निरहुआ चला दिल्ली... आजमगढ़ में कमल खिलाने वाला 'निरहुआ' जिसे कहा जाता है हिट की गारंटी
लखनऊ, 26 जून। गांव की आवाज जाके दिल्ली में उठाएंगे, केहू जौन किया नाही कर के दिखाएंगे... करीब 20 साल पहले जब सीडी कैसेट का बाजार नया-नया धूम मचा रहा था उसी दौर में एक भोजपुरी गाना आया था आ गइले नेता जी नाम से। इस पैराग्राफ की शुरुआती लाइन उसी गाने के बोल हैं। उस समय दुबले पतले से दिखने वाले जिस लड़के ने ये गाना गाया था आज वो भोजपुरी का सुपरस्टार है। और जो लाइनें कभी रील लाइफ के लिए लिखी गई थीं आज उसने सच कर दिखाई हैं। हम बात कर रहे हैं अपने फैंस के बीच निरहुआ नाम से मशहूर दिनेश लाल यादव की जिन्होंने यूपी की आजमगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में मुलायम यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को पटखनी दे दी है।
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सपा के गढ़ में निरहुआ ने खिलाया कमल
आजमगढ़ उपचुनाव में दिनेश लाल यादव ने सपा के धर्मेंद्र यादव को नजदीकी मुकाबले में पटकनी दे दी। आजमगढ़ पर निरहुआ की जीत कई मायनों में खास है। यह सीट सिर्फ सपा का गढ़ ही नहीं रही है। यहां से मुलायम सिंह यादव और वर्तमान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव दोनों चुनकर संसद जा चुके हैं। इस बार का उपचुनाव तो अखिलेश यादव के इस सीट से इस्तीफा देने की वजह से हुआ था। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से अखिलेश यादव ने भारी अंतर से जीत हासिल की थी। एक और खास बात कि उस समय अखिलेश यादव के सामने यही निरहुआ थे जो भारी अंतर से चुनाव हार गए थे।
सपा का गढ़ रही है आजमगढ़ सीट
2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव करहल सीट से विधानसभा चुनाव जीते और उत्तर प्रदेश विधानसभा में ही बने रहने का फैसला किया। आजमगढ़ लोकसभा सीट से अखिलेश ने इस्तीफा दिया जिसके चलते यहां उपचुनाव हुए। अखिलेश ने उपचुनाव में इस सीट पर अपने परिवार के ही सदस्य धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा लेकिन तीन साल में ही स्थितियां ऐसी बदलीं जो दिनेश लाल यादव यहां से चुनाव हारे थे उन्होंने सपा के इस गढ़ को ही ढहा दिया। एक बात और ध्यान देने की है यह वही आजमगढ़ है जहां इसी साल हुए राज्य के विधानसभा चुनाव में 10 की 10 सीटों पर सपा ने जीत हासिल कर अपना दम दिखाया था।
भोजपुरी का सुपरस्टार राजनीति में भी हिट
आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव ने राजनीतिक पारी का नया अध्याय भले शुरू किया है और आज सुर्खियों में है लेकिन वे किसी पहचान के मोहताज नहीं है। भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में निरहुआ का रुतबा सुपरस्टार का है। यूपी, बिहार और झारखंड में आज शायद ही कोई हो जो निरहुआ को न जानता हो। गायकी से अपने सफर की शुरुआत करने वाले दिनेश लाल यादव ने स्टेज के लिए अपना एक नाम चुना निरहुआ। इस नाम के साथ उनका रिश्ता ऐसा जुड़ा कि न फिर वे इससे अलग हो पाए और न ये नाम उनसे छूटा। आज उनके ढेर सारे फैन तो ऐसे हैं जो उनका असली नाम जानते ही नहीं।
निरहुआ नाम के साथ है गहरा रिश्ता
पहले उनके नाम की कहानी समझ लेते हैं। आपको फिर से इस स्टोरी के शुरू में चलना होगा, वही करीब 20 साल पहले सीडी वाले जमाने में। दिनेश लाल यादव का पहला एल्बम आया था, नाम था- निरहुआ सटल रहे। इसी एलबम में दिनेश यादव के कैरेक्टर का नाम था- निरहू। गांव में बदलते समाज की स्थितियों को दिखाता हुआ यह एलबम जबर्दस्त हिट हुआ था। यह गाना बसों, टेम्पो से लेकर ट्रैक्टर तक में बजने लगा था।
म्यूजिक से फिल्म इंडस्ट्री का रुख
बाद में इसी हिट को भुनाते हुए दिनेश लाल यादव ने आगे भी अपनों गानों में निरहुआ नाम का इस्तेमाल किया। बाद में जब गायकी से भोजपुरी फिल्मों की दुनिया में कदम रखा तो वहां भी यही नाम बनाए रखा। ये वो दौर था जब भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में मनोज तिवारी, रवि किशन जैसे दिग्गज कलाकारों का बोलबाला था। इसी दौर में निरहुआ ने भोजपुरी फिल्म की दुनिया में कदम रखा। पहली फिल्म रिलीज हुई निरहुआ रिक्शा वाला।
पहली ही फिल्म ने गाड़े सफलता के झंडे
निरहुआ रिक्शवाला ने सफलता के झंडे गाड़ दिए और इसके साथ ही दिनेश लाल यादव के नाम की गूंज भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में भी सुनाई देने लगी। इसके बाद तो उन्होंने फिल्मों की झड़ी लगा दी। आम जनमानस पर छा गए इस कलाकार को जनता ने खूब प्यार दिया। निरहुआ को जनता का प्यार मिल रहा था और निरहुआ लगातार जनता का मनोरंजन कर रहा था। उन्होंने कई फिल्मों के शीर्षक ही इस नाम से रखे। जैसे निरहुआ रिक्शावाला, निरहुआ हिंदुस्तानी, निरहुआ चला ससुराल, निरहुआ चला लंदन।
राजनीति में आते ही दिखा दिए तेवर
साल 2019 के आम चुनाव के पहले दिनेश लाल यादव ने भाजपा ज्वाइन की। ये वह समय था जब भोजपुरी इंडस्ट्री में उनका जलवा चल रहा था और ऐसे समय में एक्टर कम ही राजनीति की तरफ जाते हैं। लेकिन निरहुआ नई भूमिका के लिए तैयार थे। अभी उनके सामने बड़ा चैलेंज आया जब बीजेपी ने उन्हें अखिलेश यादव के खिलाफ मैदान में उतार दिया।
अब निरहुआ चला दिल्ली
अखिलेश जैसे दिग्गज के सामने आजमगढ़ सीट से चुनाव में उतरना खुद पांव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा था। यहां भी दिनेश लाल यादव हिम्मत नहीं हारे और जमकर प्रचार किया। परिणाम उनके लिए बुरे रहे और वह भारी अंतर से हार चुके थे। निरहुआ आजमगढ़ सीट से भले हार भले गया लेकिन आजमगढ़ के लोगों से रिश्ता जो बना तो फिर आगे भी रहा। हार के बाद भी वह आजमगढ़ आते रहे और लोगों से मिलते रहे। आज उपचुनाव के नतीजों के साथ ये साबित हो गया है कि 'निरहुआ चलल दिल्ली'। वैसे निरहू चाहें तो इस पर फिल्म भी बना सकते हैं।
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