बिहार में सर्वे कराएगी कांग्रेस, अन्य राज्यों में भी जमीनी सच जानने की कवायद तेज
नई
दिल्ली।
राहुल
गांधी
के
अध्यक्ष
बनने
के
बाद
कांग्रेस
कुछ
बदली-बदली
सी
नजर
आ
रही
है।
अब
हर
रणनीति
पर
पुख्ता
तौर
से
चर्चा
के
बाद
ही
कदम
आगे
बढ़ाया
जा
रहा
है।
इसी
कड़ी
में
कांग्रेस
अब
बिहार
में
सर्वे
कराने
जा
रही
है।
सर्वे
का
मकसद
है
पार्टी
की
जमीनी
ताकत
को
पहचानना,
ताकि
2019
लोकसभा
चुनाव
में
राष्ट्रीय
जनता
दल
के
साथ
सीटों
के
बंटवारे
पर
दमदार
तरीके
से
वह
अपनी
बात
रख
सके।
बिहार
के
प्रभारी
शक्ति
सिंह
गोहिल
ने
इस
बात
की
पुष्टि
की
है।
बिहार
में
कुल
40
लोकसभा
सीटें
हैं।
सीट
बंटवारे
को
लेकर
एनडीए
में
इस
समय
घमासान
मचा
हुआ
है।
सर्वे
रिपोर्ट
आने
के
बाद
आरजेडी
और
कांग्रेस
के
बीच
भी
कुछ
सीटों
पर
माथापच्ची
होगी।
बहरहाल,
बाद
में
चाहे
जो
हो,
लेकिन
कांग्रेस
ने
कवायद
तो
शुरू
कर
दी
है।
पार्टी
अब
वक्त
के
साथ
चलते
हुए
समय
की
जरूरत
के
हिसाब
से
प्रक्रिया
अपना
रही
है।
कांग्रेस अब साइंटिफिक तरीके से फैसले ले रही है। न केवल बिहार में पार्टी सर्वे करा रही है, बल्कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इस तरह के सर्वे का सहारा लिया जा रहा है। कांग्रेस में अब कई स्तर पर स्क्रींनिंग के बाद हो प्रत्याशियों का चयन हो रहा है। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से पहले उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया बड़ी ही सुस्त थी और फैसले पार्टी की नहीं बल्कि उम्मीदवारों की शर्तों पर हो रहे थे।
-सबसे पहले बिहार के ही सर्वे की बात करते हैं। यहां दो स्तर पर सर्वे हो रहा है। एक सर्वे पार्टी कराएगी तो दूसरा एजेंसी के द्वारा। ये सर्वे के नतीजे मिलाने के बाद सीटों की स्थिति का जो रुझान मिलेगा, उस हिसाब से पार्टी सीट बंटवारे पर फैसला करेगी।
-उदाहरण के तौर पर राजस्थान और मध्य प्रदेश को ही लें। मध्य प्रदेश में प्रत्याशियों के चयन के लिए पार्टी ने प्रदेश चुनाव समिति से भी उम्मीदवारों के नाम मांगे। इसके अलावा कर्नाटक और गुजरात की एजेंसियों से सर्वे रिपोर्ट भी मांगी।
-राजस्थान में कांग्रेस सख्त गाइडलाइंस पर विचार कर रही है। मसलन, उम्मीदवारों को टिकट देते वक्त ध्यान रखा जाए कि एक सीट पर दो बार हार चुके प्रत्याशी को टिकट न दिया जाए।
-केवल उसी उम्मीदवार को टिकट दिया जाए, जिसने कम से कम पांच साल पार्टी के लिए काम किया हो।
-मध्य प्रदेश में पार्टी सोशल मीडिया पर एग्रेसिव कैंपेन चला रही है। सोशल मीडिया पर कांग्रेस की स्थिति सबसे कमजोर थी, लेकिन अब इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है।