राफेल को लेकर फ्रेंच न्यूजपेपर के दावों को रक्षा मंत्रालय ने किया खारिज, कहा- डील और टैक्स के बीच कोई कनेक्शन नहीं
नई दिल्ली। फ्रांस के एक अखबार ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि राफेल सौदे के बाद छह महीने में फ्रांस ने अनिल अंबानी की फ्रांस स्थित कंपनी का लगभग 1,200 करोड़ रुपए (143.7 मिलियन यूरो) का टैक्स माफ किया था। अब इसपर रक्षा मंत्रालय की तरफ से बयान आया है। मंत्रालय की तरफ से अखबार के इस दावे को खारिज किया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि टैक्स मामले और राफेल मामले के बीच खींचा गया कोई भी कनेक्शन पूरी तरह से गलत है। मंत्रालय ने इसे बदनाम करने के लिए किया गया प्रयास बताया।
आपको बता दें कि अखबार में कहा गया है कि फरवरी और अक्टूबर 2015 के बीच जब फ्रांस भारत के साथ राफेल सौदे पर बातचीत कर रहा था तभी अनिल अंबानी को 143.7 मिलियन यूरो की कर छूट मिली। गौरतलब है कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस अप्रैल 2015 में पीएम मोदी द्वारा घोषित फ्रांस के साथ भारत के राफेल जेट सौदे में एक ऑफसेट साझेदार है। वहीं दूसरी तरफ फ्रेंच न्यूजपेपर की रिपोर्ट के बाद एक बार फिर पीएम मोदी पर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि 'मोदी कृपा' से फ्रांस की सरकार ने अनिल अंबानी की कंपनी के अरबों रुपये का टैक्स माफ किया।
Ministry of Defence: We've seen reports drawing conjectural connection b/w tax exemption to a private company & procurement of Rafale jets by GoI. Neither the period of tax concession nor subject matter of concession relate to Rafale procurement,concluded in present Govt's tenure pic.twitter.com/WeinWJRM9O
— ANI (@ANI) April 13, 2019
यह था पूरा मामला
फ्रांसीसी टैक्स अधिकारियों द्वारा अनिल अंबानी की रिलायंस अटलांटिक फ्लैग फ्रांस कंपनी की कथित तौर पर जांच की गई थी। इसमें पाया गया कि साल 2007 से 2010 की अवधि के लिए टैक्स के रूप में कंपनी को 60 मिलियन यूरो का भुगतान करना था। जबकि कंपनी ने इसके उलट 7.6 मिलियन यूरो का भुगतान करने की पेशकश की। फ्रांसीसी अधिकारियों ने पेशकश ठुकराकर फिर से एक और जांच शुरू कर दी। इस जांच में वर्ष 2010 से 12 तक का भी टैक्स निकाला जिसमें अनिल अंबानी की कंपनी को अतिरिक्त 91 मिलियन यूरो का टैक्स देने के लिए कहा गया।
कंपनी ने यह टैक्स भी जमा नहीं किया और कुल टैक्स की रकम 151 मिलियन यूरो हो गई। वर्ष 2015 में राफेल डील की घोषणा के छह महीने बाद फ्रांसीसी टैक्स अधिकारियों ने रिलायंस से टैक्स विवाद का निपटारे को अंतिम रूप दे दिया। इसके तहत कंपनी से 151 मिलियन यूरो की बहुत बड़ी राशि की बजाय 7.3 मिलियन यूरो ही लिए गए। यानी रिलायंस से सीधे 141 मिलियन यूरो या 1100 करोड़ रुपए छोड़ दिए गए।