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कर्ज में डूबे किसान ने पिता ने दे दी थी जान, UPSC में 5 बार फेल हुई बेटी लेकिन छठी बार में रच दिया इतिहास

कर्ज में डूबे किसान ने पिता ने दे दी थी जान, UPSC में 5 बार फेल हुई बेटी लेकिन छठी बार में रच दिया इतिहास

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नई दिल्ली, 02 जून: कर्नाटक के तुमकुर जिले की रहने वाली अरुणा एम की कहानी उन कहानियों में से एक है जो आपको कई बार असफल होने के बावजूद सफलता मिलने तक कड़ी मेहनत करने और खुद पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करती है। अरुणा ने पांच असफल प्रयासों के बाद संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 को क्रैक किया और अखिल भारतीय रैंक 308 प्राप्त की है। हाल ही में यूपीएससी का रिजल्ट जारी हुआ है, शुरुआत में इस साल टॉप-4 में लड़कियां ही हैं, ऐसे में अरुणा की कहानी महिला सशक्तिकरण की दिशा एक अच्छा उदाहरण है। अरुणा के पिता इस दुनिया में नहीं हैं क्योंकि उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। आइए जानें 5 बार अफसल होने के बाद अरुणा ने कैसे छठी बार में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पार कर इतिहास रचा।

कर्ज में डूबे किसान पिता ने की थी आत्महत्या

कर्ज में डूबे किसान पिता ने की थी आत्महत्या

अरुणा के पिता ने एक किसान थे और उन्होंने 2009 में आत्महत्या कर ली थी। अरुणा उस वक्त इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी। अरुणा के पिता ने खुदकुशी इसलिए की क्योंकि वह अपने पांच बच्चों की शिक्षा के लिए बढ़ते कर्ज को चुकाने में असमर्थ थे। पिता के जाने के बाद अरुणा की दो बड़ी बहनें अपने परिवार का समर्थन करने के लिए कुछ वर्षों के लिए काम करने के लिए सहमत हुईं, हालांकि, उनके पिता चाहते थे कि उनकी बेटियां स्वतंत्र हों और उनकी इच्छा थी कि वे यूपीएससी परीक्षा में बैठें।

पहले सिर्फ साधारण नौकरी करना चाहती थीं अरुणा

पहले सिर्फ साधारण नौकरी करना चाहती थीं अरुणा

अरुणा जो पांच भाई-बहनों में से तीसरे नंबर पर हैं। अरुणा का पहले यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में बैठने या इसे पास करने का कोई इरादा नहीं था। अरुण तो बस इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर एक साधारण नौकरी करना चाहची थीं। और, अधिकांश उम्मीदवारों के विपरीत, सिविल सेवाओं को क्रैक करना अरुणा का पहला लक्ष्य नहीं था।

UPSC की परीक्षा पास करना मेरे पिता का सपना था: अरुणा

UPSC की परीक्षा पास करना मेरे पिता का सपना था: अरुणा

अरुणा ने भले ही अपने लिए इंजीनियर बनने का सपना देखा हो लेकिन जीवन की उसके लिए अलग योजनाएं थीं। अरुणा ने अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी योजना बदल दी। अरुणा ने कहा, ''यूपीएससी परीक्षा पास करने का मेरा कोई सपना नहीं था। मैं सिर्फ एक स्वतंत्र महिला बनना चाहती थी जो 10,000 से 15,000 रुपये कमा सके। मेरे पिता ने अपनी बेटियों को स्वतंत्र बनाने के लिए इसे एक चुनौती के रूप में लिया।''

'मुझे इंजीनियर बनाने के लिए पिता ने जान दे दी...'

'मुझे इंजीनियर बनाने के लिए पिता ने जान दे दी...'

अरुणा ने आगे कहा, ''...लेकिन अपने इंजीनियरिंग कोर्स के दौरान, मुझे शिक्षा प्रदान करने के लिए किए गए कर्ज के कारण मैंने अपने पिता को खो दिया। उनकी मृत्यु के बाद मुझे समाज की सेवा और किसानों की सेवा की भावना मन में आई। मैं अपने देश के किसानों की सेवा करके अपने पिता की खोई हुई मुस्कान को पाना चाहती थी।''

पांच बार हुईं फेल और छठी बार गाड़े झंडे

पांच बार हुईं फेल और छठी बार गाड़े झंडे

अरुणा ने कहा कि उन्होंने अपने पिता के सपने को सच करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा को पास करने की यात्रा को शुरू की। अरुणा ने 2014 में कठिन अध्ययन करना शुरू किया और पांच बार यूपीएससी का प्रयास किया। पांचों बार फेल होने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सिविल सेवा परीक्षा में छठी बार में 308 रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया।

बेंगलुरु में कोचिंग एकेडमी चला, कर रही हैं समाज सेवा

बेंगलुरु में कोचिंग एकेडमी चला, कर रही हैं समाज सेवा

कई बार फेल होने के बाद भी अरुणा ने समाज की सेवा करना नहीं छोड़ा। अरुणा बेंगलुरु में अपना खुद का यूपीएससी कोचिंग संस्थान, अरुणा अकादमी की स्थापना की है, जहां वह ग्रामीण युवाओं को यूपीएससी परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

अरुणा ने कहा- 308 रैंक हासिल करने की कोई उम्मीद नहीं थी

अरुणा ने कहा- 308 रैंक हासिल करने की कोई उम्मीद नहीं थी

अरुणा ने कहा, ''मुझे यूपीएससी परीक्षा पास करने और 308 रैंक हासिल करने की कोई उम्मीद नहीं थी। मैंने पांच प्रयास किए लेकिन मैं सफल नहीं हो पाई थी। इसलिए मैंने अरुणा अकादमी नाम से अपनी खुद की अकादमी शुरू की, जहां मेरा ध्यान ग्रामीण उम्मीदवारों की मदद करने पर रहा है। अंत में, मैंने अपने छठे प्रयास में सफलता प्राप्त की।''

अरुणा ने आरक्षण कोटे में नहीं दी परीक्षा

अरुणा ने आरक्षण कोटे में नहीं दी परीक्षा

पिछड़े वर्ग की अरुणा के पास अपने जीवन की अधिकांश घटनाओं में आरक्षण कोटे का उपयोग करने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और अनारक्षित श्रेणी के तहत यूपीएससी की परीक्षा दी। अरुणा ने कहा, ''मेरे पिता का सपना अब सच हो गया है, लेकिन मेरे देश के किसानों की सेवा करने और मेरे पिता की तरह उन्हें आत्महत्या का प्रयास नहीं करने देने का मेरा सपना अब शुरू होगा।"

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English summary
Aruna M cracked UPSC civil services exam 2021 inspiring story her father ended life due to Education Debt
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