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'सहमति से संबंध बनाने के लिए आधार या पैन कार्ड नहीं चाहिए', दिल्ली HC ने क्यों कही ऐसी बात ? जानिए

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नई दिल्ली, 30 अगस्त: दिल्ली हाई कोर्ट ने हनीट्रैप के बढ़ते मामलों के प्रति काफी गंभीरता दिखाते हुए कथित बलात्कार के एक आरोपी को जमानत दे दी है। अदालत ने यह फैसला इस आधार पर लिया है कि कथित 'पीड़िता' के अलग-अलग दस्तावेजों में जन्म की तारीखें अलग-अलग हैं, जिसमें कुछ में वह घटना के समय नाबालिग थी, तो कुछ में वह बालिग हो चुकी थी। आरोपी को जमानत पर छोड़ते हुए आदलत ने आदेश में पॉक्सो कानून के दुरुपयोग को लेकर जो टिप्पणियां की हैं, वह भविष्य में अदालती आदेशों के लिए भी एक नजर बन सकती है।

'सहमति से संबंध बनाने के लिए आधार या पैन कार्ड नहीं चाहिए'

'सहमति से संबंध बनाने के लिए आधार या पैन कार्ड नहीं चाहिए'

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक कथित बलात्कार के आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी है कि सहमति से संबंध बनाने के लिए किसी को अपनी पार्टनर की जन्म तारीख सुनिश्चित करने के लिए आधार कार्ड चेक करने की जरूरत नहीं है। मामला एक संदिग्ध हनीट्रैप से जुड़ा हुआ है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस जसमीत सिंह ने पिछले हफ्ते दिए एक आदेश में कहा है, 'वह व्यक्ति, जो किसी अन्य व्यक्ति के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, उसे दूसरे व्यक्ति की जन्म तारीख की न्यायिक रूप से जांच करने की आवश्यकता नहीं है। शारीरिक संबंध की शुरुआत करने से पहले उसे आधार कार्ड, पैन कार्ड देखने और उसके स्कूल रिकॉर्ड से जन्म तिथि सत्यापित करने की जरूरत नहीं है।'

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अदालत ने महिला के दावों में विसंगतियां पाईं

अदालत ने महिला के दावों में विसंगतियां पाईं

दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आदेश ऐसे मामले में दिया है, जिसमें एक 'पीड़ित' महिला ने दावा किया था कि अपराध के समय वह नाबालिग थी और आरोपी ने पहले लालच देकर सहमति से संबंध बनाया और उसके बाद धमकाया और बलात्कार किया। लेकिन, अदालत ने महिला के दावों में कई विसंगतियां पाईं और एक मनी ट्रेल भी पाया, जिससे पता चलता है कि उसके अकाउंट में करीब एक साल के अंदर आरोपी की ओर से 50 लाख रुपये पहुंचे और अंतिम पेमेंट उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने और उसपर पॉक्सो ऐक्ट की कठोर धाराएं लगाए जाने के एक हफ्ते पहले ही दिए गए थे।

हनीट्रैप के संदिग्ध मामले पर हाई कोर्ट सख्त

हनीट्रैप के संदिग्ध मामले पर हाई कोर्ट सख्त

अदालत ने अदालत के पुराने आदेशों का हवाला भी दिया कि किस तरह से हनीट्रैप के जरिए बेगुनाहों को फंसाया गया था और उनसे मोटी रकम वसूली गई थी। जस्टिस सिंह ने अपने आदेश में कहा, 'मेरे मत के हिसाब से मौजूदा केस में आंखों से जो कुछ दिखाई दे रहा है, उससे कहीं ज्यादा है....प्रथम दृष्टया मेरा यह मत है कि यह भी ऐसी ही घटना का मामला प्रतीत होता है।' अदालत ने दिल्ली पुलिस चीफ को आदेश दिया है कि वह इसकी 'विस्तृत जांच' करें कि क्या 'पीड़ित' महिला मर्दों के खिलाफ बलात्कार की प्राथमिकी दर्ज करवाकर पैसे उगाही करने वाली आदतन अपराधी है। अदालत ने कहा है, 'विस्तृत जांच हो . . यदि अभियोग लगाने वाली की ओर से दिल्ली में किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ भी ऐसी ही कोई एफआईआर दर्ज की गई है।'

महिला की तीन अलग-अलग जन्म तिथियां हैं

महिला की तीन अलग-अलग जन्म तिथियां हैं

इस मामले में जिस व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है, उसकी ओर से कोर्ट में पेश होते हुए वकील अमित चड्ढा ने इस मामले पर प्रकाश डाला कि महिला की तीन अलग-अलग जन्म तिथियां थीं। आधार कार्ड के मुताबिक उसकी जन्म की तारीख 1 जनवरी, 1998 है, लेकिन पैन कार्ड में यह 2004 दर्ज है। जब पुलिस ने जांच की तो उसकी जन्म तारीख जून, 2005 पाई गई थी।

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हाई कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत

हाई कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत

इसी आधार पर कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड के मुताबिक, 'कथित घटना वाले दिन आरोप लगाने वाली को बालिग होना चाहिए था।' कोर्ट ने पुलिस को कार्ड नंबर, जारी होने वाली तारीख और उससे जुड़े दस्तावेजों की जांच करने को भी कहा है। आदेश में कहा गया है कि तथ्य यह है कि एक आधार कार्ड है, जिसमें जन्म की तिथि 1 जनवरी, 1998 है, जो कि आरोपी को यह समझने के लिए काफी है कि 'एक मत से वह नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना रहा था।' उस व्यक्ति को जमानत देते हुए अदालत ने महिला के पक्ष में उसके अकाउंट में जून 2021 से अप्रैल 2022 के बीच मोटी रकम ट्रांसफर किए जाने का भी जिक्र किया। (तस्वीरें- सांकेतिक)

English summary
The Delhi High Court has given bail to an accused of alleged coercion, showing great seriousness towards the increasing cases of honeytrap
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