अमूल ने PM मोदी को पत्र लिखकर की PETA को बैन करने की मांग, विदेशी साजिश का लगाया आऱोप
नई दिल्ली, जून 2: वीगन मिल्क प्रोडक्ट को लेकर अमूल और पेटा इंडिया आमने-सामने आ गई हैं। हाल ही में जानवरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले संगठन पेटा ने देश की सबसे बड़ी डेयरी अमूल को वीगन मिल्क प्रोडक्ट के उत्पादन के बारे में विचार करने के लिए कहा था। जिसपर अमूल इंडिया की ओऱ से पेटा इंडिया द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दिया गया था। अब पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) के खिलाफ अमूल ने मोर्चा खेल दिया। इसके साथ ही उस पर बैन लगाने के लिए मोदी सरकार को पत्र लिखा है।
अमूल के उपाध्यक्ष वलमजी हुम्बल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एनजीओ पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया और कहा कि यह लोगों की आजीविका को बर्बाद करने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा हंबल ने यह भी कहा कि पेटा की हरकतों से भारतीय डेयरी क्षेत्र की छवि खराब हो रही है। हंबल ने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में डेयरी क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन इस गैर सरकारी संगठन जैसे अवसरवादी तत्वों द्वारा फैलाई गई गलत सूचना से जीडीपी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस तरह के संगठन भारत के दूध उत्पादकों को बेरोजगार करने की साजिश का हिस्सा हैं।
गुजरात के दुग्ध उत्पादकों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से उन संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया है। वलमजी हुम्बल ने कहा कि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसे संगठन भारत में अपनी गतिविधियों को रोकें, जो गलत सूचना अभियान के माध्यम से डेयरी उद्योग की छवि खराब करने की निंदनीय गतिविधि में लगे हुए हैं और फिर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। ये संगठन सिंथेटिक दूध का उत्पादन करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के संयंत्रों को प्रोत्साहन दे रहे हैं।
हंबल ने पशु क्रूरता की अफवाहों को भी खारिज कर दिया और कहा कि भारत में लोग दुधारू पशुओं को परिवार के सदस्य के रूप में पालते हैं। पेटा की मांग को गलत सूचना अभियान का हिस्सा बताते हुए, हंबल ने कहा कि यह भारतीय डेयरी उद्योग को तोड़ने का एक प्रयास है जो देश को दूध और दूध उत्पादों के आयात से बचाता है। उन्होंने व्यक्त किया कि यह कदम विदेशी कंपनियों द्वारा प्रेरित किया गया है। इससे पहले एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया या एएससीआई ने पेटा द्वारा अमूल के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था। पेटा ने कहा था कि प्लांट बेस्ड प्रोडक्ट को दूध नहीं कहा जा सकता, इसलिए अमूल पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
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गौरतलब है कि, पेटा ने कहा था कि कोऑपरेटिव सोसाइटी कंपनी अमूल को तेजी से बढ़ रहे वीगन मिल्क मार्केट का लाभ मिलना चाहिए। पेटा ने कहा, "अमूल को संसाधन बर्बाद करने की जगह प्लांट आधारित डेयरी की बढ़ती हुई मांग का फायदा उठाना चाहिए। अन्य कंपनियां अगर इसका फायदा उठा रही है तो अमूल भी ऐसा कर सकती हैं। इस पर अमूल कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आर एस सोढी ने कहा था कि देश के कोऑपरेटिव डेयरी सेक्टर में 10 करोड़ से अधिक किसान कामकाज कर रहे हैं। अगर कंपनी दूध का उपयोग करना बंद कर देगी तो इन 10 करोड़ लोगों को रोजगार कैसे उपलब्ध कराया जाएगा?