राम मंदिर विवाद की जड़ से आज तक, जानिए विवाद की पूरी कहानी
पूरा विवाद इस बात पर है कि देश के हिंदुओं की मान्यता के अनुसार अयोध्या की विवादित जमीन भगवान राम की जन्मभूमि है जबकि देश के मुसलमानों के मुताबिक बाबरी मस्जिद भी विवादित स्थल पर स्थित है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंश मामले में बड़ा फैसला देते हुए भाजपा के कई बड़े नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कोर्ट ने इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत आरोपी 13 भाजपा नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के तहत धारा 120 बी के तहत मामला चलाए जाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मामले की अहम सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए, इसके लिए कोर्ट ने बकायदा दो वर्ष का समय निर्धारित किया है। इससे पहले अयोध्या के रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि ये मुद्दा बेहद संवेदनशील है। ऐसे में इस संवेदनशील मुद्दे का हल आपसी सहमति से निकाला जाए। जानिए क्या है ये पूरा मामला और इसमें कब-कब क्या-क्या हुआ...
अयोध्या के रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद को दशकों पुराना है। पूरा विवाद इस बात पर है कि देश के हिंदुओं की मान्यता के अनुसार अयोध्या की विवादित जमीन भगवान राम की जन्मभूमि है जबकि देश के मुसलमानों के मुताबिक बाबरी मस्जिद भी विवादित स्थल पर स्थित है।
अयोध्या विवाद में कब-कब क्या हुआ?
- मुस्लिम सम्राट बाबर ने फतेहपुर सीकरी के राजा राणा संग्राम सिंह को वर्ष 1527 में हराने के बाद इस स्थान पर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया था। बाबर ने अपने जनरल मीर बांकी को क्षेत्र का वायसराय नियुक्त किया। मीर बकी ने अयोध्या में वर्ष 1528 में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया।
- इस बारे में कई तरह के मत प्रचलित हैं कि जब मस्जिद का निर्माण हुआ तो मंदिर को नष्ट कर दिया गया या बड़े पैमाने पर उसमें बदलाव किये गए। कई वर्षों बाद आधुनिक भारत में हिंदुओं ने फिर से राम जन्मभूमि पर दावे करने शुरू किये जबकि देश के मुसलमानों ने विवादित स्थल पर स्थित बाबरी मस्जिद का बचाव करना शुरू किया।
- प्रमाणिक किताबों के अनुसार पुन: इस विवाद की शुरुआत सालों बाद वर्ष 1987 में हुई। वर्ष 1940 से पहले मुसलमान इस मस्जिद को मस्जिद-ए-जन्मस्थान कहते थे, इस बात के भी प्रमाण मिले हैं।
विश्व हिंदू परिषद ने शुरु किया आंदोलन
वर्ष
1947-
भारत
सरकार
ने
मुसलमानों
के
विवादित
स्थल
से
दूर
रहने
के
आदेश
दिए
और
मस्जिद
के
मुख्य
द्वार
पर
ताला
डाल
दिया
गया
जबकि
हिंदू
श्रद्धालुओं
को
एक
अलग
जगह
से
प्रवेश
दिया
जाता
रहा।
वर्ष
1984-
विश्व
हिंदू
परिषद
ने
हिंदुओं
का
एक
अभियान
शुरू
किया
कि
हमें
दोबारा
इस
जगह
पर
मंदिर
बनाने
के
लिए
जमीन
वापस
चाहिए।
वर्ष
1989-
इलाहाबाद
उच्च
न्यायलय
ने
आदेश
दिया
कि
विवादित
स्थल
के
मुख्य
द्वारों
को
खोल
देना
चाहिए
और
इस
जगह
को
हमेशा
के
लिए
हिंदुओं
को
दे
देना
चाहिए।
सांप्रदायिक
विवाद
तब
भड़का
जब
विवादित
स्थल
पर
स्थित
मस्जिद
को
नुकसान
पहुंचाया
गया।
जब
भारत
सरकार
के
आदेश
के
अनुसार
इस
स्थल
पर
नये
मंदिर
का
निर्माण
शुरू
हुआ
तब
मुसलमानों
के
विरोध
ने
सामुदायिक
गुस्से
का
रूप
लेना
शरु
किया।
1992 में हुआ बाबरी मस्जिद विध्वंस
वर्ष
1992-
6
दिसंबर
1992
को
बाबरी
मस्जिद
विध्वंस
के
साथ
ही
यह
मुद्दा
सांप्रदायिक
हिंसा
और
नफरत
का
रूप
लेकर
पूरे
देश
में
संक्रामक
रोग
की
तरह
फैलने
लगा।
इन
दंगों
में
2000
से
ऊपर
लोग
मारे
गए।
मस्जिद
विध्वंस
के
10
दिन
बाद
मामले
की
जांच
के
लिए
लिब्रहान
आयोग
का
गठन
किया
गया।
वर्ष
2003-
उच्च
न्यायालय
के
आदेश
पर
भारतीय
पुरात्तव
विभाग
ने
विवादित
स्थल
पर
12
मार्च
2003
से
7
अगस्त
2003
तक
खुदाई
की
जिसमें
एक
प्राचीन
मंदिर
के
प्रमाण
मिले।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
वर्ष
2005-
5
जुलाई
2005
को
5
आतंकियों
ने
अयोध्या
के
रामलला
मंदिर
पर
हमला
किया।
इस
हमले
का
मौके
पर
मौजूद
सीआरपीएफ
जवानों
ने
वीरतापूर्वक
जवाब
दिया
और
पांचों
आतंकियों
को
मार
गिराया।
जून
2009-
लिब्राहन
कमिशन
ने
अपनी
रिपोर्ट
पेश
की
जिसमें
17
साल
पहले
बाबरी
मस्जिद
के
विध्वंश
की
वजहों
को
उजागर
किया
गया
था।
नवंबर
2009-
संसद
में
लिब्राहन
आयोग
की
रिपोर्ट
पर
जमकर
हंगामा
हुआ
जिसमें
कई
हिंदू
और
भाजपा
नेताओं
के
शामिल
होने
की
बात
कही
गयी
थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को किया खारिज
सितंबर
2010-
इलाहाबाद
हाई
कोर्ट
की
बेंच
ने
अपने
फैसले
में
कि
अयोध्या
के
विवादित
जगह
को
तीन
लोगों
में
बांटा
जाए।
जिसमें
कहा
गया
कि
मुस्लिम
संगठन
को
एक
तिहाई
हिस्सा,
हिंदू
संगठन
को
दूसरा
हिस्सा
जबकि
निर्मोही
अखाड़ो
को
तीसरा
हिस्सा
दिया
जाए।
मुख्य
स्थल
जहां
बाबरी
मस्जिद
को
गिराया
गया
था
उसे
हिंदू
संगठन
को
दिया
गया
था
जिसे
मुस्लिम
संगठनों
ने
चुनौती
दी।
मई
2011-
हिंदू
और
मुस्लिम
संगठनों
के
हाई
कोर्ट
के
फैसले
के
खिलाफ
अपील
के
बाद
सुप्रीम
कोर्ट
ने
हाई
कोर्ट
के
फैसले
को
खारिज
कर
दिया।
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