अरुणाचल में सेना ने तैनात की L-70 एंटी-एयरक्रॉफ्ट गन, हाईटेक जहाजों को गिराने में सक्षम
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर: लद्दाख में पिछले साल मई से भारत और चीन के बीच विवाद जारी है। वहां पर कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन अभी तक मामले का कोई हल नहीं निकल पाया है। हाल ही में खबर आई थी कि अरुणाचल में भी चीन ने घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने उसे नाकाम कर दिया। इसके बाद से भारत वहां पर भी अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है। ऐसे में अरुणाचल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास M-777 हॉवित्जर और स्वीडिश बोफोर्स तोपों के अलावा उन्नत L-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन तैनात की गई है।

मामले में एक अधिकारी ने कहा कि उन्नत एल-70 तोपों को लगभग दो महीने पहले तैनात किया गया था ताकि आपात स्थित में सेना को कोई दिक्कत ना हो। पूर्वी सेक्टर में पहले ही बोफोर्स और हॉवित्जर की तैनाती बड़ी संख्या में की जा चुकी है। वहां पर दोनों को भारत की फायर पॉवर की रीढ़ कहा जाता है। अब L-70 ने रक्षा तैयारियों में बची हुई कसर को पूरा कर दिया। इसके अलावा उस सेक्टर में वायुसेना भी काफी सक्रिय है, जिस वजह से राफेल के दूसरे स्क्वाड्रन को पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात किया गया है।
आर्मी एयर डिफेंस के कैप्टन सरिया अब्बासी के मुताबिक L-70 सभी मानव रहित हवाई यानों, लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टर और आधुनिक विमानों को नीचे लाने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें हाईटेक सेंसर लगे हैं, जो किसी भी मौसम में दुश्मन के जहाज को आसानी से ट्रैक कर सकते हैं। थर्मल इमेजिंग कैमरा और लेजर रेंज फाइंडर इसकी ताकत को और ज्यादा बढ़ाता है। कैप्टन ने आगे बताया कि इसकी फायर पॉवर को बढ़ाने के लिए मजल वेलोसिटी रडार लगा है।
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M-777 की क्या है खासियत?
बड़ी संख्या में M-777 तोपों की भी तैनाती अरुणाचल में की गई है। जिसकी रेंज 30 किमी है। इसे 2018 में भारतीय सेना में कमीशन किया गया था। इसको एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए चिनूक हेलीकॉप्टर की जरूरत पड़ती है, जो भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही मौजूद है।