JNU हिंसा पर ABVP ने की बड़ी मांग, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो जांच
नई दिल्ली- जेएनयू हिंसा को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने गंभीर आरोप लगाए हैं। एबीवीपी ने दावा किया है कि 5 जनवरी की घटना में इसके जेएनयू यूनिट के सचिव समेत 25 सदस्य भी जख्मी हुए थे, लेकिन इसके बारे ज्यादा चर्चा नहीं की गई। परिषद ने अब रविवार की घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, जिसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट करे। इतना ही नहीं एबीवीपी ने आरोप लगाए हैं कि हिंसा के पीछे वामपंथी ताकतों का हाथ है, जो जेएनयू में पढ़ाई के माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो जेएनयू हिंसा की जांच
पश्चिम बंगाल यूनिट के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद केअध्यक्ष सप्तऋषि सरकार ने आरोप लगाया है कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा में वामपंथी ताकतों का हाथ है। उनका दावा है कि वामपंथी ताकतें जेएनयू के माहौल को बिगाड़ना चाहती हैं। मंगलवार को कोलकाता में एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए सरकार ने कहा कि, "जेएनयू में जो कुछ भी हुआ वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन घटनाक्रम को लेकर बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है। हम इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हैं।" जब उनसे पूछा गया कि जांच कौन करेगा तब उन्होंने कहा कि, "उच्च स्तर पर बैठा कोई भी सक्षम अधिकारी। यह जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में भी कराई जा सकती है।"
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एबीवीपी के पक्ष को हाइलाइट नहीं किए जाने का आरोप
बंगाल यूनिट के एबीवीपी अध्यक्ष ने दावा किया कि रविवार की घटना में जेएनयू के अंदर उसके स्थानीय सचिव मनीष जांगिड़ समेत 25 सदस्य भी जख्मी हुए थे, लेकिन उसकी ज्यादा चर्चा नहीं की गई और उसे हाइलाइट नहीं किया गया। उनका दावा है कि हिंसा के पीछे वामपंथी ताकतों का हाथ है जो फीस बढ़ोतरी के विरोध के नाम पर जेएनयू के हालात को बिगाड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "वे जेएनयू और दूसरे विश्वविद्यालयों में जहां उनका संगठन है जैसे कि जादवपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के माहौल को खराब करना चाहते हैं।"
एबीवीपी ने एसएफआई के खिलाफ खोला मोर्चा
एबीवीपी के नेता ने सीपीएम की छात्र इकाई एसएफआई की भी खिंचाई की और आरोप लगाया कि ये विरोधी पार्टियों के दफ्तरों वाले इलाके से रैलियां निकालते हैं और उनके झंडे को जला देते हैं। उन्होंने कहा, "क्या वे इसे लोकतांत्रिक विरोध कहते हैं? किस तरह के प्रदर्शन में किसी खास राजनीतिक दल का झंडा जला दिया जाता है?" दरअसल, उनका इशारा पिछले 20 दिसंबर को सीएए के खिलाफ स्थानीय बीजेपी हेडक्वार्टर की ओर उनके मार्च निकालने की कोशिश को लेकर था। सोमवार को ही जादवपुर इलाके में ही एसएफआई के कार्यकर्ताओ पर बीजेपी का एक झंडा कथित तौर पर जला देने के आरोप भी लगाए गए थे। इस दौरान एबीवीपी ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से जादवपुर विश्वविद्यालय में एसएफआई पर लिंगभेद के भी आरोप लगाए। परिषद की सह-सचिव श्यामाश्री कर्मकार ने मीडिया के हवाले से दावा किया कि यौन उत्पीड़न, लिंगभेद, जाति और सिगरेट पीने को लेकर कमेंट करने के मामले में कार्रवाई न होने से नाराज वहां के 30 से ज्यादा एसएफआई सदस्यों ने इस्तीफा तक दे दिया है।
जेएनयू की हकीकत सामने लाने के लिए कार्यक्रम करेगा एबीवीपी
बता दें कि 5 जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा में 35 से ज्यादा छात्र और फैकल्टी मेंबर्स को नकाबपोश लोगों ने डंडों और रॉड से कैंप के भीतर निशाना बनाया था। लेफ्ट नियंत्रित जेएनयू छात्र संघ और एबीवीपी दोनों की ओर से उस हिंसा के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाए गए हैं। बहरहाल, दिल्ली पुलिस पूरे मामले की तहकीकात कर रही है। बंगाल में अब अखिल भारतीय परिषद इस घटना के विरोध में अलग-अलग कॉलेजों में "एसएफआई और तृणमूल छात्र परिषद और जेएनयू की घटना के पीछे की हकीकत का खुलासा करने के लिए" कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। परिषद के निशाने पर ममता सरकार भी है, क्योंकि आरोपों के मुताबिक उन्होंने जेएनयू मामले में तुंरत ही पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का ऐलान कर दिया, लेकिन हाल ही में बंगाल में 'पुलिस फायरिंग में' मारे गए दो छात्रों पर कुछ भी नहीं कहा। ये छात्र 2018 में उत्तर दिनाजपुर में एक स्कूल में ऊर्दू और संस्कृत टीचर की भर्ती के लेकर हुई झड़प में मारे गए थे।
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