुरी तरह मात भी खा चुके हैं।
आइशी का वामपंथी राजनीति से पारिवारिक नाता
वैसे आइशी का लेफ्ट की राजनीति से पारिवारिक नाता रहा है। उनके पिता देबाशीष घोष दामोदर वैली कॉर्पोरेशन (डीवीसी) के कर्मचारी हैं। वो वहां पर सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू) से जुड़े रहे हैं, जो कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) की मजदूर इकाई है। गौरतलब है कि 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए इसबार 8 फेज में वोट डाले जाएंगे। पहला चरण 27 मार्च से शुरू हो रहा है और आखिरी 29 अप्रैल को होगा। 2 मई को बंगाल के साथ बाकी और तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में वोटों की गिनती की जाएगी।