केरल के वायनाड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की दहशत, अब तक 685 सुअरों को मारा
नई दिल्ली, 26 जुलाई: कोरोना वायरस के बाद भी खतरा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। दो साल के ज्यादा के वक्त से पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण बना हुआ है। वहीं अब अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। केरल के वायनाड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का पता लगने के बाद लगातार सुअरों को मारा जा रहा है। वायनाड में दहशत की स्थिति है, 44 सुअरों के वायरस के होने का दावा किया जा रहा है, जिसके बाद पशुपालन विभाग के निर्देश पर एहतियातन सुअरों को मारना शुरू कर दिया है। 25 जुलाई तक वायनाड के मनंतवाडी नगरपालिका और थविंजल गांव में पांच फॉर्म से 685 सुअर मारे गए।
पशुपालन विभाग के मुख्य रोग जांच अधिकारी डॉ. मिनी जोस के मुताबिक सुआरों को मारने के लिए बनाई गई टीम ने 1 किमी के दायरे में फैले फार्म में अपने काम को अंजाम दिया और क्षेत्र को संक्रमण मुक्त कर दिया। उन्होंने बताया कि दो विशेषज्ञ टीमें ऑपरेशन का हिस्सा थीं। मारे गए सुअरों को गहरे गड्ढों में दबा दिया गया। वायनाड जिले के दो सुअर फार्म में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि की गई है।
यह पहली बार है जब केरल में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की सूचना मिली है, वायनाड में सुअर फार्म पूरी तरह से इस पर केंद्रित हैं। जिले में लगभग 244 पंजीकृत किसान वर्तमान में मांस के लिए 4740 सुअर और 6,454 सूअरों का प्रजनन कर रहे हैं। ऐसे में वायरल के प्रकोप से उनकी आजीविका प्रभावित होने का खतरा है। वहीं वायनाड जिले के पशुपालन अधिकारी डॉ. राजेश वीआर ने कहा, "घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि स्वाइन बुखार अन्य जानवरों या मनुष्यों में नहीं फैलेगा। उनके अनुसार बीमारी के प्रसार को सीमित करने के लिए एहतियाती उपाय किए गए हैं।
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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालन मंत्री रानी ने कहा है कि राज्य सरकार ने सुअर और सुअर मांस की अंतरराज्यीय बिक्री और परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है। वायनाड में चेक-पोस्ट को जानवरों को ले जाने वाले वाहनों की स्क्रीनिंग के लिए निर्देशित किया गया था, और जिले से बाहर इसे ले जाना प्रतिबंधित था।
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बता दें कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर का पहली बार केन्या में 1910 में पता चला था। भारत में मामले पहली बार 2020 में सामने आए थे। केंद्र सरकार के हालिया अलर्ट के बाद केरल ने जुलाई की शुरुआत में जैव-सुरक्षा उपायों को कड़ा करना शुरू कर दिया।