BBC Documentary: पीएम मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दिखाई गई, अधिकारियों ने शुरू की जांच
हैदराबाद यूनिवर्सिटी कैंपस में पीएम नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को छात्रों को दिखाया गया। जिसकी शिकायत ABVP ने अधिकारियों से की है। जिसके बाद अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी।
BBC Documentary: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री (BBC Documentary) पर भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को ट्विटर और यूट्यूब लिंक वीडियो को ब्लॉक कर दिया गया हैं। ट्विटर और यूट्यूब से ये वीडियो और लिंक हटाए जा रहे हैं। इसके बावजूद भी हैदराबाद यूनिवर्सिटी में छात्रों को डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। यूनिवर्सिटी के छात्रों को डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने की शिकायत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अधिकारियों से की है। शिकायत मिलने के बाद अधिकारियों ने जांच शुरु कर दी है।
दरअसल, बीबीसी ने 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' शीर्षक से दो पार्ट में एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज बनाई है। ये सीरीज गुजरात में 2002 में हुए दंगों पर आधारित है। शनिवार 21 जनवरी को भारत सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज के ट्वीट और यूट्यूब लिंक वीडियो को ब्लाक कर दिया था। तो वहीं, 23 जनवरी को हैदराबाद यूनिवर्सिटी में इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज का आयोजन किया गया। इस बात की शिकायत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अधिकारियों से की।
ABVP कार्यकर्ताओं द्वारा अधिकारियों को बताया कि यूनिवर्सिटी परिसर में छात्रों ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देखी। लिखित शिकायत का पुलिस ने संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है। तो वहीं, इस संबंध में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे प्राप्त शिकायक के आधार पर एक रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट का इंतजार है और उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर, छात्र संघ ने कुछ भी 'अवैध या गलत' करने से इनकार किया है। वहीं, गाछीबौली पुलिस के मुताबिक, अभी तक स्क्रीनिंग को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है।
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2002
में
हुए
गुजरात
दंगों
पर
आधारित
है
डॉक्यूमेंट्री
दरअसल,
बीबीसी
की
'इंडिया:
द
मोदी
क्वेश्चन'
डॉक्यूमेंट्री
2002
में
गुजरात
के
अंदर
हुए
दंगों
पर
आधारित
है।
इस
डॉक्यूमेंट्री
को
लेकर
भारत
में
विवाद
खड़ा
हो
गया
और
केंद्र
की
शिकायतों
के
बाद
इसे
यूट्यूब
और
ट्विटर
पर
ब्लॉक
भी
कर
दिया
गया
था।
तो
वहीं,
इस
डॉक्यूमेंट्री
को
विदेश
मंत्रालय
के
प्रवक्ता
अरिंदम
बागची
ने
झूठे
नेरेटिव
और
प्रोपेगेंडा
का
हिस्सा
मात्र
बताया
था।