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जानिए कौन हैं आरसीपी सिंह, जिन्हें मिली JDU अध्यक्ष की जिम्मेदारी

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JDU President RCP Singh: जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। इस बैठक में अध्यक्ष पद के लिए नीतीश कुमार ने रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसका सभी ने समर्थन किया। बैठक में खुद नीतीश कुमार ने कहा कि एक ही व्यक्ति का दो पदों पर रहना पार्टी के लिए उचित नहीं है। ऐसे में वो चाहते हैं कि आरसीपी सिंह जिम्मेदारी संभाले। नीतीश को उम्मीद है कि आरसीपी सिंह जेडीयू को आगे बढ़ाएंगे। आइए जानते हैं कौन हैं आरसीपी सिंह और क्यों उन्हें नीतीश ने दी ये जिम्मेदारी।

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Bihar: JDU में हुआ बड़ा बदलाव, Nitish Kumar की जगह RCP Singh बने नए अध्यक्ष | वनइंडिया हिंदी
मंत्री बनने पर बनाया पीएस

मंत्री बनने पर बनाया पीएस

दरअसल नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह बिहार के नालंदा से हैं। साथ ही दोनों की जाति भी एक है। राजनीति में आने से पहले आरसीपी सिंह आईएएस अधिकारी हुआ करते थे। शुरूआत में उन्हें यूपी कैडर मिला, लेकिन जब नीतीश कुमार ने केंद्र में रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली, तो उन्हें एक अहम भरोसेमंद साथी की जरूरत थी। इसके लिए उन्होंने तुंरत आरसीपी सिंह को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला लिया और वो नीतीश के पीएस बने।

कहा जाता है 'जेडीयू का चाणक्य'

कहा जाता है 'जेडीयू का चाणक्य'

इसके बाद जब नीतीश कुमार रेल मंत्री पद से हटे तो आरसीपी सिंह भी अपने यूपी कैडर में लौट गए और वहां पर सेवाएं दीं। इसके बाद केंद्र से आकर नीतीश ने बिहार की कमान संभाली। फिर उन्होंने आरसीपी सिंह का साथ पकड़ा और उन्हें पहला सेक्रेटी बनाया। तब से ही वो नीतीश के साथ बने रहे। बाद में उन्होंने वीआरएस लेकर राजनीति में एंट्री मारी और उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। धीरे-धीरे आरसीपी राजनीति की विसात समझने लगे और पार्टी के महासचिव बन गए। चुनावी रणनीति, अफसरशाही का कंट्रोल समेत तमाम चीजों में आरसीपी सिंह माहिर थे, जिस वजह से उन्हें 'जेडीयू का चाणक्य' भी कहा जाता है।

क्यों किया आरसीपी सिंह पर भरोसा?

क्यों किया आरसीपी सिंह पर भरोसा?

साल 2014 की बात है जब नीतीश कुमार ने खुद इस्तीफा देकर अपने साथी जीतनराम मांझी को बिहार की सत्ता सौंप दी, लेकिन मांझी का रुख वैसा नहीं था जैसा नीतीश चाहते थे। बाद में उन्होंने मांझी से इस्तीफा देने को कहा। इसके अलावा शरद यादव जब जेडीयू के अध्यक्ष बने तो उनसे भी नीतीश की अनबन रही। पार्टी के कई फैसलों पर दोनों में मतभेद हुआ। बाद में नीतीश उनको हटाकर खुद जेडीयू के अध्यक्ष बन गए। मौजूदा वक्त में बीजेपी की सीटें जेडीयू से ज्यादा हैं, इसके बावजूद भी नीतीश सीएम बने हुए हैं। इस वजह से उनको पार्टी की कमान एक भरोसेमंद पदाधिकारी को देनी थी, इसी वजह से उन्होंने आरसीपी सिंह को चुना।

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English summary
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