ओवैसी ने राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर पीएम मोदी को दी चेतावनी, जानिए क्या कहा
नई दिल्ली- सदियों चले विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार अयोध्या में राम मंदिर का झगड़ा सुलझा दिया, लेकिन इसको लेकर अब नए सिरे से राजनीति शुरू हो चुकी है। दरअसल, एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिलान्यास और भूमि पूजन कार्यक्रम में जाने को लेकर सख्त आपत्ति है। ओवैसी की दलील है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए पीएम मोदी इस कार्यक्रम में नहीं जा सकते। इतना ही नहीं ओवैसी ने इसी बहाने एक बार फिर से बाबरी ढांचा गिराए जाने का जिक्र छेड़ दिया है। जाहिर है कि ओवैसी के ताजा बयान पर एक बार फिर से राजनीतिक बहस छिड़ सकती है। यह कार्यक्रम 5 अगस्त को आयोजित किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री के मौजूद रहने की पूरी संभावनाएं हैं। उनके अलावा भी केंद्र सरकार के बड़े मंत्रियों और भाजपा-संघ के बड़े नेताओं के भी वहां उपस्थित रहने की उम्मीद है।
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ओवैसी को पीएम मोदी के अयोध्या जाने पर आपत्ति
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर से अयोध्या रामजन्मभूमि मसले में सियासी लड़ने के मूड में हैं। उन्हें इस बात पर आपत्ति है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजा और शिलान्यास कार्यक्रमों में शिरकत क्यों कर रहे हैं। एआईएमआईएम नेता ने आज सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी के अयोध्या जाने के कार्यक्रमों का विरोध किया है और इसे संविधान की मूल संरचना से खिलवाड़ बताया है। उनका कहना है कि वह यह नहीं भूल सकते कि अयोध्या में 400 साल तक बाबरी मस्जिद खड़ी थी, जिसे अपराधियों की एक भीड़ ने 1992 में जमींदोज कर दिया था। गौरतलब है कि पहले एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर भूमि पूजन के कार्यक्रम में खलल डालने की कोशिश की थी, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया। फिर सोमवार को सीपीआई के एक सांसद ने सूचना और प्रसारण मंत्री को खत लिखकर भूमि पूजन कार्यक्रम के दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण पर आपत्ति जताई; और अब तक ओवैसी प्रधानमंत्री मोदी को भी अयोध्या न जाने की हिदायत दे रहे हैं।
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400 साल से ज्यादा वक्त तक बाबरी खड़ी थी-ओवैसी
5 अगस्त को अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर निर्माण के लिए आयोजित भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम में पीएम मोदी के शामिल होने की संभावनाओं के मद्देनजर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ट्विटर के जरिए पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है, 'आधिकारिक तौर पर भूमि पूजन में शामिल होना भारत के प्रधानमंत्री के रूप में संविधान की शपथ का उल्लंघन होगा। धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। हम नहीं भूल सकते कि 400 साल से भी ज्यादा समय तक अयोध्या में बाबरी खड़ी थी और 1992 में इसे एक अपराधियों की भीड़ ने गिरा दिया था।' गौरतलब है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने बाबरी ढांचे को 6 दिसंबर, 1992 को कार सेवकों ने गिरा दिया था और अब सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद उसी स्थान पर भगवान राम के मंदिर का पवित्र निर्माण कार्य शुरू हो रहा है, जहां पर रामलला दशकों से विराजमान रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी कर चुके हैं आपत्ति
बता दें कि दशकों चली कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यों वाली संवैधानिक खंडपीठ ने पिछले साल 9 नंवबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अयोध्या में विवादित जमीन को राम जन्मभूमि माना था और वहां की सारी जमीन पर रामलला का मालिकाना हक ठहराया था। असदुद्दीन ओवैसी ने उस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति की थी और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने के राज्य सरकार को निर्देश देने के आदेश को यह कहकर नकार दिया था कि मुसलमानों को मस्जिद के लिए खैरात में जमीन नहीं चाहिए।
5 अगस्त को है भूमि पूजन कार्यक्रम
बता दें कि श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट 5 अगस्त को अयोध्या में भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शामिल होने की संभावना है। ट्रस्ट ने इस कार्यक्रम के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और रामजन्मभूमि आंदोलन के अगुवा रहे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से जैसे नेताओं को भी बुलाने की बात कही है। इनके अलावा आमंत्रित सदस्यों में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी नाम शामिल है।
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