क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

संगम में डुबकी लगाना अब पवित्र नहीं रहा, सरकार की इस रिपोर्ट के बाद गंगा में नहाने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा

Google Oneindia News

इलाहाबाद। संगम को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र स्थान के तौर पर देखा जाता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियों का मिलन होता है। देश के करोड़ो लोगों की आस्था इससे जुड़ी है। लेकिन गंगा नदी में सीवेज के जरिए डाले जाने वाला मत्र इसे काफी नुकसान पहुंचा रहा है। यहां फीकल कोलिफोर्म बैक्टीरिया भयावह स्तर पर पहुंच चुका है, जोकि नदी में मल की वजह से बनता है। गंगा नदी में मल को एक निश्चत सीमा तक ही डालने की इजाजत है, लेकिन यह अपनी निश्चित सीमा से काफी ज्यादा पहुंच चुका है। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार यहां 2017 में यह मात्रा तय सीमा से कहीं अधिक पहुंच चुकी है।

50 फीसदी जगह पानी अशुद्ध

50 फीसदी जगह पानी अशुद्ध

संगम में मल बैक्टीरिया यानि फीकल कोलीफोर्म (एफसी) की तय सीमा 5-13 गुना अधिक है, लिहाजा संगम में डुबकी लगाना आपके लिए काफी हानिकारक हो सकता है। एफसी बैक्टीरिया जिसमे ई कोली नाम का बैक्टीरिया होता है, यह सीवर से आता है। इसकी निर्धारित सीमा प्रति 100 मिली लीटर एफसी 500 है जोकि बढ़कर 2500 तक पहुंच चुकी है। संगम तट के चारो तरफ प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है, जहां लोगों की भारी आबादी काफी नुकसान पहुंचा रही है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े के अनुसार उत्तर प्रदेश के 16 स्टेशन पर 50 फीसदी से अधिक जगहों पर तय सीमा से अधिक एफसी पाया गया है।

हजारों गुना बढ़ा प्रदूषण

हजारों गुना बढ़ा प्रदूषण

वहीं बिहार के तटों को देखें तो यहां 88 फीसदी जगहों पर तय सीमा से अधिक एफसी है। सबसे अधिक प्रदूषण वाली जगहें कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी हैं। कानपुर के जाजमऊ पंपिंग स्टेशन पर 2017 मे एफसी लेवल 10-23 गुना अधिक है। 2011 में भी यहां एफसी लेवल 4000 से 93000 पाया गया था। वाराणसी के मालवीय ब्रिज में एफसी लेवल 13-19 गुना अधिक है। बिहार के बक्सर में रामरेखाघाट पर एफसी लेवल 2017 में 16000000 पहुंच गया था जोकि 6400 गुना अधिक है।

पांच राज्यों में गंगा दूषित

पांच राज्यों में गंगा दूषित

2017 के आंकड़े के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि पांच राज्यों में गंगा नदी की स्थिति काफी बदतर है, जिसमे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। यहां 2017 के आंकड़ों के अनुसार गंगा की स्थिति काफी बदतर है। अधिकतर जहां पर सीवेज ट्रीटमेंट का प्रस्ताव पिछले कुछ वर्षों में पारित हुआ है, लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं आया है। उत्तर प्रदेश में 65 फीसदी स्टेशन पर परिणाम 2017 में असंतोषजनक आए थे। बिहार में 76 फीसदी स्टेशन के परिणाम असंतोषजनक हैं, यहां पानी की गुणवत्ता काफी खराब है।

Comments
English summary
Bathing in Ganga is no more holy dip data reveals its severe pollution. Report says faecal coliform bacteria is at extreme.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X