जन्म से लेकर परमाणु परीक्षण और कारगिल वॉर तक, पढ़ें अटल जी के बारे में सबकुछ
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कौन
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को
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व्यथा
पलकों
पर
ठिठकी
हार
नहीं
मानूंगा
रार
नहीं
ठानूंगा
काल
के
कपाल
पर
लिखता-मिटाता
हूं
गीत
नया
गाता
हूं...
यह कविता देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की है जो खराब स्वास्थ्य के चलते AIIMS में भर्ती हैं। पूरा देश उनकी सलामती के लिए दुआएं कर रहा है। जो जानकारी है उसके मुताबिक अटल जी अभी कुछ दिन और एम्स में रहेंगे क्योंकि इन्फेक्शन अभी भी बरकरार है। हालांकि, बताया जा रहा है कि यूरिन रात में और सुबह में भी पास हुआ है लेकिन वो अभी भी आईसीयू में हैं। अटल जी आज भले ही राजनीति के मुख्य रंगमंच पर नहीं हैं लेकिन किनारे पर खड़े होकर भी मुख्य धारा के किसी भी नेता से ज्यादा मुखर और प्रभावशाली व्यक्तित्व वाजपेयी जी का है। वाजपेयी जी आज भी भारतीय राजनीति के सबसे मजबूत हस्ताक्षर हैं। उनकी आवाज मद्धम पड़ गई लेकिन बीजेपी ही नहीं देश के लिए वो एक बड़े सिंबल हैं। तो आइए आपको अटल जी की जिंदगी से जुड़ी हर एक छोटी-बड़ी बात बताते हैं। इससे पहले वनइंडिया भी वाजपेयी जी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है।
ग्वालियर में हुआ जन्म, पांचवी कक्षा में पहली बार दिया था भाषण
अटल जी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर के शिंके का बाड़ा मुहल्ले में हुआ था। उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापन का कार्य करते थे और माता कृष्णा देवी घरेलू महिला थीं। अटल जी अपने माता-पिता की सातवीं संतान थे। उनसे बड़े तीन भाई और तीन बहनें थीं अटल जी के बड़े भाइयों को अवध बिहारी वाजपेयी, सदा बिहारी वाजपेयी तथा प्रेम बिहारी वाजपेयी के नाम से जाना जाता है। अटलजी बचपन से ही अंतर्मुखी और प्रतिभा संपन्न थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बड़नगर के गोरखी विद्यालय में हुई। यहां से उन्होंने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की। जब वह पांचवीं कक्षा में थे, तब उन्होंने प्रथम बार भाषण दिया था। लेकिन बड़नगर में उच्च शिक्षा की व्यवस्था न होने के कारण उन्हें ग्वालियर जाना पड़ा।
कॉलेज जीवन में ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना आरंभ कर दिया था
ग्वालियर में विक्टोरिया कॉलेजियट स्कूल में दाखिल कराया गया, जहां से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की। इस विद्यालय में रहते हुए उन्होंने वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लिया तथा प्रथम पुरस्कार भी जीता। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक स्तर की शिक्षा ग्रहण की। कॉलेज जीवन में ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना आरंभ कर दिया था। आरंभ में वह छात्र संगठन से जुड़े। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख कार्यकर्ता नारायण राव तरटे ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखा प्रभारी के रूप में कार्य किया। कॉलेज जीवन में उन्होंने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। वह 1943 में कॉलेज यूनियन के सचिव रहे और 1944 में उपाध्यक्ष भी बने।
पत्रकारिता से जुड़ने के चलते नहीं कर पाए पीएचडी
ग्वालियर की स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद वह कानपुर चले गए। यहां उन्होंने डीएवी महाविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होंने कला में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। इसके बाद वह पीएचडी करने के लिए लखनऊ चले गए। पढ़ाई के साथ-साथ वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य भी करने लगे। परंतु वह पीएचडी करने में सफलता प्राप्त नहीं कर सके, क्योंकि पत्रकारिता से जुड़ने के कारण उन्हें अध्ययन के लिए समय नहीं मिल रहा था। उस समय राष्ट्रधर्म नामक समाचार-पत्र पंडित दीनदयाल उपाध्याय के संपादन में लखनऊ से मुद्रित हो रहा था। तब अटलजी इसके सह सम्पादक के रूप में कार्य करने लगे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय इस समाचार-पत्र का संपादकीय स्वयं लिखते थे और शेष कार्य अटलजी एवं उनके सहायक करते थे। राष्ट्रधर्म समाचार-पत्र का प्रसार बहुत बढ़ गया। ऐसे में इसके लिए स्वयं की प्रेस का प्रबंध किया गया, जिसका नाम भारत प्रेस रखा गया था।
अटल जी का राजनीतिक करियर
वाजपेयी की राजनैतिक यात्रा की शुरुआत एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हुई। 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के कारण वह अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। इसी समय उनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई, जो भारतीय जनसंघ यानी बीजेएस के नेता थे। उनके राजनैतिक एजेंडे में वाजपेयी ने सहयोग किया। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मुकर्जी की जल्द ही मृत्यु हो गई और बीजेएस की कमान वाजपेयी ने संभाली और इस संगठन के विचारों और एजेंडे को आगे बढ़ाया।
1957 में पहली बार बने सांसद
सन 1957 में वह बलरामपुर सीट से संसद सदस्य निर्वाचित हुए। छोटी उम्र के बावजूद वाजपेयी के विस्तृत नजरिए और जानकारी ने उन्हें राजनीति जगत में सम्मान और स्थान दिलाने में मदद की। 1977 में जब मोरारजी देसाई की सरकार बनी, वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया। दो वर्ष बाद उन्होंने चीन के साथ संबंधों पर चर्चा करने के लिए वहां की यात्रा की। भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के कारण प्रभावित हुए भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्ते को सुधारने के लिए उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा कर नई पहल की। जब जनता पार्टी ने आरएसएस पर हमला किया, तब उन्होंने 1979 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सन 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने की पहल उनके व बीजेएस तथा आरएसएस से आए लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत जैसे साथियों ने रखी। स्थापना के बाद पहले पांच साल वाजपेयी इस पार्टी के अध्यक्ष रहे।
एक बार 13 दिन और एक बार 13 महीने के लिए पीएम
सन 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी को में सत्ता में आने का मौका मिला और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री चुने गए। लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने के कारण सरकार गिर गईऔर वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद से मात्र 13 दिनों के बाद ही इस्तीफा देना पड़ गया। सन 1998 चुनाव में बीजेपी एक बार फिर विभिन्न पार्टियों के सहयोग वाला गठबंधन नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स के साथ सरकार बनाने में सफल रही पर इस बार भी पार्टी सिर्फ 13 महीनों तक ही सत्ता में रह सकी, क्योंकि ऑल इंडिया द्रविड़ मुन्नेत्र काज़गम ने अपना समर्थन सरकार से वापस ले लिया।
परमाणु परीक्षण कराए और फिर 5 साल रहे प्रधानमंत्री
वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण कराए। 1999 के लोक सभा चुनावों के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (एनडीए) को सरकार बनाने में सफलता मिली और अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। इस बार सरकार ने अपने पांच साल पूरे किए और ऐसा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। सहयोगी पार्टियों के मजबूत समर्थन से वाजपेयी ने आर्थिक सुधार के लिए और निजी क्षेत्र के प्रोत्साहन हेतु कई योजनाएं शुरू की। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में राज्यों के दखल को सीमित करने का प्रयास किया। वाजपेयी ने विदेशी निवेश की दिशा में और सूचना तकनीकी के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा दिया। उनकी नई नीतियों और विचारों के परिणाम स्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था ने त्वरित विकास हासिल किया। पाकिस्तान और यूएसए के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्ते कायम करके उनकी सरकार ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया। हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी की विदेश नीतियां ज्यादा बदलाव नहीं ला सकीं, फिर भी इन नीतियों को बहुत सराहा गया।
पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल
19 फ़रवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी संबंधों में एक नयी शुरुआत की।
कारगिल युद्ध में भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया
कुछ ही समय पश्चात् पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया। इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गए।
वाजपेयी सरकार के अन्य प्रमुख कार्य
- एक सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।
- संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया।
- राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।
- राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं।
- आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतें नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमन्त्रियों का सम्मेलन बुलाया।
- उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया।
- आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया।
- ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।
- सरकारी खर्चे पर रोजा इफ़्तार शुरू किया
- देश के लिए अपनी अभूतपूर्व सेवाओं के चलते उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया।
- 1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि का सम्मान प्राप्त हुआ।
- वर्ष 1994 में अटल बिहारी वाजपेयी को लोकमान्य तिलक अवार्ड से सम्मानित किया गया
- वर्ष 1994 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
- वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान।
- वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न' से नवाजा गया।
- वर्ष 2015 में बांग्लादेश द्वारा ‘लिबरेशन वार अवार्ड' दिया गया।
- अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
- कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
- संसद में तीन दशक
- अमर आग है
- कुछ लेख: कुछ भाषण
- सेक्युलर वाद
- राजनीति की रपटीली राहें
- बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।
- मेरी इक्यावन कविताएँ
- आजीवन अविवाहित रहे।
- वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी हैं।
- परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये।
- सन् 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सीआईए को भनक तक नहीं लगने दी।
- अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।
- अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।
साल 2005 में अटल जी ने सक्रिय राजनीति से लिया संन्यास
अपने पांच साल पूरे करने के बाद एनडीए गठबंधन पूरे आत्मविश्वास के साथ अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 2005 के चुनाव में उतरा पर इस बार कांग्रेस के नेतृत्व में यू.पी.ए. गठबंधन ने सफलता हासिल की और सरकार बनाने में सफल रही। दिसंबर 2005 में अटल बिहारी वाजपेयी ने सक्रीय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी।
पुरस्कार और सम्मान
अटल जी की प्रमुख रचनायें
उनकी
कुछ
प्रमुख
प्रकाशित
रचनाएँ
इस
प्रकार
हैं
:
अटज जी के जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य