बिहार: टिकट बंटवारे में NDA के DNA में दिखा वंशवाद, जान लीजिए कौन किसका रिश्तेदार
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार वंशवाद की राजनीति को लेकर विपक्षी पार्टियों पर तंज कसते रहे हैं। वह लगातार कांग्रेस , समाजवादी पार्टी, राजद समेत विपक्षी दलों पर लगातार परिवारवाद की राजनीति का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन बिहार में एनडीए ने हाल ही में उम्मीदवारों की सूची जारी की है। जिसे देखकर पता चलता है कि खून 'पसीने' से अधिक मोटा है। भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जिनमें से कम से कम 12 प्रत्याशी ऐसे हैं जो किसी ना किसी परिवार या अन्य से संबंधित हैं। इस गठबंधन में ऐसी कोई पार्टी नहीं है जिसे वंशवाद का अपवाद माना जाए।
रामविलास पासवान ने परिवार के तीन लोगों को बांटा टिकट
वंशवाद
की
राजनीति
पर
हमलावर
मोदी
और
अमित
शाह
की
जोड़ी
ने
बिहार
में
रामविलास
पासवान
की
पार्टी
को
6
सीटें
दी
हैं।
इनमें
से
पांच
उम्मीदवार
या
तो
राम
विलास
पासवान
के
परिवार
से
या
अन्य
से
संबंधित
हैं।
इन
पांच
में
से
तीन
रामविलास
पासवान
के
परिवार
से
हैं।
इनमें
रामविलास
पासवान
के
बेटे
चिराग
पासवान
जमुई
से
लोकसभा
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
पासवान
के
एमएलसी
भाई
पशुपति
कुमार
पासवान
पहली
बार
हाजीपुर
सीट
से
लोकसभा
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
उसके
अलावा
राम
विलास
पासवान
के
एक
औऱ
भाई
समस्तीपुर
से
चुनाल
लड़
रहे
हैं।
अन्य
दो
लोजपा
प्रत्याशियों
में
से
वीणा
देवी
(वैशाली
से
मैदान
में)
जद
(यू)
के
एमएलसी
दिनेश
सिंह
की
पत्नी
हैं।
इसी
तरह,
चंदन
कुमार
(नवादा
से
मैदान
में
है,
वर्तमान
में
भाजपा
के
गिरिराज
सिंह
इस
सीट
से
सांसद
हैं),
बाहुबली
नेता
सूरजभान
सिंह
के
छोटे
भाई
हैं।
रामविलास
पासवान
ने
वंशवाद
की
राजनीति
को
खारिज
करते
हुए
कहा
कि,
लोकतंत्र
में,
मतदाता
सांसद
या
विधायक
का
चुनाव
करते
हैं।
इसमें
वंशवाद
जैसा
कुछ
नहीं
है।
बिहार में बीजेपी भी परिवारवाद में नहीं रही पीछे
बिहार में लोजपा ऐसा करने वाली अकेली पार्टी नहीं है। भाजपा ने भी छह ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव में उतारा है जो एक किसी ना किसी राजनीतिक परिवार से हैं। उदहारण के तौर पर देखा जाए तो पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा के स्थान पर चुनाव लड़ रहे रविशंकर प्रसाद को ही ले लीजिए। चार बार से राज्यसभा सांसद रहे रविशंकर प्रसाद आरएसएस के सीनियर नेता ठाकुर प्रसाद के बेटे हैं। ठाकुर प्रसाद 70 के दशक में कर्पूरी ठाकुर सरकार में बिहार के वित्त मंत्री थे। पश्चिम चंपारण से भाजपा के उम्मीदवार और वर्तमान सांसद डॉ संजय जायसवाल के साथ भी ऐसा ही है। उनके पिता डॉ मदन जायसवाल ने भी भाजपा के सांसद रह चुके हैं। इसी तरह मुजफ्फरपुर से भाजपा उम्मीदवार अजय निषाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जय नारायण निषाद के बेटे हैं। अशोक यादव (मधुबनी से मैदान में) भाजपा के अनुभवी सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र हैं। तो सुशील सिंह औरंगाबाद से मैदान में हैं, जिनके पिता राम नरेश सिंह पश्चिमी बिहार में राजपूत बहुल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे।
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जेडीयू भी नहीं बच पाई वंशवाद की राजनीति से
वहीं रामा देवी (शिवहर से भाजपा सांसद, जिन्हें फिर से मैदान में उतारा गया है) राजद के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय बृज बिहारी प्रसाद की विधवा हैं, जिनकी पटना के एक अस्पताल में गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी। अगर बात जेडीयू की करे तो यहां पर भी परिवारवाद देखने को मिल रहा है। जेडीयू ने सीवान लोकसभा सीट से बाहुबली अजय सिंह की पत्नी कविता देवी को मैदान में उतारा है। अजय सिंह की मां जगमातो देवी जेडीयू की विधायक रह चुकी हैं। अजय सिंह को अपराधिक छवि के चलते हैं पार्टी ने टिकट नहीं दिया उनके स्थान पर पार्टी ने उनकी पत्नी को टिकट दिया है। यहां उनका मुकाबला जेल में बंद राजद नेता शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शेहाब से होगा।
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