पक्के दोस्त हुआ करते थे राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन, इस कारण आ गई थी रिश्ते में दरार
अमिताभ बच्चन अपने करीबी दोस्त रहे राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि दोनों के रिश्ते में खटास आ गई।
नई दिल्ली। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। अमिताभ बच्चन ने भारतीय सिनेमा में दशकों काटे हैं। लगभग 45 सालों से वो बॉलीवुड में सक्रिय हैं। वैसे अमिताभ बच्चन ने राजनीति में भी हाथ आजमाया था लेकिन ज्यादा समय तक उन्हें ये रास नहीं आई। अमिताभ बच्चन अपने करीबी दोस्त रहे राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आए थे लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि दोनों के रिश्ते में खटास आ गई। कभी जिगरी यार कहे जाने वाले दोनों दोस्तों के दरमियां मतभेदों ने जन्म ले लिया और ये दोस्ती टूट गई। जानिए पूरी कहानी...
इस तरह शुरू हुई थी परिवारों में दोस्ती
अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की दोस्ती गांधी-बच्चन परिवार के बीच पहला रिश्ता नहीं था। ये दोस्ती तो हरिवंश राय बच्चन और जवाहर लाल नेहरू के समय से चली आ रही है। नेहरू के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान हरिवंश राय बच्चन विदेश मंत्रालय में बतौर हिंदी ऑफिसर काम करते थे। तभी से दोनों में बातचीत शुरू हुई और नेहरू उनकी प्रतिभा के कायल हो गए। ये दोस्ती तब और गहरी हुई जब जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी और हरिवंश राय बच्चन की पत्नी तेजी बच्चन का साथ में उठना-बैठना शुरू हुआ।
सोनिया को एयरपोर्ट लेने गए थे अमिताभ
दोनों जल्द ही पक्की सहेलियां बन गईं। इस दोस्ती को दोनों के बच्चों ने आगे बढ़ाया। राजीव और अमिताभ की मुलाकात आनंद भवन में हुई थी और दोनों दून स्कूल में साथ में पढ़े हैं। दोनों की दोस्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब राजीव गांधी की मंगेतर सोनिया इटली से पहली बार भारत आईं तो जनवरी की ठंडी सुबह में अमिताभ ही उन्हें एयरपोर्ट पर लेने गए थे।
राजीव का ससुराल बना था अमिताभ का घर
अमिताभ का घर राजीव गांधी का ससुराल बन गया था। केवल सोनिया ही नहीं, बल्कि उनके परिवार वाले भी शादी से पहले अमिताभ बच्चन के घर ही रुके थे। तेजी बच्चन ने ही सोनिया को भारतीय तौर-तरीके सिखाए थे। इतना ही नहीं, सोनिया गांधी का कन्यादान भी हरिवंश राय और तेजी बच्चन ने किया था। अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की दोस्ती को नजर तब लगी जब राजीव ने अमिताभ से लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा। अमिताभ ने भी दोस्त की सलाह पर एक्टिंग को कुछ वक्त के लिए अलविदा कहा और कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद से 1984 में चुनाव लड़ा।
राजीव गांधी के कहने पर लड़ा चुनाव, लेकिन...
अमिताभ ने बड़े अंतर से चुनाव जीता लेकिन तीन सालों बाद इस्तीफा भी दे दिया। अमिताभ और उनके भाई अजिताभ का नाम तब बोफोर्स घोटाले में आ रहा था जिसके चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया। हालांकि बाद में कोर्ट ने उन्हें दोषी नहीं पाया था। यही वो घटना थी जब दोनों के बीच दूरियां आने लगीं। अमिताभ ने फिल्मों में वापसी कर ली और राजीव देश संभालने लगे।
दोनों परिवारों ने लगाए एक-दूसरे पर आरोप
1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद गांधी परिवार को महसूस हुआ कि बच्चन परिवार ने उन्हें मुश्किल दौर में अकेला छोड़ दिया। वहीं बच्चन परिवार का आरोप था कि गांधी परिवार ने उन्हें राजनीति में लाकर बीच मझदार में छोड़ दिया। कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन की कंपनी एबीसीएल जब मुश्किल दौर से गुजर रही थी गांधी परिवार उनकी मदद को आगे नहीं आया था। इस कठिन समय में अमर सिंह ने बच्चन परिवार की मदद की थी।
जब अमर सिंह हो गए गांधी परिवार से ज्यादा करीबी
इसके बाद बच्चन परिवार के समाजवादी पार्टी से नजदीकियां बढ़ने लगीं और जया बच्चन ने फिर सपा के टिकट से चुनाव भी लड़ा। इस बात ने गांधी परिवार को और आहत किया था। अमिताभ बच्चन ने भी एक बार इस बात पर कहा था कि. 'गांधी परिवार राजा है और हम रंक।' दोनों परिवारों की दोस्ती में दरार काफी समय तक रही और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चलता रहा। हालांकि अब दोनों ही इस मसले पर बोलने से बचते हैं।
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