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नज़रिया: मोदी का आक्रामक प्रचार और वोटकटवा चालें

गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हर तरह के हथकंडे आजमाने की ज़रूरत पड़ रही है.

By BBC News हिन्दी
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मोदी
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
मोदी

बीजेपी गुजरात के चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी है. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद प्रचार का ज़िम्मा उठा लिया है. 27 नवंबर के बाद 29 नवंबर को भी वे रैलियां करेंगे.

एक दिन में प्रधानमंत्री की 4-4 रैलियां हो रही हैं. प्रधानमंत्री की रैलियां सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में होनी है.

गुजरात में पिछले कुछ दिनों में जो हवा बनी है उस पर मोदी की रैलियों का कैसा असर होगा इस पर राजनीतिक विश्लेषक औरवरिष्ठ पत्रकार आर. के. मिश्र का नज़रिया.

फ़ौज लेकर उतर रहे मोदी

मोदी
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मोदी

राहुल गांधी अभी-अभी गए थे. अब मोदी पूरा फ़ौज लेकर उतर रहे हैं. उनके सभी कैबिनेट मंत्री भी आ रहे हैं.

कांग्रेस को वहां अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है तो इसकी उम्मीद पहले से थी. 9 और 14 दिसंबर को मतदान होना है ऐसे में दोनों पार्टियां अपनी पूरी ताक़त लगा देंगी.

गुजरात मोदी का गढ़ है और अगर 2017 में यहां सेंध लग गयी तो 2019 के चुनाव में उनके लिए संसदीय चुनाव में मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. इसलिए गुजरात को जीतने के लिए साम दाम दंड भेद सभी प्रकार के जोड़ बीजेपी लगा देगी.

इसे देखते हुए सोशल मीडिया पर प्रचार हो रहे हैं. डर का माहौल भी हुआ है. सीडी आनी शुरू हुई हैं.

मुस्लिमों को भी रिझाने की तैयारी

गुजरात
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
गुजरात

दूसरी बात, बीजेपी इस बार चुनाव प्रचार में मौलवियों को उतार रही है. जो उत्तर प्रदेश से आ रहे हैं.

सूरत में मुस्लिम कार्यकर्ता पहले से ही उतरे हुए हैं. पहले जिन मुस्लिम वोटर्स को वो छूते तक नहीं थे इस बार उन पर भी नज़रे हैं.

ये बता रहा है कि स्थित किस प्रकार की उत्पन्न हुई है.

मोदी के नोटबुक से ली चीज़ें

राहुल गांधी
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
राहुल गांधी

कांग्रेस ने मोदी के नोटबुक से कई चीज़ें ले ली हैं. वो आक्रामक रहे हैं. वो इंटरएक्टिव रहे हैं. उन्होंने चीज़ों को पिन पॉइंटेड सवाल किए हैं. उनको लोगों का अच्छा साथ मिला है. इसी को समझते हुए बीजेपी अब आक्रामक प्रचार करने जा रही है.

मोदी जी आएंगे तो वो अपनी तीखी भाषा में प्रहार करेंगे. बीजेपी छोटी छोटी चीज़ों को भी पकड़ कर बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.

सवाल काफ़ी खड़े हो गए हैं. 2015 में पाटीदारों के बिफ़रने पर बीजेपी को झटका लगा था.

मोदी को पहले ही इसका अंदाजा हो गया था. इसलिए पिछले छह महीने में उन्होंने अपने दौरे बढ़ा दिए थे. भले ही वो प्रधानमंत्री के रूप में आए थे. लेकिन अब वो पार्टी का प्रचार करने आए हैं.

बीजेपी को पता है कि उनकी स्थिति उतनी अच्छी नहीं है. जितने भी युवा नेता आए हैं वो उनके ख़िलाफ़ हैं. जो चीज़ें बीजेपी ने सरकार में रहते हुए की है उससे स्थिति और भी बदतर हुई है.

वोट काटने की राजनीति

राहुल गांधी
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
राहुल गांधी

बीजेपी के ध्यान अब विपक्ष के वोट को विभाजित करने पर केंद्रित है. इसलिए नीतीश कुमार जिनका गुजरात में कोई जनाधार नहीं है उसके भी 100 उम्मीदवार खड़े होने की बात चल रही है.

शंकर सिंह वाघेला भी ऑल इंडिया हिंदुस्तान कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिह्न पर उतर रही है. वो वोट काटेगी. उसी तरह आम आदमी पार्टी भी वोट काटेगी. बीजेपी का भी वोट कटेगा क्योंकि शिव सेना अपने 50 उम्मीदवार उतार रही है.

गुजरात में जेडीयू के बागी नेता छोटूभाई वसावा का अच्छा जनाधार है जो आदिवासी समुदाय के दिग्गज नेता माने जाते हैं. ये शरद यादव खेमे के माने जाते हैं.

ये वही नेता हैं जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल की हार को जीत में बदलने में अहम भूमिका निभाई थी.

गुजरात
SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images
गुजरात

इसी के मद्देनजर कांग्रेस ने वसावा के साथ विधानसभा चुनाव में उतरने का मन बनाया है.

अब बीजेपी इस नाम के प्रत्याशी ढूंढ रही है. जिससे मतदाताओं में उलझन पैदा की जा सके और इनके वोट कटें.

यानी गुजरात चुनाव में बीजेपी को इस तरह के चुनावी हथकंडे भी आजमाने की ज़रूरत पड़ रही है.

(बीबीसी संवाददाता मानसी दाश के साथ बातचीत पर आधारित)

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English summary
Approach Modis aggressive propaganda and voting moves
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