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दिल्ली में 70 में से 67 पर जीतने वाली AAP के पीछे पड़ा है हार का भूत

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Arvind Kejriwal को सता रहा हार का डर, क्या Delhi में AAP का होगा पत्ता साफ ? | वनइंडिया हिंदी

बेंगलुरू। पांरपरिक राजनीति का विकल्प बनने का वादा करके राजनीति में दाखिल हुई आम आदमी पार्टी ऐतिहासिक जीत दर्ज कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज जरूर हो गई, लेकिन पिछले साढ़े चार वर्ष तक राजनीति के ककहरे सीखने और सिखाने में व्यस्त रहे सीएम अरविंद केजरीवाल अब जब दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक है तो इंकलाबी दौर में वापस आ गए हैं। इसकी बानगी पिछले पांच महीनों में किए गए उनकी चुनावी घोषणाओं में मिल जाएंगे। सीएम केजरीवाल की नींद तब तक नहीं टूटी थी जब तक वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के परिणाम नहीं घोषित हो गए।

Kejriwal

इधर लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम घोषित हुए तब आम आदमी पार्टी और सीएम केजरीवाल दोनों को दिल्ली और पैन इंडिया में अपने जनाधार का आभास हो पाया। सपना टूटा तो आम आदमी पार्टी को दिल्ली में अपनी खो रही जमीन की याद आ गई और तब से केजरीवाल एंड पार्टी दिल्ली पर केंद्रित होकर चुनावी घोषणाओं की पीपड़ी बजा रही है, लेकिन पब्लिक है जो सब जानती है, वह आम आदमी पार्टी का भ्रम तोड़ सकती है। शायद यही कारण है कि 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीट जीतने वाली केजरीवाल की पार्टी आज संभावित हार के डर थर-थर कांप रही है।

Kejriwal

आम आदमी पार्टी को अपनी खिसकते जनाधार का आभास तो तभी हो गया था जब पार्टी को गोवा और पंजाब विधानसभा चुनाव में उसे उसके लाख दावों और इरादों के बावजूद जनता का विश्वास नहीं मिला। गोवा विधानसभा में कुल 39 सीटों पर कैंडीडेट उतारने वाली आम आदमी पार्टी महज 1 सीट पर जीत दर्ज कर पाई और बाकी 38 सीटों पर खड़े सभी उम्मीदवारों के जमानत तक जब्त हो गई। यही हाल पंजाब विधानसभा चुनाव में भी हुआ, लेकिन इसके बावजूद केजरीवाल नहीं कांपे। पंजाब विधानसभा चुनाव से पूर्व आम आदमी पार्टी पंजाब में खुद को नंबर एक की पार्टी बता रही थी और परिणामों से पार्टी की बखिया उधड़ चुकी थी। पार्टी महज 20 सीटों पर सिमट चुकी थी।

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केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 में भी हथियार नहीं डाला और पार्टी कुल 40 लोकसभा सीटों पर अपने कैंडीडेट मैदान में उतारे। चुनाव परिणाम आया और एक बार फिर 40 में से 39 सीटों पर पार्टी धूल खाकर औंधे मुंह गिर गई। आम आदमी पार्टी महज एक लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई। पंजाब के संगरूर से निवर्तमान सांसद और कॉमेडियन भगवंत मान अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। केजरीवाल एंड पार्टी का गुरूर यहां आकर टूटा। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद पूरी पार्टी को जैसे सांप सूंघ गया। आम आदमी पार्टी के बयान बहादुर नेता बिलों में छिपा दिए गए। बमुश्किल सीएम केजरीवाल किसी भी मुद्दे पर बोलते नजर आते थे।

लोकसभा चुनाव परिणामों ने आम आदमी पार्टी और खुद सीएम अरविंद केजरीवाल की आंखें खोल कर रख दी है और उन्हें एहसास हो गया कि अब नहीं चेते तो दिल्ली से भी उनका कुनबा उठ जाएगा। लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिड़िया जुग गई खेत। केजरीवाल और एंड पार्टी ने पैन इंडिया में पार्टी के एक्सपेंसन के पाइपलाइन प्लान को रद्दी की टोकरी में डालकर दिल्ली पर फोकस करना शुरू कर दिया। राष्ट्रीय मुद्दों को छोड़ दिल्ली के लोकल मुद्दों पर पार्टी बात करने लगी। खुद सीएम केजरीवाल राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलने से कतराने लगे। लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव परिणामों के पूरे दो महीने तक सदमे में रहे केजरीवाल बहुत कम पब्लिक में नजर आए।

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सीएम केजरीवाल समझ चुके थे कि अगर अब नहीं चेते तो दिल्ली की जनता उनका क्या इलाज करने जा रही है। क्योंकि लोकसभा चुनाव 2019 में भी दिल्ली की जनता ने दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें बीजेपी के खाते में डाल दी थी। दिल्ली लोकसभा सीटों की सात सीटों पर बीजेपी का विजय पताका देखकर केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली पर फोकस करने का निर्देश दिया और तब से पार्टी आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए लगातार चुनावी घोषणाओं में जुट गई है। केजरीवाल ने पिछले 5 महीनों में करीब 15 नई घोषणा कर चुके हैं। इनमें 200 रीडिंग तक बिजली का बिल मुफ्त कर देना और डीटीसी बस और दिल्ली मेट्रो में महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सौगात देना प्रमुख हैं।

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर की गई चुनावी घोषणाओं का आम आदमी पार्टी को चुनाव परिणामों में कितना फायदा होगा, यह तो चुनाव परिणाम बाद तय करेंगे, लेकिन पारंपरिक राजनीति से अलग हटकर राजनीति करने का वादा करके सत्ता तक पहुंची आम आदमी पार्टी ने यह समय रहते जरूर बता दिया कि राजनीति के हमाम में उसे भी नंगा होने में समय नहीं लगा। साढ़े चार साल तक दिल्ली की जनता को वादों को झुनझुना पकड़ाने वाली आम आदमी पार्टी पिछले पांच महीनों में दिल्ली का दिल जीतने की नाकाम कोशिश में हैं, अब जनता का फैसला तय करेगी कि केजरीवाल एंड पार्टी का दिल्ली की सत्ता में अगली क्या भूमिका होगी।

Kejriwal

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के डर से थरथरा रही केजरीवाल एंड पार्टी की हालत इतनी पतली है कि पार्टी विधानसभा चुनाव समय से पहले कराए जाने की अफवाह उड़ा रही है। यह ठीक वैसे ही जैसे आम आदमी पार्टी के सर्वे के आंकड़े और लोगों पर किए गए खुलासों के दावे आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल करते रहे हैं। आम आदमी पार्टी का कहना है कि बीजेपी झारखंड के साथ दिल्ली चुनाव विधानसभा चुनाव भी करवा सकती है। दिल्ली चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए आप नेता संजय सिंह का कहना है कि बीजेपी हरियाणा और महाराष्ट्र में मिली जीत का फायदा उठाने के लिए दिल्ली विधानसभा का चुनाव जल्दी करवा सकती है।

Kejriwal

आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह का इसके पीछे तर्क है कि बीजेपी ऐसा दूसरी पार्टियों को तैयारी का वक्त नहीं देने के लिए कर सकती है। हालांकि उन्होंने कहा है कि दिसंबर में चुनाव की संभावना को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं और इसी तैयारियों के मद्देनजर संजय सिंह को दिल्ली विधानसभा चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया गया है। पिछले 5 माह में 15 चुनावी घोषणाएं कर चुकी आम आदमी का कहना है कि इसके जरिए वो दिल्ली के सभी वर्गों में अपनी पैठ जमाने में कामयाब होगी।

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English summary
AAP party chief and Delhi CM Arvind Kejriwal in fear to loss Delhi Assembly election who won 67 Assembly seats out of 70 seats. Kejriwal and their party now focus on Delhi Assembly election which can be conducted end of 2019.
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