सिंघु बॉर्डर: 'सिखों को न्याय दिलाने में सिस्टम फेल', अकाल तख्त नेता ने की स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर: अकाल तख्त के जत्थेदार (नेता) ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर हत्या के पीछे कथित शक्तियों और साजिश का खुलासा करने के लिए दलित सिख लखबीर सिंह की हत्या की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने लखबीर सिंह की हत्या को कानून के शासन की विफलता करार दिया। साथ ही घटना के सभी पहलुओं को सामने लाने के लिए जांच की मांग की ताकि सिख समुदाय का सही पहलू पेश किया जा सके।
अकाल तख्त के जत्थेदार (नेता) ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बताया कि सिंघु में जो हुआ उसकी एक पृष्ठभूमि है, क्योंकि पिछले पांच से छह वर्षों में 400 से अधिक बेअदबी की घटनाएं हुई हैं। ऐसा कोई मामला नहीं था, जिसमें न्याय प्रणाली आरोपी को उचित सजा दे सकें, जो सिखों की भावनाओं को आहत करने के लिए कुछ सांत्वना दे सकें। उन्होंने कहा कि सिखों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब से ऊपर कुछ भी नहीं है, लेकिन जिस तरह से बेअदबी की घटनाओं को रिपोर्ट किया जा रहा है और साजिश के सामने आने से बचने के लिए अभियुक्तों को अक्सर मानसिक रूप से बीमार बताया जाता है। इससे कानून और न्याय प्रणाली में सिखों के विश्वास को ठेस पहुंची है।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि पिछले 6 वर्षों में 400 से अधिक बेअदबी की घटनाओं में सिखों को न्याय दिलाने में भारतीय न्याय प्रणाली की विफलता सिंघू बॉर्डर घटना के पीछे है। एक स्वतंत्र एजेंसी को घटना की जांच करनी चाहिए ताकि सभी तथ्य जनता के सामने आ सकें और इस साजिश के पीछे काम करने वाली शक्तियों के मकसद का खुलासा किया जा सके। सिंह ने रविवार को जारी एक बयान में मीडिया की भूमिका पर भी टिप्पणी की।
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उन्होंने कहा कि घटना से जुड़ी धार्मिक संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार और पुलिस को इसे केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं मानना चाहिए। मीडिया को सिख समुदाय की छवि खराब करने से बचना चाहिए। मीडिया को तथ्यों को पेश करना चाहिए और जज की भूमिका निभाने के बजाय अपने दर्शकों पर फैसला छोड़ देना चाहिए उन्होंने कहा कि सिख कानून को अपना काम करने से कभी नहीं रोकते, लेकिन कानून को भी सिखों के साथ न्याय करना चाहिए। पंजाब पुलिस को भी इस घटना की जांच करनी चाहिए ताकि किसी निर्दोष सिख को परेशानी न हो।