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अनिल अंबानी को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत ! 420 करोड़ की टैक्स चोरी का है मामला

उद्योगपति अनिल अंबानी को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। 420 करोड़ की टैक्स चोरी मामले में 17 नवंबर तक कार्रवाई नहीं होगी। anil ambani bombay high court 420 crore tax evasion

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मुंबई, 26 सितंबर : उद्योगपति अनिल अंबानी को 420 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी के मामले में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को मिली राहत इसलिए भी अहम है क्योंकि हाईकोर्ट ने आयकर विभाग को 17 नवंबर तक अनिल अंबानी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है।

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Black Money Act के तहत आरोप

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को आयकर विभाग को निर्देश दिया कि वह रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी के खिलाफ काला धन अधिनियम (Black Money Act) के तहत 17 नवंबर तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे।

63 वर्षीय अंबानी पर "जानबूझकर" चोरी का आरोप

बता दें कि आयकर विभाग ने 8 अगस्त, 2022 को अंबानी को दो स्विस बैंक खातों में रखे 814 करोड़ रुपये से अधिक के अघोषित धन पर करों में 420 करोड़ रुपये की कथित रूप से चोरी करने के लिए नोटिस जारी किया था। 63 वर्षीय अंबानी पर "जानबूझकर" चोरी का आरोप लगा है। आयकर विभाग के अनुसार अंबानी ने "जानबूझकर" भारतीय कर अधिकारियों को अपने विदेशी बैंक खाते के विवरण नहीं दिया। उन्होंने अपने वित्तीय हितों की भी जानकारी नहीं दी।

10 साल कारावास की सजा !

विभाग के नोटिस के अनुसार, अंबानी पर काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) कर अधिनियम 2015 की धारा 50 और 51 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। इसमें जुर्माने के साथ अधिकतम 10 साल कारावास की सजा का प्रावधान है।

15-16 साल पुराना है मामला

आयकर विभाग से नोटिस मिलने के बाद अंबानी ने इस महीने की शुरुआत में बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अंबानी ने दावा किया गया था कि काला धन अधिनियम 2015 में लागू किया गया था और कथित लेनदेन मूल्यांकन वर्ष 2006-2007 और 2010-2011 के हैं। अंबानी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रफीक दादा ने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं (no retrospective effect) हो सकता है।

सुनवाई की अगली तारीख

आयकर विभाग की ओर से पेश अधिवक्ता अखिलेश्वर शर्मा ने याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा। न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की है। अदालत ने कहा, "आयकर विभाग अगली तारीख तक याचिकाकर्ता (अंबानी) के खिलाफ कारण बताओ नोटिस के तहत कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा।"

कानून बैक डेट से प्रभावी नहीं हो सकता

हाईकोर्ट ने आयकर विभाग को अंबानी की इस दलील का जवाब देने का भी निर्देश दिया कि काला धन अधिनियम के प्रावधानों का पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं हो सकता है। अंबानी के वकील रफीक दादा ने अदालत को बताया कि विभाग द्वारा इस साल मार्च में एक आकलन आदेश पारित किया गया था और याचिकाकर्ता ने आयकर आयुक्त के समक्ष उक्त आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी।

आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग

दादा ने कहा, "इस दीवानी कार्यवाही को लंबित रखते हुए, विभाग ने अब यह कारण बताओ नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता के खिलाफ काला धन अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की है।" उन्होंने कहा कि जब एक दीवानी कार्यवाही लंबित है, तो विभाग द्वारा आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की मांग नहीं की जा सकती है।

दीवानी कार्यवाही लंबित, फिर क्यों नोटिस भेजा

मुकेश अंबानी की पैरवी कर रहे वकील, दादा तर्क दिया आयकर विभाग का कारण बताओ नोटिस भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 का उल्लंघन है। कानून में प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति पर एक ही कथित अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। उन्होंने कहा, दीवानी कार्यवाही में फैसला आने तक इंतजार करना चाहिए।

अंबानी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन ?

अदालत ने सवाल किया कि क्या मुकेश अंबानी ने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया है ? इस पर एडवोकेट दादा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने विभाग से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। उन्होंने कहा, आयकर विभाग से दस्तावेज मिलने के बाद याचिकाकर्ता विस्तृत जवाब दाखिल करेगा। उन्होंने कहा, नोटिस समय से पहले जारी किया गया था और आयकर विभाग को ऐसा करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं। नोटिस जारी करना याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।

क्या है पूरा मामला, कितना टैक्स चोरी हुआ

आयकर विभाग के नोटिस के अनुसार, अंबानी अमेरिका के बहामास आधारित यूनिट 'डायमंड ट्रस्ट' और नॉर्दर्न अटलांटिक ट्रेडिंग अनलिमिटेड (NATU) नामक एक अन्य कंपनी में "आर्थिक योगदानकर्ता के साथ-साथ लाभकारी मालिक" रह चुके हैं। दोनों को ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स (British Virgin Islands -BVI) में शामिल किया गया था। विभाग ने आरोप लगाया कि अंबानी ने अपने आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइलिंग में इन विदेशी संपत्तियों का खुलासा नहीं किया। ऐसा करना काला धन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। कानून 2014 में पहली बार सत्ता में आने के तुरंत बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने बनाया था। आयकर विभाग के मुताबिक अंबानी से जुड़े दो खातों में अघोषित धन का कुल मूल्य 8,14,27,95,784 रुपये (814 करोड़ रुपये) आंका गया है। इस राशि पर 4,20,29,04,040 रुपये (420 करोड़ रुपये) टैक्स देना है।

फरवरी में अंबानी को SEBI से लगा झटका

अनिल अंबानी को गत फरवरी माह में स्टॉक मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) से बड़ी निराशा हाथ लगी थी। इस मामले में SEBI ने रिलायंस होम फाइनेंस, इसके प्रमोटर अनिल अंबानी और तीन अन्य लोगों के प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने पर रोक लगा दी थी। SEBI के अनुसार अगले आदेश तक प्रतिबंध सीधी या परोक्ष, दोनों तरीके से होने वाले किसी भी तरीके के लेन देन पर लागू रहेगा।

क्या था SEBI का आदेश

सेबी ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था, अनिल अंबानी और अन्य जो अगले आदेश तक जनता से धन जुटाने का इरादा रखते हैं, SEBI के साथ पंजीकृत किसी मध्यस्थ, किसी सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनी या किसी भी सार्वजनिक कंपनी के निदेशक/प्रवर्तक के रूप में कार्य नहीं कर सकेंगे।

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anil ambani bombay high court 420 crore tax evasion
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