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बीजेपी के लिए फिर आई बुरी खबर, 2019 से पहले हुआ 3-0 तो मुसीबत में पड़ेंगे मोदी-शाह

By Yogender Kumar
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नई दिल्‍ली। नॉर्थ-ईस्‍ट में बीजेपी की जीत के बाद बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह से लेकर पार्टी का बूथ स्‍तर का कार्यकर्ता उत्‍साह से भरा हुआ है। मीडिया में ब्रांड मोदी की ताकत को लेकर विश्‍लेषण हो रहे हैं। वैसे नॉर्थ-ईस्‍ट में विधानसभा को लेकर इससे पहले राष्‍ट्रीय मीडिया में इतनी चर्चा पहले कभी नहीं हुई। लेकिन अब दौर बदल रहा है। सोशल मीडिया, डिजिटल न्‍यूज और चैनलों के इस दौर में हर छोटी से छोटी बात का मतलब निकाला जाने लगा है। बहरहाल, इसमें शक नहीं कि गुजरात में बचते-बचाते मिली जीत और उसके बाद राजस्‍थान-मध्‍य प्रदेश उपचुनावों में करारी हार के बाद बीजेपी के लिए नॉर्थ-ईस्‍ट से सुखद संदेश आया है। लेकिन नॉर्थ-ईस्‍ट में जीत कुछ दिन बाद ही बीजेपी के लिए राजस्‍थान से एक बार फिर बुरी खबर आई है। बीजेपी के लिए फिर आई बुरी खबर, 2019 से पहले हुआ 3-0 तो मुसीबत में पड़ेगे मोदी-शाह।

3-0 या 3-1 हो गया तो 2019 में बिगड़ जाएगा बीजेपी का खेल

3-0 या 3-1 हो गया तो 2019 में बिगड़ जाएगा बीजेपी का खेल

राजस्‍थान के स्‍थानीय निकायों में 33 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 20 सीटों पर बाजी मार ली है। बीजेपी के लिए चिंता की बात यह है कि 2019 से ठीक पहले जिन तीन राज्‍यों में चुनाव होने हैं, उनमें राजस्‍थान भी एक है। अन्‍य दो राज्‍य हैं- मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़। वैसे तो 2018 में कर्नाटक में भी चुनाव हैं, लेकिन बीजेपी के लिए छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में चुनौती बेहद कठिन है। नॉर्थ-ईस्‍ट की जीत में सराबोर बीजेपी नेतृत्‍व को भी इस बात की चिंता सता रही कि अगर अगले लोकसभा चुनाव से ऐन पहले अगर राजस्‍थान, एमपी और छत्‍तीसगढ़ के चुनावों में 3-0 या 3-1 हो गया तो 2019 का खेल खराब हो सकता है।

बीजेपी की दूसरी हिंदुत्‍व की लैबोरेट्री में सबसे ज्‍यादा खतरा

बीजेपी की दूसरी हिंदुत्‍व की लैबोरेट्री में सबसे ज्‍यादा खतरा

बीजेपी भले ही नॉर्थ-ईस्‍ट से पश्चिम भारत और दक्षिण में पैर पसार रही है, लेकिन उसका सबसे बड़ा किला अब भी उत्‍तर में ही है। गुजरात के बाद मध्‍य प्रदेश को बीजेपी की दूसरी हिंदुत्‍व की लैबोरेट्री के तौर पर जाना जाता है। लेकिन दिक्‍कत यह है कि लगातार तीन बार राज्‍य में भगवा परचम लहराने वाले शिवराज सिंह इन दिनों जहां-जहां प्रचार करने जा रहे हैं, वहां-वहां बीजेपी हार रही है। कई जगहों पर तो उन्‍होंने रातें भी बिताईं, मगर अच्‍छे नहीं आए। दूसरी अहम बात यह है कि जिन राज्‍यों में कांग्रेस या किसी अन्‍य दल की सरकार थी, वहां बीजेपी आसानी से सत्‍ता में आ गई, लेकिन मोदी का गढ़ माने जाने वाले गुजरात में उसे सत्‍ता पर बचते-बचाते ही मिली। यह संकेत अच्‍छा नहीं है, क्‍योंकि एमपी, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान तीनों राज्‍यों में इस समय बीजेपी की ही सरकार है। मतलब इस बार बीजेपी को विपक्षी के खिलाफ एंटी इनकमबैंसी का लाभ नहीं मिलने बल्कि अपने ही खिलाफ पल रही एंटी इनकमबैंसी से जूझना है।

चार राज्‍यों में आती हैं 93 लोकसभाा सीटें, बिगड़ सकता है लोकसभा चुनाव का खेल

चार राज्‍यों में आती हैं 93 लोकसभाा सीटें, बिगड़ सकता है लोकसभा चुनाव का खेल

2018 में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्य शामिल हैं। लोकसभा की 93 सीटें इन्‍हीं राज्‍यों में आती हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन 93 सीटों में 79 सीटों पर बीजेपी ने विजय पताका फहराई थी। अब देखना होगा कि 2018 विधानसभा में इन तीनों राज्‍यों में बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहता है? हालांकि, लोग कहेंगे कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न में अंतर होता है। दोनों चुनावों के मुद्दे अलग होते हैं, लेकिन यह बात समझनी होगी कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार है। एमपी और छत्‍तीसगढ़ में तो बरसों से कमल खिला हुआ है। ऐसे में पार्टी के हाथ अगर विधानसभा चुनाव में हार लगी तो लोकसभा में भी इन राज्‍यों में जीत का परचम लहराना मुश्किल होगा।

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English summary
another setback for bjp in rajasthan, narendr modi amit shah may face these challange in 2019 election
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